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मौलाना अरशद मदनी बोले- यह देश हमारा है, हम इसे छोड़कर नहीं जाएंगे

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Published : May 30, 2022, 7:08 AM IST

Updated : May 30, 2022, 7:23 AM IST

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जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी

सहारनपुर के देवबंद में रविवार को जमीअत उलेमा-ए-हिंद के केंद्रीय प्रंबंधन कमेटी की 2 दिवसीय बैठक संपन्न हुई. बैठक के दौरान कई प्रस्ताव पास हुए.

सहारनपुर : जमीअत उलेमा-ए-हिंद के केंद्रीय प्रंबंधन कमेटी की 2 दिवसीय बैठक रविवार को देवबंद के उस्मान नगर (ईद गाह मैदान) में संपन्न हुई. बैठक की अध्यक्षता जमीअत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने की, जबकि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने इसका संचालन किया.

दो दिवसीय बैठक के अंतिम दिन, कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए. इनमें संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने और समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन, ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा ईदगाह, पैगंबर हजरत मुहम्द (सल्ल) के बारे में अपमानजनक शब्द और हिंदी भाषा को अपनाने के संबंध में प्रमुख प्रस्ताव शामिल हैं. इसेक अलावा एक घोषणापत्र भी जारी किया गया. बैठक में जारी किए गए घोषणा पत्र में सभी मुसलमानों को डर, निराशा और भावुकता से दूर रहने और अपने भविष्य की बेहतरी के लिए काम करने की सलाह दी गई. इस बैठक में इस बात को भी दोहराया गया कि मुसलमान हमेशा कुर्बानी देने के लिए तैयार रहते हैं और वे इस मामले में किसी से कम नहीं हैं.

जमीअत उलेमा ए हिन्द के अध्यक्ष, मौलाना महमूद मदनी ने अधिवेशन के दूसरे व अंतिम दिन देश के मुसलमानों से अपील कि वे देश में फासीवादी शक्तियों के मंसूबों का मुकाबला सकारात्मक ऊर्जा के साथ करें. मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि जिनको हमें देश के बाहर भेजने का शौक है, वह चले जाएं हम नहीं जाएंगे. मौलाना ने कहा, जो लोग जहर उगलते हैं वो दिखाई नहीं देते. लेकिन जो जहर खत्म करना चाहता है, उसे ही दोषी करार दिया जा रहा है.

मुसलमान देश का दूसरा सबसे बड़ा बहुसंख्यक हैं और नफरत के सौदागर आज भी अल्पसंखयक हैं. मौलाना अरशद मदनी ने आगे कहा कि, हम कहीं बाहर से नहीं आए हैं बल्कि यह देश हमारा है और हम यहीं के हैं. उन्होंने कहा कि यह बदकिस्मती है कि देश का बहुसंख्यक समाज नफरत का शिकार हो गया है और सत्ता में बैठे लोग धर्म के नाम पर देश के लोगों को नफरतों में बांट रहे हैं.

बैठक में मौलाना महमूद मदनी ने कहा राष्ट निर्माण के लिए जो लोग हमख्याल हैं उनको साथ लेना है. समझदारी, हिम्मत और दीर्घ कालिक रणनीति के तहत नफरत के सौदागरों को हराना है. जमीअत अध्यक्ष ने समान आचार संहिता लागू करने के कुछ राज्य सरकारों के मंसूबों पर भी कड़ी आपत्ति जताई. मौलाना ने कहा कि इन घोषणाओं से डरने की जरूरत नहीं है. मदनी ने मुसलमानों से कहा कि वो धर्म के प्रति आस्थावान बनें और दृढ़ता का परिचय दें.

गौरतलब है कि एक दिन पहले हुई बैठक में अमीर-उल-हिंद मौलाना सैयद अरशद मदनी ने भी सभा को संबोधित किया था. उन्होंने कहा था कि उत्तजित होकर मुद्दों को सड़कों पर लाने से कभी किसी को फायदा नहीं हो सकता है. पिछले सत्र में दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि जिन प्रस्तावों को मंजूरी मिली है, उन्हें लागू कर दिया गया है. देश के भाइयों के साथ तालमेल बिठाने और उनकी गलतफहमियों को दूर करने का भी प्रयास किया जाना चाहिए. जमीअत को अपने-अपने क्षेत्र में दीर्घ कालिक नीति के अनुसार काम करना चाहिए.

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Last Updated :May 30, 2022, 7:23 AM IST
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