ETV Bharat / bharat

Rajasthan: देश की सबसे लंबी 8 लेन की टनल, अत्याधुनिक तकनीक से लैस इस सुरंग की 100 साल की गारंटी !

author img

By

Published : May 15, 2023, 9:09 PM IST

Updated : May 15, 2023, 10:36 PM IST

8 lane tunnel in kota
भारत की पहली 8 लेन की लंबी सुरंग

देश की सबसे लंबी 8 लेन की टनल राजस्थान के कोटा में बन रही है. यह दुनिया की अत्याधुनिक सुरंगों में शामिल होगी. जिले में स्थित मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के नीचे से इस टनल को गुजारा जाएगा. जानिए किस लेटेस्ट तकनीक से बनाई जा रही है सुरंग और क्या है इसकी खासियत...

देश की सबसे लंबी 8 लेन की टनल

कोटा. भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बना दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे राजस्थान के कोटा जिले में स्थित मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के ऊपर से होकर गुजर रहा है. ऐसे में यहां पर वन्य जीवों के लिए करीब 5 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जा रही है. यह सुरंग भारत की पहली 8 लेन की इतनी लंबी सुरंग है. इसका करीब 25 प्रतिशत काम हो गया है, शेष कार्य चल रहा है. यह दुनिया की अत्याधुनिक सुरंगों में शामिल होगी. इसके साथ ही निर्माण कर रही कंपनी अगले कई सालों तक इसकी मॉनिटरिंग भी करेगी.

सेंसर के जरिए होगी मॉनिटरिंग : सुरंग बनाने वाली कंपनी करीब 100 साल की गारंटी दे रही है. टनल में स्मोक सेंसर के अलावा कई तरह के अलग सेंसर लगे हुए हैं. जब इसमें कोई भी वाहन की आवाजाही नहीं होगी, तो अपने आप ही बिजली बंद हो जाएगी. जैसे ही वाहन आने वाले होंगे, बिजली वापस चालू हो जाएगी. फायर फाइटिंग, पॉल्यूशन कंट्रोल, फ्रेश एयर, व्हीकल मैनेजमेंट सबकुछ सेंसर के जरिए मॉनिटर होगा. मोबाइल और इंटरनेट नेटवर्क और एफएम स्टेशन की फ्रिकवेंसी के लिए भी बूस्टर लगाए जाएंगे.

पढ़ें. Delhi Mumbai Expressway पर बन रहे हाईटेक सुविधाओं से लैस कस्बे, गांव... इमरजेंसी के लिए हेलीपैड, ट्रामा सेंटर भी होगा उपलब्ध

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) कोटा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और जनरल मैनेजर जेपी गुप्ता का कहना है कि सुरंग का निर्माण जनवरी 2024 में पूरा होना था, लेकिन काम देरी से शुरू हुआ. वन्य क्षेत्र होने के चलते भी स्वीकृति में दिक्कत हुई थी. बाद में मलबे का निस्तारण की भी समस्या सामने आई थी. ऐसे में अब निर्माण कार्य में समय लगेगा और तय समय से कुछ माह देरी से निर्माण पूरा होगा.

इस तरह की बनेगी सुरंग : टनल मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के 500 मीटर पहले से शुरू हो जाएगी और टाइगर रिजर्व खत्म होने के 500 मीटर आगे तक चलेगी. इसमें आने-जाने के लिए सुरंग की 2 ट्यूब बनाई जा रही है, जिसमें 1 ट्यूब से चार लेन का ट्रैफिक गुजरेगा. इन दोनों ट्यूब को सुरंग के भीतर 9 जगह पर जोड़ा भी गया है, जिनका उपयोग इमरजेंसी में किया जा सकेगा. साथ ही सुरंग में 4 ले-बाय भी बनाए गए हैं, ताकि वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने या दिक्कत आने पर रोका जा सकेगा. सुरंग की 1 ट्यूब में 15 मीटर का रास्ता एक तरफ का रहेगा. साथ ही दोनों तरफ सवा-सवा मीटर का फुटपाथ रहेगा. हालांकि इस सुरंग में निर्माण के बाद पैदल जाना या वाहन से नीचे उतरना पूरी तरह से वर्जित है. इसकी ऊंचाई करीब 11 मीटर रहेगी. साथ ही इसे पूरी तरह से वॉटरप्रूफ किया जाएगा. ड्रेन के पानी को बाहर निकालने के लिए पंप लगाए जाएंगे.

