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चार दशक पुराना है महानदी जल विवाद, अब ट्रिब्यूनल के फैसले पर टिकी नजरें

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Published : May 10, 2023, 10:16 PM IST

Updated : May 12, 2023, 2:15 PM IST

छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी जल बंटवारे को लेकर 4 दशक से विवाद चल रहा है. जल विवाद के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल का गठन भी किया गया है, जिसने हाल ही में छत्तीसगढ़ का दौरा किया है. ट्रिब्यूनल को मार्च 2023 में ही रिपोर्ट पेश करनी थी. यह मियाद पूरी हो चुकी है. ट्रिब्यूनल भारत के केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है. इसके बाद जल विवाद का निपटारा होने की उम्मीद है. सभी की निगाहें अब ट्रिब्यूनल पर टिकी हुई है.

Know reason behind Mahanadi water dispute
महानदी जल विवाद

महानदी जल विवाद पर जानकार की राय

कोरबा: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच महानदी के पानी को लेकर विवाद की मुख्य वजह ओडिशा के हीराकुंड बांध को माना जाता है. केंद्र सरकार ने संबलपुर में हीराकुंड बांध बनाया. बाद में ओडिशा सरकार को सौंपा गया. दोनों राज्यों के बीच महानदी विवाद की शुरुआत 1983 में हुई. उस समय छत्तीसगढ़ राज्य भी नहीं था. मध्य प्रदेश और ओडिशा के बीच यह विवाद चल रहा था. कई पॉलिसी बनी, अनुबंध भी हुए लेकिन उनका पालन नहीं हुआ. आगे चलकर ओडिशा सरकार ने 19 नवंबर 2016 को जल संसाधन, नदी विकास और गंगा पुनर्जीवन मंत्रालय (अब जल शक्ति मंत्रालय) के पास अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (आईएसआरडब्ल्यूडी) अधिनियम, 1956 की धारा 3 के तहत एक शिकायत दर्ज कराई.

ओडिशा ने केंद्र सरकार से लगाई थी गुहार: ओडिशा ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि वह महानदी और उसके तटवर्ती राज्यों के बीच जल विवाद के निपटारे के लिए ISRWD अधिनियम, 1956 की धारा 4(1) के तहत एक न्यायाधिकरण का गठन करे. तब केंद्र सरकार ने बातचीत के माध्यम से विवाद के निपटारे के लिए एक वार्ता समिति का गठन किया था. नेगोशिएशन कमेटी ने मई 2017 में अपनी रिपोर्ट सौंपी. कमेटी ने रिपोर्ट में जिक्र किया कि ओडिशा राज्य से कोई भागीदारी नहीं हुई. तब निष्कर्ष निकाला गया कि विवाद को बातचीत से हल नहीं किया जा सकता. इसके बाद, केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर 12 मार्च 2018 को महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण(Mahanadi water dispute tribunal) का गठन किया.

What is Mahanadi water dispute
क्या है महानदी जल विवाद

ट्रिब्यूनल के पास है मामला: अब यह मामला ट्रिब्यूनल के समक्ष निर्णय के लिए लंबित है. ट्रिब्यूनल की लगभग 40 सदस्यीय टीम ने हाल ही में दो चरण में रायपुर, बिलासपुर और कोरबा जैसे जिलों का दौरा किया. महानदी और हसदेव नदी पर बनी जल परियोजनाओं का जायजा लिया. अधिकारियों ने भी डिटेल्ड जानकारी दी. इसके लिए दोनों राज्य की सरकारों ने अधिकारियों को निर्देश दिए थे. इनसे ट्रिब्यूनल ने आवश्यक जानकारी ली है.

ओडिशा का पक्ष: 2016 में यह विवाद ज्यादा बढ़ा जब ओडिशा ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में महानदी पर कई बांध बना दिए गए हैं, जिससे नदी की धारा प्रभावित हुई है. हीराकुंड बांध में जलभराव कम हुआ है. खास तौर पर गैर मानसून सीजन में नदी पूरी तरह से सूख जाती है. महानदी के अस्तित्व पर भी संकट है. आम लोगों के साथ ही सिंचाई और उद्योगों को भी पानी नहीं मिल पा रहा है.

