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भाई को राखी बांधने की आस लिए भरतपुर पहुंची बहन का हुआ बुरा हाल, बोलीं- अब मैं राखी नहीं बांध पाउंगी

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Published : Aug 21, 2021, 8:38 PM IST

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दिल्ली से भाई को तलाशने आई एक बहन पर रक्षाबंधन (Raksha bandhan) के एक दिन पहले दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. अपना घर आश्रम में भाई को तलाशने आई बहन को भाई की मौत की खबर मिली. जिसके बाद गमजदा बहन बार-बार यही कह रही थी कि अब मैं भाई को राखी नहीं बांध पाउंगी.

भरतपुर : बहनें साल भर बेसब्री से रक्षाबंधन (Raksha bandhan 2021) के पर्व का इंतजार करती हैं, लेकिन शनिवार को एक बहन की भाई की कलाई पर राखी बांधने की आस टूट गई. भाई को तलाशने अपना घर आश्रम आई दिल्ली निवासी सुषमा को भाई के निधन की खबर मिली. सुषमा का रो-रो कर बुरा हाल हो गया.

अपना घर आश्रम (Apna Ghar Ashram Bharatpur) के संस्थापक डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि दिल्ली निवासी सुषमा अपने भाई की तलाश में शनिवार को अपना घर आश्रम आई थीं. दो महीने पहले दिल्ली से सुषमा के भाई को इलाज के लिए एक संस्था की मदद से भेजा था. दिल्ली की संस्था से पता करने पर सुषमा को पता चला कि उसके भाई को इलाज के लिए 28 जून 2021 को एम्बुलेंस से अपना घर आश्रम भरतपुर भेजा गया.

bharatpurभाई को राखी बांधने की आस लिए भरतपुर पहुंची बहन का हुआ बुरा हाल

जिसके बाद सुषमा भाई को ढूंढते हुए भरतपुर पहुंच गईं. सुषमा कहती हैं कि वह बीते कई दिनों से अपने भाई को कई आश्रमों में तलाश चुकी हैं. आखिर में शनिवार को सुषमा भरतपुर के अपना घर आश्रम पहुंचीं और यहां के संस्थापक डॉ. बीएम भारद्वाज से मुलाकात की. करीब 2 घंटे तक सुषमा के भाई मदन मोहन के नाम का रिकॉर्ड खंगाला गया. तब जाकर पता चला कि सुषमा जिस भाई को रक्षाबंधन पर राखी बांधने की आस में आईं हैं, उसकी तो गंभीर बीमारी के चलते 3 जुलाई 2021 को ही मौत हो गई.

डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि मदन मोहन को अपना घर आश्रम में भर्ती कराया गया था. उनकी तबीयत काफी गंभीर थी और 5 दिन बाद ही 3 जुलाई को इलाज के दौरान मौत हो गई. अपना घर आश्रम के रिकॉर्ड में अपने भाई की पहचान में जुटी सुषमा को जैसे ही कंप्यूटर स्क्रीन पर अपने भाई की फोटो नजर आई, उन्होंने खुशी-खुशी अपना घर आश्रम प्रबंधन को अपने भाई को पहचानकर बात दिया, लेकिन पल भर में ही उनकी खुशी गम में बदल गई. आश्रम की रिकॉर्ड फाइल देखी गई तो उसमें मदनमोहन की मौत की जानकारी मिली. जिसके बाद सुषमा फूट-फूट कर रोने लगीं. बहन की जुबान पर बार-बार यही था कि अब मैं कभी भाई को राखी नहीं बांध पाउंगी.

अस्थियां भी नसीब नहीं हो पाईं

गमजदा सुषमा ने अपने भाई की अस्थियां लेनी चाही लेकिन आश्रम प्रबंधन से पता चला कि उन्हें भाई की अस्थियां भी नहीं मिल पाएंगी. डॉक्टर बीएम भारद्वाज ने बताया कि हर माह आश्रम में शरीर त्याग करने वाले लोगों का अंतिम संस्कार करने के बाद उनकी अस्थियों का गंगा जी में विसर्जन करवा दिया जाता है. मायूस बहन अपने भाई की मौत का गम सीने में लिए खाली हाथ ही वापस दिल्ली लौट गई.

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