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International mother language day 2023 : इन कारणों से जरूरी है मातृभाषा को बढ़ावा देना, जानिए इस वर्ष का थीम

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Published : Feb 21, 2023, 7:35 AM IST

Updated : Feb 21, 2023, 12:22 PM IST

आज पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मना रहा है, मातृभाषा पर आए खतरे को लेकर शिक्षा जगत भी चिंतित है. आज वैश्विक भाषों के बढ़ते चलन के बीच अब हर कोई जानता है कि उनकी मातृभाषा अनजाने में उपेक्षित हो गई है. International mother language day 21 February 2023 . इस वर्ष विश्व अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की थीम ' बहुभाषी शिक्षा - शिक्षा में सुधार के लिए जरूरी है'.

International mother language day 2023
विश्व अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

नई दिल्ली : आज अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस ​​है. यह भाषाई विविधता और सांस्कृतिक विविधता के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देने और बहुभाषावाद को बढ़ावा देने का दिन है. आज पूरा विश्व अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मना रहा है. विभिन्न भाषाओं के बढ़ते दखल के बीच मातृभाषा पर आए खतरे को लेकर शिक्षा जगत भी चिंतित है. आज वैश्विक भाषों के बढ़ते चलन के बीच अब हर कोई जानता है कि उनकी मातृभाषा अनजाने में उपेक्षित हो गई है. International mother language day 21 February 2023 . बहुभाषी शिक्षा - शिक्षा में सुधार के लिए जरूरी

मातृभाषा दिवस समारोह की शुरुआत
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस यूनेस्को द्वारा 17 नवंबर 1999 को शुरू किया गया. पहली बार 2000 में 'अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस' के रूप में मनाया गया था. दुनियाभर के लोग और संस्थाएं आज इस बात पर मंथन कर रहे हैं कि मातृभाषा पर क्या खतरा है और मातृभाषा को इससे कैसे बचाया जाए. आज पूरे विश्व में 7000 से अधिक भाषाओं का अस्तित्व है. जिनमें से आधी भाषाएं विलुप्त होने की कगार पर हैं. इसे ध्यान में रखते हुए लोगों में मातृभाषा की समझ बढ़ाने और मातृभाषा के दायरे को व्यापक बनाने के उद्देश्य से 21 फरवरी 2000 से अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी. विश्व अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2023 थीम 'बहुभाषी शिक्षा - शिक्षा में सुधार के लिए जरूरी है'.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के विचार
विश्व मातृभाषा दिवस पर आज महात्मा गांधी को याद करना स्वाभाविक है. गांधी जी स्वयं मानते थे कि व्यक्ति को अपनी मातृभाषा में शिक्षित किया जाना चाहिए. गांधी जी का कहना था कि शिक्षा किसी भी भाषा में दी जा सकती है लेकिन हम सभी का दायित्व है कि शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति को उसकी मातृभाषा में दी जानी चाहिए. शायद हम इस दायित्व से भाग रहे हैं. जिससे आज मातृभाषा पर बहुत बड़ा संकट खड़ा हो गया है और हम इसे बचाने के लिए विशेष रूप से इस दिन को मनाने के लिए विवश हैं. यदि किसी व्यक्ति की शिक्षा में कमी है तो यह माना जाता है कि वह अपनी मातृभाषा में शिक्षित नहीं था. राष्ट्रपिता कहा करते थे कि मुझे अंग्रेजी पसंद नहीं है फिर भी मेरे मन में अंग्रेजी भाषा के प्रति सम्मान है, यदि मातृभाषा के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए अन्य भाषाओं के साथ उचित न्याय किया जाए तो एक सद्भाव जो सोने की तरह महकता है. जिससे पूरे विश्व की मातृभाषाओं की रक्षा होगी और उन्हें विलुप्त होने से बचाने के लिए किसी भी दिवस को मनाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी.

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Last Updated : Feb 21, 2023, 12:22 PM IST
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