रोहिंग्याओं के निर्वासन पर कर्नाटक सरकार का यू-टर्न, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिया बयान

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Published : Oct 30, 2021, 1:41 PM IST

कर्नाटक सरकार रोहिंग्याओं के निर्वासन पर पलटी, कहा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन किया जाएगा

बीजेपी के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने रोहिंग्याओं के निर्वासन (डिपोर्टशन) पर सुप्रीम कोर्ट में एक संशोधित हलफनामा दायर किया है और अपने पहले के रुख से मुकर गयी है कि बेंगलुरु में रहने वाले रोहिंग्याओं को निर्वासित करने की कोई योजना नहीं है.

बेंगलुरु: बीजेपी के नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार ने रोहिंग्याओं के निर्वासन (डिपोर्ट) पर सुप्रीम कोर्ट में एक संशोधित हलफनामा दायर किया है और अपने पहले के रुख से मुकर गयी है कि बेंगलुरु में रहने वाले रोहिंग्याओं को निर्वासित करने की कोई योजना नहीं है. कर्नाटक राज्य पुलिस ने अपने अधिकार क्षेत्र में किसी भी शिविर या डिटेंशन सेंटर में रोहिंग्याओं को नहीं रखा है. हालांकि, गृह विभाग ने एक ताजा हलफनामे में कहा है कि कर्नाटक में 126 रोहिंग्याओं की पहचान की गई है.

कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने बेंगलुरु में रहने वाले 126 रोहिंग्याओं की पहचान की है और इस मामले में उच्चतम न्यायालय के जो भी आदेश होंगे, वह उनका पालन करेगी. राज्य की ओर से ये संशोधित हलफनामा वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में आया है. इस याचिका में केंद्र और राज्य को निर्देश देने की मांग की गई थी कि बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं सहित सभी अवैध आप्रवासियों की पहचान करके उन्हें डिटेन कर एक साल में उनका निर्वासन(डिपोर्ट) किया जाए क्योंकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं.

उन्होंने केंद्र और राज्यों को कानूनों में संशोधन करने और अवैध आव्रजन और घुसपैठ को गैर जमानती और गैर समझौता योग्य अपराध बनाने का निर्देश देने की भी मांग की थी. इसके अलावा उन्होंने फर्जी पैन कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड, वोटर कार्ड आदि को लेकर गैर जमानती, गैर कंपाउंडेबल और संज्ञेय अपराध घोषित करने और इस तरह की अन्य कानूनों में संशोधन करने के लिए सरकार को निर्देश देने की प्रार्थना की. पूर्व सीजेआई एसए बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ ने मार्च, 2021 में इस मामले में नोटिस जारी किया था. उस पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक सरकार ने अदालत को बताया था कि बेगलुरु में 72 रोहिंग्या थे और उन्हें निर्वासित करने की तत्काल कोई योजना नहीं थी. राज्य ने याचिका को यह कहते हुए खारिज करने की मांग की थी कि यह योग्य नहीं है और कानून में बनाए रखने योग्य नहीं है.

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न्यायालय में कर्नाटक सरकार ने संशोधित हलफनामे में कहा कहा कि इस मामले में शीर्ष अदालत की ओर से जो भी आदेश दिये जाएंगे उनका पालन किया जाएगा. अवर सचिव, गृह विभाग विधानसभा बेंगलुरु की ओर से जारी संशोधित हलफनामा में कहा गया है कि कर्नाटक राज्य पुलिस ने अपने अधिकार क्षेत्र में किसी भी शिविर या हिरासत केंद्र में रोहिंग्याओं को नहीं रखा है. हालांकि, कर्नाटक राज्य में 126 रोहिंग्याओं की पहचान की गई है.

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