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अफगानिस्तान में मानवीय सहायता अभियान का जायजा लेने के लिए काबुल में भारतीय दल

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Published : Jun 2, 2022, 1:44 PM IST

Updated : Jun 2, 2022, 10:46 PM IST

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का एक दल काबुल गया है. ये दल सत्तारूढ़ तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात कर भारत की ओर से भेजी जाने वाली सहायता के बारे में चर्चा करेगा. इस संबंध में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने जानकारी दी. पूरी खबर जानने के लिए पढ़ें ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

अफगानिस्तान
अफगानिस्तान

नई दिल्ली : अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान के काबिज होने के बाद पहली बार भारत से विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ राजनयिक की अगुवाई में एक दल काबुल गया है जो उस देश में भारतीय मानवीय सहायता अभियान एवं आपूर्ति का जायजा लेगा तथा वहां सत्तारूढ़ तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात भी करेगा. विदेश मंत्रालय से बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में यह जानकारी दी. इस दल का नेतृत्व पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान (पीएआई) के लिए वरिष्ठ राजनयिक जे पी सिंह कर रहे हैं. यह दल तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात कर भारत की ओर से भेजी गयी सहायता के बारे में चर्चा करेगा.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पीएआई) जे. पी. सिंह के नेतृत्व में अधिकारियों का एक दल अभी काबुल में है, जो अफगानिस्तान में हमारे मानवीय सहायता आपूर्ति अभियान का जायजा लेगा. भारतीय दल के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि इसके बारे में वे ज्यादा कुछ नहीं बता सकते हैं लेकिन इसमें प्रासंगिक अधिकारी शामिल हैं जो मानवीय सहायता एवं उसके वितरण को देखेंगे. दल की सुरक्षा के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा कि जब हमारी टीम वहां गई है तो हमें उनकी सुरक्षा का ध्यान है ताकि कोई दिक्कत नहीं हो.

अफगानिस्तान में मानवीय सहायता अभियान का जायजा लेने के लिए काबुल में भारतीय दल

इससे पहले विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि यह दल मानवीय सहायता में शामिल विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगा और संभवत: उन स्थानों पर भी जाएगा जहां भारतीय कार्यक्रम अथवा परियोजनाएं लागू की जा रही हैं. बागची ने कहा कि यह दल परियोजनाओं को देखने काबुल या उसके बाहर जाएगा, इसके बारे में अभी जानकारी नहीं दे सकते. इस बारे में जब कोई जानकारी मिलेगी, तब बताएंगे.

काबुल में भारतीय दूतावास खोलने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि इस बारे में हमें पिछले वर्ष अगस्त के बाद के घटनाक्रम पर ध्यान देना चाहिए. जैसा कि हम जानते हैं कि पिछले 15 अगस्त के बाद वहां बिगड़ती सुरक्षा स्थिति को देखते हुए भारत के सभी कर्मियों को वापस लाया गया था. उन्होंने कहा कि हालांकि, वहां स्थानीय कर्मी दूतावास की उचित देखभाल करते हैं और मानवीय सहायता में भी मदद करते हैं.

यह पूछे जाने पर कि क्या यह तालिबान को मान्यता देने की दिशा में एक कदम है, इस पर बागची ने कहा कि यह सही है कि यह काबुल के लिये पहली यात्रा (भारतीय दल की) है लेकिन यह यात्रा मानवीय सहायता एवं वितरण के विषय से संबंधित हैं और इसमें ज्यादा कुछ अनुमान नहीं लगाया जाना चाहिए. इससे पहले आज विदेश मंत्रालय ने बयान में बताया कि अफगानिस्तान के लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए भारत अब तक 20 हजार मीट्रिक टन गेहूं, 13 टन दवा, कोविड रोधी टीके की पांच लाख खुराक, गर्म कपड़े आदि वहां भेज चुका है. यह सामग्री काबुल में इंदिरा गांधी बाल अस्पताल, डब्ल्यूएचओ, डब्ल्यूईपी जैसी संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों को सौंपी गई हैं.

मंत्रालय ने कहा, 'हमने अफगानिस्तान के लोगों के साथ हमारी विकास साझेदारी को जारी रखते हुए भारत में निर्मित कोवैक्सीन की 10 लाख खुराक ईरान को दी ताकि ईरान में रहने वाले अफगानिस्तान के शरणार्थियों को खुराकें दी जा सकें.' इसमें कहा गया है कि यूनीसेफ को अफगान लोगों के लिए पोलियो के टीके की छह करोड़ खुराक और दो टन आवश्यक दवाओं की आपूर्ति की गई है. बयान के अनुसार, भारत से अफगानिस्तान को और चिकित्सा सहायता और खाद्यान्न की खेप भेजे जाने की प्रक्रिया चल रही है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की ओर से की जा रही सहायता की अफगानिस्तान में व्यापक सराहना हो रही है. इसमें कहा गया है कि भारत के अफगानिस्तान के साथ ऐतिहासिक एवं सभ्यता से जुड़े संबंध हैं और ये हमारे रूख का मार्गदर्शन करेंगे.

गौरतलब है कि भारत, अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर चिंता व्यक्त करता रहा है. भारत ने नवंबर में अफगानिस्तान के मुद्दे पर एक क्षेत्रीय वार्ता की मेजबानी की थी जिसमें रूस, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने हिस्सा लिया था. इस वार्ता में हिस्सा लेने वाले देशों ने यह सुनिश्चित करने के लिये काम करने का संकल्प लिया था कि अफगानिस्तान वैश्विक आतंकवाद की पनाहगाह नहीं बने. इन देशों ने अफगानिस्तान में खुली एवं सच्चे अर्थो में समावेशी सरकार के गठन का आह्वान किया था जिसमें अफगानिस्तान के सभी वर्गो का प्रतिनिधित्व हो.

दिल्ली में अफगानिस्तान के विषय पर हुई क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता के अंत में जारी एक घोषणापत्र में कहा गया था कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी तरह की आतंकी गतिविधियों के वित्त पोषण, पनाह, प्रशिक्षण या योजना बनाने के लिये नहीं किया जाना चाहिए. भारत, अफगानिस्तान में निर्बाध रूप से मानवीय सहायता प्रदान करने की वकालत करता रहा है ताकि उस देश में मानवीय संकट को दूर किया जा सके. भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता को अभी तक मान्यता प्रदान नहीं की है.

Last Updated :Jun 2, 2022, 10:46 PM IST
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