Know reason behind Mahanadi water dispute
महानदी विवाद पर ओडिशा का क्या है पक्ष ?

छत्तीसगढ़ का पक्ष: छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि हीराकुंड बांध के लिए निर्धारित मात्रा से कहीं अधिक पानी का इस्तेमाल हो रहा है. धमतरी से महानदी का उद्गम, दोनों राज्यों की लाइफलाइन: छत्तीसगढ़ के धमतरी स्थित सिहावा पर्वत से महानदी का उद्गम होता है. नदी की कुल लंबाई 851 किलोमीटर है. इतनी दूरी तय करने के बाद नदी बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है. महानदी का फैलाव पांच राज्यों छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड के बीच है. हालांकि इसका कैचमेंट एरिया 53 फीसदी छत्तीसगढ़ में और 46.5 फीसदी ओडिशा में है. लेकिन महानदी में जो पानी बहकर जाता है, उसमें ज्यादातर योगदान छत्तीसगढ़ की नदियों का है. शिवनाथ और हसदेव से 80 से 90 फीसदी जल महानदी में जाता है. जबकि ओडिशा स्थित महानदी की सहायक नदियों का योगदान काफी कम है. यही वजह है कि महानदी को छत्तीसगढ़ की जीवन रेखा माना जाता है. जबकि दोनों राज्यों की खेती, उद्योग और अर्थव्यवस्था में महानदी का अहम स्थान है.

Chhattisgarh's stand on the Mahanadi water dispute
महानदी जल विवाद पर छत्तीसगढ़ का पक्ष

महानदी कितनी अहम: महानदी का कुल क्षेत्रफल 1,41,589 वर्ग किलोमीटर है. छत्तीसगढ़ में 73214 वर्ग किलोमीटर और ओडिशा में 65845 वर्ग किलोमीटर एरिया कवर होता है. वहीं झारखंड, महाराष्ट्र और एमपी में 2528 वर्ग किलोमीटर एरिया है. नदी की कुल लंबाई 851 किलोमीटर है. छत्तीसगढ़ में महानदी की प्रमुख सहायक नदियां शिवनाथ, हसदेव, मांड, ईब हैं. वहीं ओंग, तेल और जोंक ओडिशा में महानदी की सहायक नदियां हैं. महानदी पर प्रमुख जल संसाधन परियोजनाएं हीराकुंड बांध, मिनीमाता बांगो प्रोजेक्ट, महानदी रिजरवायर कॉमप्लेक्स(रविशंकर सागर, मुर्रम सिल्ली, दुधावा) हैं. महानदी पर कुल 76 सिंचाई परियोजनाएं हैं. इनमें 22 वृहद, 54 मध्यम हैं. महानदी का जल दोनों ही राज्य छत्तीसगढ़ और ओडिशा के उद्योगों को पालता है.

Big things related to Mahanadi
महानदी से जुड़ी बड़ी बातें

महानदी का पानी खेती किसानी के लिए भी अहम: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले का बांगो बांध परियोजना सिंचाई के लिए काफी उपयोगी है. यह महानदी की सहायक नदी हसदेव पर बना हुआ है. ठीक इसी तरह ओडिशा में बना हीराकुंड बांध परियोजना ओडिशा के खेतों के लिए काफी उपयोगी है.छत्तीसगढ़ में 1596 हेक्टेयर सालाना खेतों की सिंचाई होती है. इसमें से सरफेस एरिया वाटर से सिंचाई के लिए 5481 एमसीएम पानी की जरूरत पड़ती है. दूसरी तरफ ओडिशा को सालाना 1724 हेक्टेयर खेतों के लिए सालाना 8234 एमसीएम पानी की जरूरत पड़ती है.

