जबलपुर। यूट्यूब ने बदल दी ड्राइंग करने वाले एक गरीब बच्चे की दुनिया. जबलपुर के मानेगांव इलाके में रहने वाला सिंटू मौर्य आज अपनी पोर्ट्रेट की कला और शैडो आर्ट की वजह से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जमकर हिट हुआ. केवल यूट्यूब पर सिंटू मौर्य के सब्सक्राइबर्स की संख्या 80 लाख तक पहुंची. सिंटू जबलपुर की एक पिछड़े बस्ती मानेगांव में रहता है. उसके पिता हाट बाजार में फुटवियर की दुकान लगते हैं. हिंदी के महाकवि हरिवंश राय बच्चन ने लिखा था की कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती. कविता की यह पंक्ति जबलपुर के सिंटू मौर्य की कहानी पर खरी उतरती है.
यूट्यूब पर हैं 8 मिलियन फॉलोअर्स: सिंटू मौर्य अभी मात्र 20 साल के हैं. उनके यूट्यूब पर 8 मिलियन फॉलोअर हैं और इंस्टाग्राम पर 10 लाख फॉलोअर्स हैं. सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर सिंटू मौर्य के वीडियो बहुत तेजी से वायरल होते हैं. सिंटू मौर्य बहुत बेहतरीन कलाकार हैं और यह पोर्ट्रेट बनाते हैं. शैडो आर्ट में भी उनके कई वीडियो बहुत अधिक वायरल हुए. सिंटू मौर्य को कला की कहीं से कोई शिक्षा नहीं मिली है, बल्कि यह उनके ही दिमाग की उपज है और उनके पूरे काम में बड़ी मौलिकता है. जिस तरीके से शैडो आर्ट का यह प्रयोग करते हैं वह अपने आप में बिल्कुल निराला है.
अलग-अलग चीतों से करते हैं आर्टवर्क: मसलन इन्होंने गणेश जी की आकृति बनाने के लिए यूज्ड चार्जर मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक आइटम का इस्तेमाल किया. इसी तरीके से विराट कोहली की तस्वीर बनाने के लिए आइसक्रीम स्टिक का इस्तेमाल किया. इस तरह के सैकड़ों प्रयोग सिंटू मौर्य की कला में देखने को मिलते हैं. इसी तरीके से उनकी कुछ वायरल तस्वीर जिसमें बागेश्वर धाम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर व कुछ ऐसे आर्टवर्क थे, जिन्हें दुनिया ने खूब देखा. फिलहाल चिंटू मौर्य अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर पर कार्य कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि उनका यह काम भी उनके प्रशंसकों को बहुत पसंद आएगा.
घर वालों के छिपकर करता था सिंटू आर्टवर्क की तैयारी: इस यूट्यूब की कहानी में भी संघर्ष है. सिंटू के पिता हाट बाजार में जूते की दुकान लगाते हैं. उन्हें बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उनका बच्चा कला के क्षेत्र में इतना आगे निकल जाएगा. सामान्य परिवार के लोग अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर ज्यादा से ज्यादा नौकरी के बारे में सोच पाते हैं. वहीं सिंटू के पिता तो उसको बाजार में जूते की दुकान पर भी काम करवाने के लिए ले जाते थे, लेकिन सिंटू के अंदर की कला धीरे-धीरे पनप रही थी. पढ़ाई के बीच में वह समय निकालकर कलाकारी करता था, ताकि उसके माता-पिता को यह पता ना लग सके, नहीं तो उसे यह संभावना थी कि उसका आर्टवर्क बीच में ही रुक जाएगा.
सिंटू को कोरोना वायरस की महामारी के दौरान पढ़ाई के लिए मोबाइल मिला था. इसी मोबाइल पर एक यूट्यूब का चैनल बनाकर सिंटू ने लगातार वीडियो डाले और आज लाखों लोग उसके प्रशंसक और दीवाने हैं.
लोगों को सिंटू की कलाकारी पसंद: सिंटू ने अभी तक 12वीं तक की पढ़ाई की थी, लेकिन जब उसकी कलाकारी लोगों को पसंद आ रही है, तो अब उसने कला के क्षेत्र में ही पढ़ाई आगे शुरू की है. वह फाइन आर्ट में गवर्नमेंट कॉलेज से डिग्री कोर्स कर रहा है. सिंटू की मां बताती हैं कि सिंह गजब का कलाकार है. वह कभी किचन के समान मसलन चटनी सब्जी फल इसे भी गजब की कलाकृतियां बनता है. हालांकि वह यह कहती हैं कि यह कला उसके पास कहां से आई यह भगवान ही जाने.
अपनी रूचि का जरुर रखें ध्यान: नये यूट्यूबर्स के लिए सिंटू मौर्य का कहना है कि यदि आपको यूट्यूब या सोशल मीडिया पर अपनी पहचान बनानी है, तो पहले अपनी रुचि या इंटरेस्ट की फील्ड को समझें, फिर उसमें महारत हासिल करें. एक बार जब काल पर आपकी पकड़ हो जाए. तब उसकी वीडियो डालना शुरू करें और अपनी निरंतरता बनाए रखें. यदि आप रोज वीडियो डालते हैं, तो किसी न किसी दिन कोई ना कोई वीडियो हिट हो जाएगा और आपको सफलता जरूर मिलेगी.
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यूट्यूब से हो रही पर्याप्त आय: सिंटू मौर्य जबलपुर के बेहद पिछड़े इलाके माने गांव में एक गली में रहते हैं. परिवार में जीवन यापन के लिए बड़ा संघर्ष है. हालांकि अब यूट्यूब के जरिए सिंटू को पर्याप्त आय होने लगी है, लेकिन यूट्यूब में आने वाले उतार-चढ़ाव से बे भी परिचित हैं, लेकिन सिंटू का कहना है कि उनके पास इतने आइडिया हैं कि वह लगातार कई सालों तक अपने प्रशंसकों को नए-नए वीडियो दिखाते रहेंगे.