8 lane tunnel in kota
कोटा में करीब 5 किलोमीटर लंबी सुरंग

निर्माण के साथ सुरंग की मॉनिटरिंग भी : सुरंग निर्माण कर रही दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड के जनरल मैनेजर राजीव पठानिया का कहना है कि सुरंग न्यू ऑस्ट्रेलियन टनल मैथड (नेटम) से बन रही है. पहले सुरंगों में डिजाइन के अनुसार ही उनकी मॉनिटरिंग की जाती थी और वैसा ही स्ट्रक्चर उनके लिए तैयार कर दिया जाता था, लेकिन नेटम तकनीक में हर दिन खुदाई के बाद मॉनिटरिंग की जाती है. जिस तरह का स्ट्रक्चर सुरंग के लिए जरूरी होता है, वैसा स्ट्रक्चर बनाया जाता है. खुदाई भी वैसे ही होती है.

पढ़ें. पर्यटकों को लुभाएगी दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस वे, क्योंकि अब कम खर्च में उठा सकेंगे घूमने का आनंद

1.6 किमी में सीमेंट कंक्रीट की सुरंग : एनएचएआई के जीएम जेपी गुप्ता ने बताया कि यह सुरंग 4.9 किलोमीटर लंबी है, जिसमें दो अलग-अलग ट्यूब बनाई जा रही हैं. इस सुरंग को मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के पहाड़ी इलाके में करीब 3.3 किलोमीटर खोदना है. कोटा की तरफ इस सुरंग को बढ़ाने के लिए 470 मीटर का रास्ता बनाया जा रहा है. सुरंग को दोनों तरफ 1.6 किलोमीटर बढ़ाया जा रहा है. इसके लिए सीमेंट कंक्रीट की सुरंग तैयार की जा रही है, जिसके ऊपर मिट्टी से कवर कर दिया जाएगा, ताकि वन्यजीव ऊपर से गुजर सकें.

अभी 2 किलोमीटर की खुदाई बाकी : जेपी गुप्ता के अनुसार 3.3 किमी के हिस्से को पहाड़ काटकर बनाया जा रहा है. ऐसे में कोटा की तरफ से काफी ज्यादा काम हो चुका है. कोटा की तरफ से एक ट्यूब में 1.3 और दूसरी में 1.2 किलोमीटर खुदाई हो चुकी है, जबकि चेचट की तरफ से इन दोनों ट्यूब में महज 100 और 90 मीटर की खुदाई ही हुई है. अभी भी करीब 2 किलोमीटर की खुदाई दोनों ट्यूब में होनी है.

स्काडा सिस्टम से जुड़ेंगे सीसीटीवी कैमरे : राजीव पठानिया का कहना है कि सुरंग के भीतर पूरी तरह से सेंसर स्थापित कर दिए जाएंगे. यह सुपरवाइजरी कंट्रोल एंड डाटा एक्विजिशन (स्काडा) मॉनिटरिंग सिस्टम से भी जोड़ी जाएगी, जिसमें सीसीटीवी कैमरे से लेकर अन्य सेंसर के जरिए मॉनिटरिंग की जाएगी. इसके साथ ही फायर फाइटिंग और कोई भी तरह की दुर्घटना के लिए स्मोक डिटेकटर और सेंसर लगाए जा रहे हैं. शुद्ध हवा के लिए जेट फैन लगाए जाएंगे. इन जेट फैन को सेंसर ऑटोमेटिक तरीके से मॉनिटरिंग कर चालू-बंद करेगा.

