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इंटरनेशनल कोर्ट में भारतीय जज दलवीर भंडारी ने रूस के खिलाफ किया मतदान

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Published : Mar 17, 2022, 5:05 PM IST

ICJ Dalveer Bhandari
ICJ Dalveer Bhandari

भारत जहां संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पर वोटिंग से खुद को अलग कर चुका है, वहीं इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) में भारत के न्यायाधीश ने रूस के खिलाफ मतदान किया है. इंटरनेशनल कोर्ट ने रूस को तुरंत यूक्रेन में हमले रोकने का आदेश दिया है.

हेग : इंटरनेशनल कोर्ट (ICJ) ने रूस से यूक्रेन पर हमले तुरंत रोकने का आदेश दिया है. बुधवार को नीदरलैंड के हेग में सुनवाई के बाद इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) के 15 में 13 जजों ने यूक्रेन पर रूस के बल प्रयोग करने पर चिंता जताई.

रूस के खिलाफ वोट देने वालों में भारतीय जज दलवीर भंडारी भी शामिल रहे. रूस के पक्ष में सिर्फ दो वोट पड़े. आईसीजे में रूस के जज किरिल गेवोर्गियन और चीन के जज सू हनकिन ने रूस के समर्थन में वोट दिया. भंडारी ने संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, जापान, स्लोवाकिया, मोरक्को, फ्रांस, ब्राजील, सोमालिया, युगांडा, जमैका और लेबनान के न्यायाधीशों के साथ आदेश के पक्ष में मतदान किया. बता दें कि रूस के हमले के बाद यूक्रेन ने 24 फरवरी को हेग स्थित अंतरराष्ट्र्रीय न्यायालय (ICJ) में अपील की थी.

दलवीर भंडारी के वोट अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चौंकाने वाला है, क्योंकि उन्होंने भारत के स्टैंड के विपरीत अपना फैसला दिया है. भारत यूक्रेन-रूस संघर्ष पर मतदान से परहेज करता रहा है. भारत संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद में वोटिंग के दौरान तटस्थ रहा था. भारतीय प्रतिनिधि अभी तक सभी मंचों पर दोनों देशों से बातचीत पर ध्यान केंद्रित करने और शत्रुता समाप्त करने की अपील करते रहे हैं.

बता दें कि जस्टिस भंडारी 27 अप्रैल 2012 से आईसीजे के सदस्य हैं. उन्हें 6 फरवरी 2018 से नौ साल की अवधि के लिए फिर से चुना गया था. 2017 में पहला कार्यकाल पूरा होने के बाद भारत ने उन्हें दोबारा आईसीजे के लिए मैदान में उतारा था. उनके चुनाव के कारण ब्रिटेन के उम्मीदवार क्रिस्टोफर ग्रीनवुड को अपनी दावेदारी वापस लेनी पड़ी थी.

जस्टिस भंडारी कुलभूषण जाधव के मामले में हुई सुनवाई के दौरान भी 11 जजों की बेंच के मेंबर थे. वह भारत में सुप्रीम कोर्ट के कार्यकाल के दौरान भी अपने फैसलों को लेकर सुर्खियों में रहे. उन्होंने तलाक के एक मामले की सुनवाई करते हुए हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 में संशोधन का सुझाव दिया था. इसके अलावा बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के मामले में उनका फैसला चर्चित रहा था.

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