ETV Bharat / bharat

शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट, बदरी विशाल के जयकारों के गूंजा धाम

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 18, 2023, 8:34 AM IST

Updated : Nov 18, 2023, 7:26 PM IST

Badrinath Dham Kapat Close
शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट

Badrinath Dham Kapat Close भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए आज बंद कर दिए गये हैं. इससे पहले आज बदरी-केदार मंदिर समिति ने बदरीनाथ धाम को 15 क्विंटल फूलों से सजाया.

शीतकाल के लिए बंद हुए बदरीनाथ धाम के कपाट

उत्तराखंड: बदरीनाथ धाम के कपाट आज शीतकाल के लिए बंद हो गये हैं. कपाट बंद होने के दिन 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने बदरी विशाल के दर्शन किये.कपाट बंद होने के मौके पर बदरीनाथ मंदिर को फूलों से सजाया गया. सिंह द्वार परिसर में गढ़वाल स्कॉट के बैंड की भक्तिमय धुनों से संपूर्ण बदरीनाथ धाम गुंजायमान हुआ. धाम जय बदरी विशाल के उद्घोष से गूंज उठा. बदरीनाथ के कपाट बंद होने के साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा का भी समापन हो गया है.

कपाट बंद होने से पहले मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी स्त्री वेश धारण कर माता लक्ष्मी की प्रतिमा को भगवान बदरी-विशाल के धाम के गर्भगृह में प्रतिष्ठापित किया. जिसके बाद पुजारी उद्धव जी व कुबेर जी को मंदिर प्रांगण में लाये गये. दोपहर 3 बजकर 33 मिनट पर बजे पर भगवान बदरीनाथ के कपाट बंद कर दिए गये. वहीं भगवान बदरी-विशाल के कपाट बंद होने के बाद लोगों को मंदिर तक जाने की अनुमति नहीं दी जाती है.

  • #WATCH | Uttarakhand: Shri Badrinath Dham has been decorated with 15 quintals of marigold flowers. The portals of Shri Badrinath Dham will be closed for winter at 3.33 pm today. pic.twitter.com/WpggB74HrS

    — ANI (@ANI) November 18, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इस मौके पर बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि इस वर्ष की बदरीनाथ-केदारनाथ यात्रा ऐतिहासिक रही है. इस बार सबसे अधिक 38 लाख तीर्थयात्री बदरी-केदार पहुंचे हैं. आज कपाट बंद होने तक अठारह लाख चालीस हजार से अधिक तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है. मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिह ने बताया कपाट खुलने की तिथि से 17 नवंबर शुक्रवार देर रात तक 18 लाख 36 हजार 519 तीर्थयात्री बदरीनाथ धाम पहुंचे है.

ऐसी रही प्रक्रिया: कपाट बंद होने की प्रक्रिया 14 नवंबर से शुरू हो गयी थी. पहले दिन श्री गणेश जी के कपाट बंद हुए. 15 नवंबर को आदि केदारेश्वर व आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट बंद किए गए. 16 नवंबर को खड़गपुस्तक पूजन तथा 17 नवंबर को महालक्ष्मी जी की पूजा कढ़ाई भोग संपन्न हुआ. 18 नवंबर प्रात: महाभिषेक के बाद बालभोग लगा. उसके बाद मंदिर बंद नहीं हुआ. पौने एक बजे करीब सायंकालीन पूजा शुरू हुई. पौने दो बजे रावल ने स्त्री रूप धारण कर लक्ष्मी जी को बदरीनाथ मंदिर गर्भगृह में विराजमान किया. इससे पहले श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी मंदिर प्रांगण में विराजमान हुए. सवा दो बजे शायंकालीन भोग तथा शयन आरती संपन्न हुई ढाई बजे से साढ़े तीन बजे तक रावल ने कपाट बंद की रस्म पूरी की. जिसके बाद भगवान बदरी विशाल को ऊन का घृत कंबल ओढ़ाया गया. तीन बजकर तैतीस मिनट पर बदरीनाथ मंदिर गर्भगृह तथा मुख्य सिंह द्वार के कपाट रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी द्वारा शीतकाल के लिए बंद किये गये.

बदरीनाथ धाम में भगवान विष्णु नर और नारायण रूप में विराजमान हैं. धाम में भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, कुबेर और उद्धव के विग्रह भी विराजित हैं. इसलिए बदरीनाथ के कपाट बंद करने समय पुजारी (रावल) को स्त्री की तरह श्रृंगार करना पड़ता है. वहीं उद्धव जी भगवान कृष्ण के बाल सखा होने के साथ-साथ उनसे उम्र में बड़े भी हैं, जिससे रिश्ते में उद्धव जी माता लक्ष्मी के जेठ हुए. ऐसे में जेठ के सामने लक्ष्मी जी नहीं आती हैं. उद्धव जी के मंदिर से बाहर आने के बाद ही माता लक्ष्मी वहां विराजमान होती हैं. माता लक्ष्मी की विग्रह डोली उठाने के लिए मंदिर के पुजारी को भी स्त्री वेश धारण करना होता है.
पढ़ें- शीतकाल के लिए बंद हुए बाबा केदार के कपाट, 19 लाख से ज्यादा भक्तों ने किए दर्शन, अब ओंकारेश्वर में देंगे दर्शन

बता दें कि, भगवान बदरी-विशाल के कपाट बंद होने के मौके पर धाम को 15 क्विंटल फूलों से भव्य रूप से सजाया गया था. इस साल 18 लाख 25 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान बदरी विशाल के दर्शन किए. वहीं 14 नवंबर से बदरीनाथ धाम में चल रही पंच पूजाओं में पहले दिन धाम में स्थित गणेश मंदिर, दूसरे दिन केदारेश्वर व आदि शंकराचार्य मंदिर और तीसरे दिन खड़क पूजा हुई. इस मौके पर पुजारी ने माता लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें कढ़ाई भोग अर्पित किया.
पढ़ें- गौरीकुंड में गौरी माई मंदिर के कपाट हुए बंद, बाबा केदार से जुड़ी है खास मान्यता

इसके साथ ही इस साल की चारधाम यात्रा का समापन हो गया. कपाट बंद होने से पहले चल रहे पांचों प्रकार की पूजा के क्रम में धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने स्त्री वेश धारण कर माता लक्ष्मी को बदरी विशाल के गर्भगृह में विराजने के लिए आमंत्रित किया.

Last Updated :Nov 18, 2023, 7:26 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.