ETV Bharat / bharat

Sengol : 1947 में सेंगोल को तमिलनाडु के एक गहने की दुकान में बनवाया गया था

author img

By

Published : May 24, 2023, 2:33 PM IST

Updated : May 24, 2023, 3:58 PM IST

Etv BharatTamilnadu Saiva scepter to rule the parliament
Etv Bharatतमिलनाडु : नए संसद भवन में रखे जाने के वाले सेंगोल या राजदंड का इतिहास सैव मठ से जुड़ा,

नए संसद भवन में रखे जाने के लिए सेंगोल या राजदंड 1947 में तमिलनाडु से लाया गया था. इस सेंगोल या राजदंड में शैव प्रतीक के साथ संदेश देख सकते हैं.

चेन्नई: गृह मंत्री अमित शाह ने आज दिल्ली में ऐलान किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नवनिर्मित संसद भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे. इस मौके पर उन्होंने घोषणा की कि 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने पर जो सेंगोल या राजदंड का प्रतीक भारत को दिया गया था, उसे भी नए संसद भवन में रखा जाएगा. यह राजदंड 1947 में तमिलनाडु से दिल्ली कैसे पहुंचा, इसे भेजने वाले तिरुवातुतुरई अधीनम के वारिसों ने बताया है.

स्वतंत्रता दिवस पर पिछले साल तिरुवातुतुरई अधीनम के 24वें गुरु, अंबालावन देसिका परमाचार्य स्वामी ने मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में इसके बारे में जानकारी दी थी. उनके साक्षात्कार के अनुसार, 'अगस्त 1947 में भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए कानूनी प्रक्रिया चल रही थी. उस समय, ब्रिटिश वायसराय माउंटबेटन ने नेहरू को बुलाया और कहा, 'हम भारत को स्वतंत्रता देने जा रहे हैं. आप इसे कैसे प्राप्त करने जा रहे हैं? उन्होंने पूछा.'

नेहरू स्वतंत्रता की घोषणा करने और इस मौके पर आधिकारिक समारोह आयोजित करने के लिए दृढ़ थे. वह कर्मकांडों और धर्मों के लिए अनिच्छुक है. ऐसा तमिलनाडु कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी राजगोपालाचारी उर्फ ​​राजाजी ने कहा. राजाजी ने तुरंत कहा, 'चिंता मत करो, तमिलनाडु में जब शासन परिवर्तन होता था तो पुजारी नए राजा को राजदंड देते थे. इसी तरह हम एक राजदंड बनाएंगे. उन्होंने कहा कि हम इसे अपने एक पुजारी के जरिए अंग्रेजों से प्राप्त करेंगे. नेहरू ने इसपर सहमति जताई.

राजगोपालाचारी ने तुरंत तिरुवातुतुरई अधीनम से संपर्क किया और उनसे राजदंड देने और नेहरू के साथ देश के लोगों आशीर्वाद देने का अनुरोध किया. उस समय चेन्नई के एक प्रसिद्ध गहने की दुकान वुम्मिदी बंगारू चेट्टियार में शैव प्रतीक के साथ एक सोने का राजदंड बनाने के लिए कहा गया था. तत्कालीन शैव पुजारी अंबालावन स्वामी के बीमार पड़ने पर, राजदंड को ओडुवर और अदीना प्रतिनिधियों के माध्यम से दिल्ली भेजा गया.

ये भी पढ़ें- New Parliament Building : जानें क्या होता है सेंगोल और इस मौके पर नेहरू का क्यों किया जा रहा जिक्र

15 अगस्त की आधी रात को, तिरुवातुतुरई एथीनकट्टला थम्बीरन स्वामी ने माउंटबेटन से राजदंड प्राप्त किया. राजदंड को पवित्र जल से छिड़का गया था और फिर इस राजदंड को नेहरू को सौंप दिया गया था. आदिना गुरु ने बताया था कि राजदंड, जिसे राज्य का प्रतीक माना जाता था, प्रयागराज (इलाहाबाद) शहर में नेहरू के निवास आनंद भवन में था. आज दिल्ली में बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि इस राजदंड को संग्रहालय में रखना उचित नहीं है. उन्होंने इशारा किया कि राजदंड रखने के लिए संसद से बेहतर कोई जगह नहीं है और कहा कि प्रधानमंत्री तिरुवदुथुराई अथीनाथ से राजदंड प्राप्त करेंगे.

Last Updated :May 24, 2023, 3:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.