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भारत ने दिया जवाब, 'धार्मिक सहिष्णुता पर अमेरिकी रिपोर्ट दुर्भावनापूर्ण'

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Published : Jun 3, 2022, 10:06 PM IST

antony blinken, USA
अमेरिकी मंत्री एंटनी ब्लिंकन

भारत ने यूक्रेन को लेकर अपना स्टैंड साफ रखा है. रूस को लेकर भारत का दृष्टिकोण किसी से छिपा नहीं है. और अब ऐसा लग रहा है कि अमेरिका इसका 'बदला' ले रहा है. अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग की रिपोर्ट में भारत पर काफी तल्ख टिप्पणी की गई है. इसके अनुसार भारत में गैर हिंदुओं के साथ ठीक व्यवहार नहीं किया जा रहा है. धर्म के आधार पर भेद-भाव किया जाता है. मोदी सरकार के तहत हिंदू धर्म को छोड़कर अन्य धर्मों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है. हालांकि, भारत ने अमेरिका के बयान को नकारते हुए कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में भी वोट बैंक की राजनीति की जा रही है. पेश है ईटीवी भारत वरिष्ठ संवाददाता संजीब बरूआ की एक रिपोर्ट.

नई दिल्ली : भारत के विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा भारत में लोगों के साथ-साथ धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़ने संबंधी बयान को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया. भारत ने कहा कि वह धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को महत्व देता है और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वोट बैंक की राजनीति की जा रही है.

अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी वर्षिक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट के संबंध में मीडिया के प्रश्नों के उत्तर में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने बयान में यह बात कही. बागची ने कहा कि हमने अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2021 और कुछ वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों की गलत सूचना पर आधारित टिप्पणियों को देखा है.

उन्होंने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों में वोट बैंक की राजनीति की जा रही है. हम आग्रह करेंगे कि प्रेरित जानकारी और पक्षपातपूर्ण विचारों के आधार पर मूल्यांकन से बचा जाना चाहिए.' विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि एक स्वभाविक बहुलतावादी समाज होने के नाते भारत धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों को महत्व देता है.

उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ हमारी चर्चाओं में हमने वहां ऐसे मुद्दों पर चिंताओं को रेखांकित किया है जिसमें जातीय एवं नस्लीय प्रेरित हमले, घृणा अपराध और बंदूक आधारित हिंसा शामिल है.

आपको बता दें कि अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने गुरुवार को वार्षिक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट जारी करने के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में कहा था कि इस रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकार कैसे खतरे में हैं. उन्होंने कहा था कि उदाहरण के तौर पर भारत में जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और जहां कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं, वहां हम लोगों और धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़ते देख रहे हैं.

रिपोर्ट के भारत खंड में कहा गया है कि धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों पर हमले, मारपीट और डराने-धमकाने जैसी घटनाएं पूरे साल होती रहीं. इनमें गोहत्या या गोमांस के व्यापार के आरोपों के आधार पर गैर-हिंदुओं से जुड़ी घटनाएं शामिल थीं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 28 में से 10 राज्यों में धर्म परिवर्तन को प्रतिबंधित करने वाले कानून हैं. चार राज्य सरकारों के पास विवाह के उद्देश्य से तथाकथित जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ दंड लगाने वाले कानून हैं. हालांकि कुछ राज्य के उच्च न्यायालयों ने इस कानून के तहत आरोपित मामलों को खारिज कर दिया है.

असम और कर्नाटक राज्यों ने मवेशियों को मारने पर सख्त दंड लगाने वाले कानून बनाए हैं. 28 में से 25 राज्यों में अब इसी तरह से प्रतिबंध लगाए गए हैं. इस रिपोर्ट में कई जगह पर मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा का बार-बार जिक्र किया गया है. अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) की रिपोर्ट 25 अप्रैल, 2022 को जारी की गई थी.

यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट ने भारत को 'विशेष चिंता वाले देश' (सीपीसी) के रूप में सूचीबद्ध किया और इसे 15 देशों के समूह में रखा था, जिसमें रूस, चीन, तालिबान-नियंत्रित अफगानिस्तान, बर्मा, इरिट्रिया, ईरान, नाइजीरिया, उत्तर कोरिया, सऊदी अरब शामिल हैं। सीरिया, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और वियतनाम जैसे देश शामिल हैं.

इसके अनुसार, '2021 में, भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति काफी खराब हो गई. भारत सरकार ने उन नीतियों के प्रचार और प्रसार को बढ़ाया - जिसमें हिंदू-राष्ट्रवादी एजेंडे को बढ़ावा देना शामिल है - जो मुसलमानों, ईसाइयों, सिखों, दलितों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों के प्रति शत्रुतापूर्ण मौजूदा और नए कानूनों और संरचनात्मक परिवर्तनों दोनों के उपयोग के माध्यम से राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर एक हिंदू राज्य की अपनी वैचारिक दृष्टि को व्यवस्थित करना जारी रखा.

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