ETV Bharat / bharat

जरूरी है कि भारत के म्यांमार के साथ संबंध मजबूत बनें रहें - काटजू

author img

By

Published : Dec 23, 2021, 4:22 PM IST

india's Former ambassador to Myanmar Vivek Katju
म्यांमार में भारत के पूर्व राजदूत विवेक काटजू (फाइल फोटो)

विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला (Foreign Secretary Harsh V Shringla) के म्यांमार दौरे के बीच म्यांमार में भारत के पूर्व राजदूत विवेक काटजू ने कहा है कि भारत से म्यांमार के लोगों के साथ हमेशा करीबी संबंध रहे हैं और कोरोना के दौर में भी इसे मजबूत बनाए रखना चाहिए. पढ़िए ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता चन्द्रकला चौधरी की रिपोर्ट...

नई दिल्ली : भारत के म्यांमार के लोगों के साथ बहुत करीबी संपर्क और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं और यह आवश्यक है कि कोविड- 19 के इस समय के दौरान म्यांमार के लोगों के साथ संबंध मजबूत बने रहें. उक्त बातें म्यांमार में भारत के पूर्व राजदूत विवेक काटजू (india's Former ambassador to Myanmar Vivek Katju) ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में कहीं.

बता दें कि विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला (Foreign Secretary Harsh V Shringla) 22 से 23 दिसंबर तक म्यांमार की कार्यकारी यात्रा पर हैं. काटजू ने कहा कि भारत हमेशा म्यांमार में एक लोकतांत्रिक व्यवस्था को देखने के लिए उत्सुक है, लेकिन वह म्यांमार के अद्वितीय इतिहास और एक संवेदनशील पड़ोसी में अपने हितों की रक्षा करने की आवश्यकता के प्रति भी जागरूक है.

काटजू ने कहा कि इसलिए, यथार्थवाद के दृष्टिकोण से यह आवश्यक है कि भारत म्यांमार के सैन्य शासन को शामिल करे. उन्होंने कहा कि यही विदेश सचिव की म्यांमार यात्रा से ऐसे संकेत हैं. म्यांमार के सैन्य-समर्थित शासन के दौरान भारत के विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला ने मंगलवार शाम को दो दिवसीय यात्रा के लिए यांगून पहुंचे थे, वे नेपीता भी जाएंगे. उन्होंने कहा कि विदेश सचिव में कोविड 19 के दस लाख टीकों की डोज दी है, वह भी ऐसे समय जब भारत को खुद टीकों की जरूरत है.काटजू ने आगे कहा कि विदेश सचिव पूर्वोत्तर में सक्रिय विद्रोही समूहों के बारे में भारत की चिंताओं से अवगत कराएंगे. इस बारे में भारत हमेशा म्यांमार के अधिकारियों को अपनी चिंता से अवगत कराता रहा है.

ये भी पढ़ें - भारत ने म्यांमार रेड क्रॉस सोसाइटी को कोविड-19 टीकों की 10 लाख से अधिक खुराक सौंपी

उन्होंने कहा कि मैं म्यांमार सैन्य शासन के साथ विदेश सचिव के जुड़ाव को निरंतर संबंधों के एक भाग के रूप में देखता हूं. उन्होंने कहा कि यह अच्छा है कि म्यांमार को भारत की चिंताओं और विद्रोही समूहों की गतिविधियों के बारे में बहुत वरिष्ठ राजनयिक स्तर पर संवेदनशील बनाया जाएगा. क्योंकि भारत-म्यांमार सीमा से सटे कई क्षेत्र में इनकी गतिविधियां संचालित हैं.यह पूछे जाने पर कि क्या यह यात्रा म्यांमार में सैन्य तख्तापलट की नई दिल्ली की मान्यता की स्वीकृति की ओर संकेत है. इस पर काटजू ने कहा, 'यह एक मान्यता है कि भारत म्यांमार में अपने हितों को देखता है और ये हित विविध प्रकार के हैं. उन्होंने कहा कि भारत के हित में म्यांमार में जो भी सत्ता में है, उसके साथ जुड़ाव की आवश्यकता है और यह संकेत विदेश सचिव की इस यात्रा से दिया गया है.

इसके अलावा, यह दौरा नेपीता की एक अदालत द्वारा पूर्व स्टेट काउंसलर आंग सान सू की को चार साल कैद की सजा सुनाए जाने के दो सप्ताह बाद आया है, जिस पर भारत ने गहरी चिंता जताई थी. सभी संबंधितों के साथ अपनी बैठकों के दौरान, विदेश सचिव ने म्यांमार की जल्द से जल्द लोकतंत्र में वापसी देखने में भारत की रुचि पर जोर दिया. इसके अलावा बंदियों और कैदियों की रिहाई के अलावा बातचीत के माध्यम से मुद्दों का समाधान और सभी प्रकार की हिंसा को पूर्ण रूप से समाप्त करना शामिल है. उन्होंने आसियान पहल के लिए भारत के मजबूत और लगातार समर्थन की पुष्टि करने के साथ ही आशा व्यक्त की कि पांच सूत्री सहमति के आधार पर व्यावहारिक और रचनात्मक रूप से प्रगति की जाएगी.

इसीक्रम में एक हिस्से का उपयोग भारत के साथ म्यांमार की सीमा पर रहने वाले समुदायों के लिए किया जाएगा. इसके तहत म्यांमार को 10,000 टन चावल और गेहूं के अनुदान देने की भी घोषणा की गई.विदेश सचिव ने भारत-म्यांमार सीमा क्षेत्रों के साथ-साथ जन-केंद्रित सामाजिक-आर्थिक विकास परियोजनाओं के लिए भारत के निरंतर समर्थन के साथ-साथ मल्टीमॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट और त्रिपक्षीय जैसे चल रहे कनेक्टिविटी पहलों के शीघ्र कार्यान्वयन के लिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की. विदेश सचिव ने म्यांमार के लोगों के लाभ के लिए राज्य विकास कार्यक्रम और सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत परियोजनाओं को जारी रखने की भारत की प्रतिबद्धता को भी दोहराया.

ये भी पढ़ें - अमेरिका ने मानवाधिकार के मुद्दे पर चीन, म्यांमार और अन्य पर प्रतिबंध लगाया

इस यात्रा ने भारत की सुरक्षा से संबंधित मामलों को उठाने का अवसर भी प्रदान किया. विशेष रूप से हाल ही में दक्षिणी मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में हुई घटना का हवाला दिया गया. विदेश सचिव ने किसी भी हिंसा को समाप्त करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया. इस दौरान दोनों पक्षों ने यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई कि उनके संबंधित क्षेत्रों को किसी भी अन्य गतिविधियों के लिए शत्रुतापूर्ण गतिविधियों के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इस बारे में विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि भारत-म्यांमार के साथ लगभग 1700 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है. इससे उस देश के किसी भी विकास का भारत के सीमा क्षेत्रों पर सीधा प्रभाव पड़ता है.

म्यांमार में शांति और स्थिरता भारत के लिए, विशेष रूप से अपने उत्तर पूर्वी क्षेत्र के लिए अत्यंत अहम है. बताते चलें कि एक लोकतंत्र और करीबी पड़ोसी के रूप में भारत हमेशा म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए शामिल रहा है. इस संदर्भ में लोकतांत्रिक प्रणालियों को विकसित करने के विभिन्न पहलुओं पर जोर दिया है. भारत म्यांमार के लोगों की इच्छा के मुताबिक एक स्थिर, लोकतांत्रिक और संघीय संघ के रूप में उसके उभरने में उसका सहयोग करेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.