Know about Mahanadi
महानदी के बारे में जानिए

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महानदी का पानी उद्योगों पर होता है खर्च: दोनों ही राज्यों की जीडीपी का अधिकांश भाग महानदी के जल पर काफी हद तक निर्भर है. छत्तीसगढ़ एक पावर सरप्लस स्टेट है. छत्तीसगढ़ के कोरबा को पावर कैपिटल ऑफ इंडिया भी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ में 15802 मेगावाट बिजली का उत्पादन थर्मल पावर प्लांट से होता है. बिजली के साथ ही छत्तीसगढ़ में देश का 22.6 फीसदी कोयले का उत्पादन भी होता है. इसकी तुलना में ओडिशा राज्य की जीडीपी भी काफी हद तक महानदी पर निर्भर है. ओडिशा में 7100 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है. ओडिशा में देश के 44 फ़ीसदी बॉक्साइट और 33 परसेंट आयरन ओर का रिजर्व है. दोनों ही राज्यों में कई उद्योग भी संचालित हैं. जिनके लिए दोनों ही राज्यों में जल बंटवारा होता है. उद्योगों के लिए 1130 एमसीएम पानी छत्तीसगढ़ में तो 944 एमसीएम पानी ओडिशा द्वारा इस्तेमाल किया जाता है. इस तरह कुल मिलाकर 2074 एमसीएम पानी दोनों राज्यों के औद्योगिक उपयोग को प्रदान किया जाता है.

Laxmi Chauhan opinion
लक्ष्मी चौहान ने बताया कैसे शुरू हुआ विवाद ?

अब समझ आ रहा पानी का महत्व: इस विवाद को लेकर महानदी का सर्वे करने वाली टीम में शामिल रहे कोरबा के पर्यावरणविद् लक्ष्मी चौहान से ईटीवी भारत ने खास बात की. लक्ष्मी कहते हैं कि "इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब छत्तीसगढ़ में अपने हिस्से वाली नदी पर बांध बना दिए. जिसे हम पर्यावरणविद एनीकट कहते हैं. ओडिशा सरकार ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि छत्तीसगढ़ में जो बांध बने हैं. उससे हमारे हिस्से का जल हमें नहीं मिल पा रहा है."

Laxmi Chauhan opinion
जानकार लक्ष्मी चौहान की राय

पर्यावरणविद् लक्ष्मी चौहान आगे कहते हैं कि"आपको यह भी जानना पड़ेगा कि महानदी को मिलने वाला 90 फ़ीसदी जल छत्तीसगढ़ की सहायक नदियों से बहकर महानदी में जाता है. फिर चाहे वह हसदेव हो या शिवनाथ नदी. शिवनाथ ही आगे चलकर महानदी में परिवर्तित हो जाती है. अब यह मामला ट्रिब्यूनल के समक्ष है. जिन्होंने छत्तीसगढ़ का दौरा भी किया है और वह इस विषय में विस्तृत जानकारी भी जुटा रहे हैं."

Laxmi Chauhan opinion
जानकार लक्ष्मी चौहान का मत

पर्यावरणविद् लक्ष्मी चौहान का कहना है कि" छत्तीसगढ़ हो या ओडिशा की सरकार, दोनों ही सरकार नदी के जल का उपयोग कृषि और औद्योगिक दोनों प्रयोजन के लिए करते हैं. फिर चाहे वह हीराकुंड बांध हो या फिर छत्तीसगढ़ का मिनीमाता बांगो बांध.जल बंटवारे को लेकर यह विवाद पहला नही है. कर्नाटक में भी इस तरह के विवाद हुए थे. अब लोगों को पानी का महत्व समझ आने लगा है. जो पानी यूं ही बर्बाद हो जाता था. जिसकी किसी को परवाह नहीं थी. अब पानी की किल्लत हो रही है. तब लोग समझ रहे हैं."

चालीस साल से महानदी जल विवाद का मुद्दा छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच कायम है. अब ट्रिब्यूनल की टीम ने छत्तीसगढ़ का दौरा किया है. उस पर काम जारी है. क्या इस बार यह मुद्दा सुलझ पाएगा. यह बड़ा सवाल है. अब सबकी निगाहें ट्रिब्यूनल पर टिकी हैं.

Last Updated : May 12, 2023, 2:15 PM IST
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