पढे़ं. Delhi Mumbai Expressway: एक्सप्रेस वे पर अब नहीं दौड़ सकेंगे बाइक, थ्री व्हीलर व ट्रैक्टर, लोगों को नहीं मिल रही सुविधा

वाहन रुकने पर तुरंत निकाला जाएगा बाहर : स्काडा सिस्टम से जुड़ने पर सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग भी की जाएगी. ऐसे में कोई भी वाहन अगर सुरंग के भीतर रुकता है या फिर कुछ अनयूजुअल लगता है, तब तुरंत सुरंग को मॉनिटरिंग कर रही टीम वहां पहुंच जाएगी. साथ ही अगर किसी तरह से बाहर में खराबी होती है, तो उसे ले-बाय में ले जाकर समस्या को दूर किया जा सकेगा. जरूरत पड़ने पर उसे क्रेन की मदद से बाहर निकाल दिया जाएगा.

1000 करोड़ से ज्यादा की लागत से बन रही : वर्तमान में सुरंग निर्माण के लिए 24 घंटे काम चल रहा है. करीब 700 से ज्यादा लेबर इस सुरंग के निर्माण कार्य में जुटे हुए हैं. साथ ही 40 इंजीनियर और 40 सुपरवाइजर के स्टाफ भी काम कर रहे हैं. इनमें टनल इंजीनियर भी हैं, जो जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में टनल निर्माण से पहले जुड़े रहे हैं. इसके अलावा स्वीडन से खास मंगाई गई ड्रिल जंबो मशीन के जरिए ड्रिलिंग की जाती है, जिसके बाद चट्टानों में विस्फोटक भरा जाता है.

पढ़ें. खुशखबरीः दिल्ली से सवाईमाधोपुर एक्सप्रेस वे शुरू होगा मई में, लगेंगे सिर्फ 4 घंटे

रोज केवल 7 से 8 मीटर हो पा रही खुदाई : टनल इंजीनियर दुर्गा नारायण कुमार का कहना है कि रोज करीब 7 से 8 मीटर ही खुदाई हो पा रही है. इसके लिए ब्लास्टिंग की जा रही है. सुरंग की खुदाई के लिए दिन में 16 ब्लास्ट किए जा रहे हैं, जिसमें एक ट्यूब में एक तरफ से चार ब्लास्ट हो रहे हैं. इसी तरह से दूसरी तरफ से भी चार ब्लास्ट किए जा रहे हैं. कोटा की तरफ से करीब 5 मीटर रोज खुदाई हो रही है, जबकि चेचट की तरफ से कम खुदाई हो रही है, क्योंकि वहां पर चट्टान थोड़े कमजोर हैं.

निर्माण में भी मॉनिटरिंग के लिए उपयोग ले रहे सेंसर : दुर्गा नारायण कुमार का कहना है कि पहले चट्टानों में ड्रिल जंबो मशीन के जरिए छेद किए जाते हैं, इसके बाद में बारूद भरा जाता है. ब्लास्ट के समय सभी लोगों को बाहर निकाल दिया जाता है. ब्लास्ट के बाद जेट फैन के जरिए पॉल्यूशन को बाहर किया जाता है. करीब आधे घंटे बाद सेंसर के जरिए पॉल्यूशन की जांच की जाती है. पूरी तरह से सेफ घोषित होने के बाद इंजीनियर और लेबर वहां जाते हैं. मशीनरी और ट्रांसपोर्ट व्हीकल के जरिए मलबे को बाहर निकाला जाता है. खुदे हुए ऊपरी हिस्से पर कंक्रीट का स्प्रे किया जाता है. इसके बाद अगले विस्फोट की तैयारी शुरू कर दी जाती है.

कमजोर चट्टान और सीपेज भी बड़ी परेशानी : कोटा की तरफ से मजबूत चट्टानों के कारण खुदाई में करीब 100 से 150 किलो विस्फोटक की जरूरत होती है. वहीं, चेचट की तरफ से क्लास फोर की चट्टान आ रही है, जिसमें करीब 75 से 100 किलो विस्फोटक की जरूरत होती है. इंजीनियर दुर्गा नारायण का कहना है कि हमारा टारगेट रोज 10 मीटर खुदाई का है, लेकिन चेचट की तरफ कमजोर चट्टान भी टनल की खुदाई में चैलेंज है. दूसरी तरफ सीपेज भी एक बड़ी परेशानी है.

Last Updated :May 15, 2023, 10:36 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.