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चीन तीन टॉवर बनाये तो हम चार क्यों नहीं बना सकते: पार्षद कोंचोक स्टेनजिन

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Published : Apr 19, 2022, 4:57 PM IST

Updated : Apr 19, 2022, 5:57 PM IST

ईटीवी भारत के साथ एक विशेष साक्षात्कार में केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पार्षद कोंचोक स्टेनजिन (Councilor of Ladakhs Chushul) ने अपनी चिंताओं, कठिनाइयों और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बात की है. आइये जानते हैं उन्होंने क्या-क्या कहा?

पार्षद
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श्रीनगर: चीन और भारत के बीच जारी तनाव के दौरान केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line Of Actual Control) पर रेड ड्रैगन ने हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र में तीन मोबाइल फोन टावरों का निर्माण किया है. लद्दाख के चुशुल इलाके के पार्षद कोंचोक स्टेनजिन (Councilor of Ladakhs Chushul) ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इसकी पुष्टि की है.

सवाल: कुछ दिनों पहले आपने अपनी सोशल नेटवर्किंग साइट पर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के मोबाइल टावरों की कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं. क्या है पूरा मामला?

जवाब: टावरों को चीन ने अपने क्षेत्र हॉट स्प्रिंग्स में स्थापित किया है. आप देखिए चीन लगातार अपने क्षेत्र में बुनियादी ढांचे में सुधार कर रहा है. मैं चाहता हूं कि हमारी सरकार भी ऐसा ही करे. चीन के ये टावर कुछ दिनों में नहीं आए हैं बल्कि 2021 में ही इन्हें तैयार किया गया था. हमें इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और आपत्तियां उठानी चाहिए, जैसे वे हमारे साथ करते हैं. वे उन जगहों पर भी टावर बना रहे हैं जहां कोई बस्ती नहीं है, तो हम क्यों नहीं? हमारी तरफ आबादी के बावजूद मोबाइल नेटवर्क कमजोर है. 4 जी नहीं है और कुछ जगहों पर तो 2जी भी नहीं है.

चीन तीन टॉवर बनाये तो हम चार क्यों नहीं बना सकते: पार्षद कोंचोक स्टेनजिन

सवाल: इन टावरों की स्थापना का हम पर और चीन पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

जवाब: जब हम अपने क्षेत्र में विकास कार्य करते हैं तो देश को लाभ होता है, उन्हें भी लाभ मिल सकता है. वे इनका उपयोग संचार प्रणाली में सुधार और अवलोकन के लिए भी कर रहे होंगे. इसका उपयोग दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है और चीन ने हमेशा ऐसा किया है. चीन पहले सीमा पर निवासियों को बसाता है और फिर उनकी सेना इलाके को कब्जे में ले लेती है. हमें भी जवाबी कदमों को गंभीरता से लेना चाहिए. सरकार बहुत कुछ कर रही है लेकिन अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है.

सवाल: आपको क्या लगता है कि केंद्र को अब क्या करना चाहिए?

जवाब: चीन अपने क्षेत्र में पहुंच को आसान और बेहतर बना रहा है. इसलिए उन्होंने पैंगोंग त्सो पर एक पुल का निर्माण किया. यदि आप पैंगोंग झील के चारों ओर घूमते हैं तो यह लगभग 150 किलोमीटर है. लेकिन पुल का रास्ता आवाजाही को आसान बना देगा. हमारे यहां भी पर्याप्त परियोजनाएं स्वीकृत हैं. सुरंगों पर काम चल रहा है. मैं चाहता हूं कि हमारा पक्ष समान प्रगति करे. अगर वे तीन टावर बनाते हैं तो हम चार क्यों नहीं बनाते?

सवाल: क्या आपने चरागाहों में मवेशियों को चराने के लिए कोई उपाय किया है?

जवाब: मैंने इस मुद्दे को बार-बार अधिकारियों के सामने उठाया है. इस सर्दी में सेना और प्रशासन का भरपूर सहयोग मिला. मैं सभी से कहता हूं कि जहां तक ​​संभव हो हम अपनी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर चरवाहों को जाने दें. इससे हम जगह पर नजर भी रख सकते हैं और इन चरवाहों से काफी जानकारी भी हासिल कर सकते हैं. जब चीन की बात आती है तो नागरिकों की पहुंच एक महत्वपूर्ण कारक है. चीन भी पहले अपने चरवाहों को सीमा पर जाने की अनुमति देता है और फिर विवाद खड़ा करता है. ऐसा नहीं होना चाहिए इसलिए हमारे चरवाहों को प्रवेश दिया जाना चाहिए.

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सवाल: सेना, स्थानीय और केंद्रीय प्रशासन से आपकी क्या मांग है?

जवाब: सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में सुधार के प्रयास किए जाने चाहिए. यहां के हालात से सभी वाकिफ नहीं हैं. हम जिस ऊंचाई पर रहते हैं वहां कृषि है लेकिन यह तो पूरा भारत नहीं जानता. यदि चरवाहों को सुविधाएं नहीं दी गईं तो पलायन हो सकता है, जो हमारे देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण चिंता का विषय होगा.

Last Updated :Apr 19, 2022, 5:57 PM IST
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