शीतकालीन ओलंपिक के लिए भारत के समर्थन पर बीजिंग में खुशी

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Published : Nov 28, 2021, 10:47 PM IST

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2022 के शीतकालीन ओलंपिक खेलों के लिए भारत के समर्थन ने चीन को आश्चर्यचकित कर दिया है. भारत के समर्थन पर चीन की मीडिया ने खुशी जताई है. इस संबंध में पढ़िए ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

नई दिल्ली : भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) पर तनावपूर्ण स्थिति के बीच, चीन, रूस और भारत के विदेश मंत्रियों की 18वीं वर्चुपअल बैठक में बीजिंग में होने वाले 2022 शीतकालीन ओलंपिक (Beijing 2022 Winter Olympic Games) का समर्थन किया है. इस पर चीनी राज्य-नियंत्रित मीडिया ने खुशी जताई है.

भारत द्वारा समर्थन मिलने पर राज्य-नियंत्रित चीनी मीडिया की राय बंटी गई है. ऐसे समय में जब अमेरिका और उसके सहयोगी ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया शीतकालीन ओलंपिक के 'राजनयिक बहिष्कार' पर विचार कर रहे हैं. भारत का समर्थन चीन के लिए एक चौंकाने वाला कदम है.

रविवार को राज्य-नियंत्रित 'ग्लोबल टाइम्स' (state-controlled Global Times) में एक संपादकीय में लिखा है कि बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक खेलों के प्रति भारत का व्यवहार इस बात का प्रतीक है कि नई दिल्ली अपनी मजबूत कूटनीतिक और रणनीतिक स्वायत्तता (diplomatic and strategic autonomy) बरकरार रखती है.

अमेरिका के साथ अपने घनिष्ठ संबंधों के बावजूद भारत का मतलब यह नहीं है कि वह सभी क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों में अमेरिका के प्रति झुकाव रखता है. नई दिल्ली वाशिंगटन का 'स्वाभाविक सहयोगी' (natural ally of Washington) नहीं है.'

लेख में कहा गया है कि हाल के वर्षों में नई दिल्ली भूराजनीति के मामले में वाशिंगटन की ओर बढ़ रही है और कुछ मुद्दों पर बीजिंग के प्रति शत्रुतापूर्ण है. ऐसे हालात में बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक खेलों के लिए भारत के समर्थन ने देश और विदेश में कुछ नेटिज़न्स को चौंका दिया है.

रविवार को तीनों विदेश मंत्रियों द्वारा जारी संयुक्त बयान में वैक्सीन की खुराक साझा करने, प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, स्थानीय उत्पादन क्षमताओं के विकास और चिकित्सा उत्पादों के लिए आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने के माध्यम से कोविड 19 के खिलाफ लड़ाई में सहयोग को दोहराया गया कि भारत-चीन-रूस सहयोग (India-China-Russia cooperation) न केवल उनके स्वयं के विकास में बल्कि वैश्विक शांति, सुरक्षा, स्थिरता और विकास में भी योगदान देगा.

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दिलचस्प बात यह है कि संयुक्त बयान में अफगानिस्तान को तत्काल और निर्बाध मानवीय सहायता (humanitarian assistance) प्रदान करने का भी आह्वान किया गया.

लेख में कहा गया है कि भारत के रुख ने प्रदर्शित किया कि कूटनीति में भारत अपनी कूटनीतिक पैंतरेबाजी को अधिकतम करने के लिए प्रमुख शक्तियों और विभिन्न तंत्रों के बीच लचीले ढंग से आगे बढ़ना चाहता है.

बता दें अप्रैल-मई 2020 से दोनों देशों के बीच वर्तमान सीमा संघर्ष छिड़ा है, भारतीय सेना और पीएलए दोनों ने एलएसी और गहराई वाले क्षेत्रों में युद्ध जैसे उपकरणों के साथ 1,00,000 से अधिक सैनिकों को जुटाया और तैनात किया है.

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