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CJI On Legal Profession : हमारी सत्यनिष्ठा पर निर्भर करता है कानूनी पेशे का भविष्य : प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़

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By PTI

Published : Sep 17, 2023, 6:32 PM IST

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ (cji Dy Chandrachud) ने कहा कि कानूनी पेशे का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि इससे जुड़े इसमें कितनी सत्यता को रखते हैं. एक कार्यक्रम में सीजेआई ने कहा कि आपर पूरी दुनिया को मूर्ख बना सकते हैं, लेकिन अपने विवेक को मूर्ख नहीं बना सकते.

cji Dy Chandrachud
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़

छत्रपति संभाजीनगर : भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (cji Dy Chandrachud) ने रविवार को कहा कि कानूनी पेशे का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि इससे जुड़े लोग अपनी सत्यनिष्ठा बरकरार रखते हैं या नहीं. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सत्यनिष्ठा और ईमानदारी कानूनी पेशे का मूल है और इसका फलना-फूलना अथवा नष्ट हो जाना इससे जुड़े लोगों के व्यवहार पर निर्भर करता है.

सीजेआई ने 'अधिवक्ताओं और न्यायाधीशों के बीच सहयोग बढ़ाना : कानूनी प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में' नामक विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही. उन्होंने कहा कि सत्यनिष्ठा एक आंधी से नहीं मिटती, यह वकीलों और न्यायाधीशों द्वारा दी गई छोटी-छोटी रियायतों तथा अपनी ईमानदारी से किए गए समझौतों से मिटती है. सीजेआई ने कहा, 'हमारा पेशा फलता-फूलता रहेगा या स्वयं नष्ट हो जाएगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम अपनी ईमानदारी बनाए रखते हैं या नहीं. ईमानदारी एक आंधी से नहीं नष्ट होती है, यह वकीलों और न्यायाधीशों द्वारा की गई छोटी-छोटी रियायतों और समझौतों से नष्ट होती है.'

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, 'हम सभी अपने विवेक के साथ सोते हैं. आप पूरी दुनिया को मूर्ख बना सकते हैं, लेकिन अपने विवेक को मूर्ख नहीं बना सकते. यह हर रात सवाल पूछता रहता है. ईमानदारी कानूनी पेशे का मूल है. ईमानदारी के साथ हम या तो जीवित रहेंगे या खुद का विनाश करेंगे.' उन्होंने कहा कि वकीलों को सम्मान तब मिलता है जब वे न्यायाधीशों का सम्मान करते हैं और न्यायाधीशों को तब सम्मान मिलता है जब वे वकीलों का सम्मान करते हैं तथा परस्पर सम्मान तब होता है जब यह एहसास होता है कि दोनों न्याय का हिस्सा हैं.

भारत के प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'मेरा मानना है कि भारतीय कानूनी पेशे के सामने एक महत्वपूर्ण चुनौती इस पेशे को समान अवसर वाला पेशा बनाना है. क्योंकि आज कानूनी पेशे की संरचना इसे 30 या 40 साल बाद परिभाषित करेगी. जब मुझसे पूछा जाता है कि हमारे पास पर्याप्त संख्या में महिला न्यायाधीश क्यों नहीं हैं, तो मैं उनसे कहता हूं कि आज कॉलेजियम को मत देखो, क्योंकि उसे बार में उपलब्ध प्रतिभाओं में से चयन करना होता है. आपको हमारे समाज की 20-30 साल पहले की स्थिति देखनी होगी. आज जो न्यायाधीश उच्च न्यायपालिका में प्रवेश कर रहे हैं, वे 20-25 साल पहले के बार के सदस्य हैं.'

उन्होंने कहा कि कानूनी पेशे में प्रमुख हितधारकों के रूप में यह न्यायाधीशों और वकीलों का काम है कि वे सुनिश्चित करें कि महिलाओं को कानूनी प्रणाली में उचित स्थान दिया जाए. उन्होंने वकीलों से प्रौद्योगिकी अपनाने और लोगों की अपेक्षाओं को प्रबंधित करने के लिए समय के साथ तालमेल बिठाने की अपील भी की.

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