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अंतर्कलह के चलते खतरे में PDP का भविष्य, मुफ्ती की हर कोशिश नाकाम

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Published : Mar 24, 2021, 1:31 PM IST

महबूबा मुफ्ती
महबूबा मुफ्ती

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी में जारी अंतर्कलह को पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती तमाम कोशिशों के बावजूद रोकने में असमर्थ नजर आ रही हैं. एक के बाद वरिष्ठ नेताओं के त्यागपत्र के बाद पार्टी की आंतरिक कड़वाहट खुलकर सामने आ रही है. हालांकि, महबूबा मुफ्ती पिछले कई दिनों से संगठन में जान फूंकने के लिए कई बैठकें कर रही हैं, मगर उसका भी कोई असर नहीं दिख रहा है.

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के भीतर अब अंदरूनी कलह धीरे-धीरे ही सही, लेकिन जगजाहिर हो रही है. पार्टी नेताओं के बीच रस्साकशी और मतभेदों का दौर उच्च स्तर पर है, जिसके चलते एक के बाद एक प्रमुख चेहरे पार्टी को अलविदा कह रहे हैं.

हाल ही में पीडीपी को बीते रविवार एक बड़ा झटका लग चुका है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधानसभा के पूर्व सदस्य खुर्शीद आलम ने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया. उनका कहना था कि वह पार्टी के आंतरिक मामलों से खुश नहीं थे. इस कारण उन्होंने पार्टी को छोड़ा है. उनके लिए पार्टी को छोड़ना जरूरी हो गया था.

पीडीपी की अंतर्कलह पर प्रतिक्रिया

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खुर्शीद आलम के इस्तीफे के कुछ घंटों के भीतर ही उत्तरी कश्मीर के बांदीपोरा जिले के एक अन्य नेता यासिर रेशी ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया. बता दें कि पिछले तीन वर्षों में कई वरिष्ठ नेता ने पार्टी से किनारा कर चुके हैं.

जम्मू संभाग में भी पार्टी के प्रदेश महासचिव सुरेंद्र चौधरी के इस्तीफे ने कई सवाल खड़े कर दिए. इस इस्तीफे के बाद यह बात तो साफ थी कि पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं है. पीडीपी आंतरिक कलह के चलते कमजोर पड़ रही है. महासचिव पद से इस्तीफा देने के बाद सुरेंद्र चौधरी ने कहा था कि महबूबा को पूरी स्थिति से अवगत करा दिया गया है. अगर वह मेरे द्वारा उठाए गए मुद्दों को हल नहीं करती हैं तो फिर मैं अपना अगला कदम उठाऊंगा.

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वहीं, कुछ दिन पहले ही पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक मुजफ्फर हुसैन बेग ने भी जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी में शामिल होने का एलान कर दिया था.

पार्टी में चल रही इस संकट की घड़ी में कई नेता ऐसे हैं, जो अभी भी पार्टी के साथ खड़े हैं. इसके साथ ही वे मतभेदों को स्वीकार करने से भी परहेज कर रहे हैं.

वहीं, राजनीतिक प्रेक्षकों की राय है कि पार्टी छोड़ने वाले वरिष्ठ नेता पीडीपी के भविष्य को खतरे में डाल सकते हैं, जिसके कारण पार्टी की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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