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राजस्थान : ऑटो सेक्टर की कमर तोड़ रही कोरोना की दूसरी लहर

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Published : Apr 10, 2021, 9:54 PM IST

कोरोना की दूसरी लहर ने ऑटो सेक्टर से जुड़े लोगों को परेशानी में ला दिया है. इससे ऑटो सेक्टर को काफी नुकासन हो सकता है. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने भारत सरकार के ऑटोमोबाइल स्किल डेवलपमेंट काउंसिल के चेयरमैन निकुल साहंगी से बातचीन की है. जानिए कहा कहते हैं विशेषज्ञ...

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जयपुर : कोरोना की दूसरी लहर ने कई व्यवसायों को प्रभावित किया है. देश का बड़ा सेक्टर ऑटो सेक्टर है. कोरोना की दूसरी लहर ने ऑटो सेक्टर से जुड़े हुए अकेले राजस्थान के 10 लाख लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है.

कोरोना की पहली लहर के बाद कामकाज शुरू हुआ तो लोगों को लगा कि जनजीवन पटरी पर आने लगेगा और नुकसान की भरपाई होगी. लेकिन फिर से शुरू हुई कोरोना की दूसरी लहर ने ऑटो सेक्टर से जुड़े लोगों को परेशानी में ला दिया है.

दूसरी लहर का ऑटो इंडस्ट्री पर असर (भाग 1)

ऑटोमोबाइल सेक्टर में पांच सेगमेंट होते हैं. प्रत्येक सेगमेंट में हर माह देशभर में लाखों गाड़ियां बिकती हैं. ऐसे में ऑटो पार्ट्स बनाने, गाड़ी रिपेयर करने, पंचर लगाने वाले से लेकर अलग-अलग वर्ग के लोग इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं. ऐसे में नए रोजगार तो दूर, जो लोग अभी काम कर रहे हैं उन लोगों की रोजी-रोटी भी संकट में आ गई है.

भारत सरकार के ऑटोमोबाइल स्किल डेवलपमेंट काउंसिल के चेयरमैन निकुल साहंगी ने कहा कि कोरोना के चलते साल 2020 पूरी तरह से खराब रहा. बीते पांच सालों में सबसे ज्यादा गिरावट इस साल दर्ज की गई. उसके बाद हालात सामान्य होने लगे थे. बाजार खुलने लगे थे. उस दौरान लगा कि अब हालात ठीक होंगे और नुकसान की भरपाई हो पाएगी. लेकिन एक बार फिर कोरोना और लॉक डाउन लगने लगा है.

महाराष्ट्र पूरी तरह से लॉक डाउन हो चुका है. मध्यप्रदेश में चार सप्ताह का लॉकडाउन घोषित हो चुका है. ऐसे में राजस्थान में भी लगातार सरकार की तरफ से सख्ती बरती जा रही है. रात्रि कर्फ्यू शुरू हो गया है. एक दिन का लॉक डाउन लगाया गया है.

ऑटो इंडस्ट्री एक बार फिर से अपने निचले पायदान पर जाती नजर आ रही है. देश की 35 प्रतिशत वाहन निर्माता कंपनियां महाराष्ट्र में हैं और वहां वाहन बनते हैं. ऐसे में वाहन नहीं बन पाएंगे और पूरे देश में वाहनों की सप्लाई रुक जाएगी. लगातार कारों की बुकिंग की वेटिंग लंबी हो रही है.

उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में मैन्युफैक्चर या डीलर पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा. यह लोग सक्षम हैं, एक पल के लिए नुकसान झेल सकते हैं. लेकिन ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े हुए इंश्योरेंस बेचने वाले, फाइनेंस वाले, सड़क के किनारे गाड़ियों की पंचर लगाने वाले, छोटी-छोटी वर्कशॉप, गाड़ी रिपेयरिंग की दुकान चलाने वाले लोग काम काज कम होने से प्रभावित होंगे.

दूसरी लहर का ऑटो इंडस्ट्री पर असर (भाग 2)

राजस्थान में 3,500 बाइक व कारों की रेट डीलर हैं. इनमें डायरेक्ट रूप से करीब दो लाख लोग काम करते हैं. इसके अलावा ट्रैक्टर ट्रक हैवी व्हीकल की करीब 2,000 से अधिक डीलर हैं. इनमें भी एक से डेढ़ लाख लोग काम करते हैं. साथ ही इंश्योरेंस फाइनेंस वर्कशॉप ऑटो पार्ट्स का काम करने वाले करीब 8 लाख से अधिक लोग हैं. राजस्थान में होंडा मारुति जैसी बाइक, कार, टेंपो, ट्रक, बस व ट्रैक्टर की निर्माता कंपनियां हैं. जिनमें करीब तीन लाख लोग काम करते हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में ऑटो पार्ट्स बनाने की छोटी-बड़ी यूनिटी व औद्योगिक इकाइयां हैं. इनमें भी बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं. इसके अलावा इनडायरेक्ट रूप में भी लाखों लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं. ऐसे में कोरोना का प्रभाव सभी पर पड़ेगा.

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अगर फिर से लॉकडाउन की प्रक्रिया हुई तो फर्म नए लोगों को नौकरी पर रख रही थी, उन की प्रक्रिया तो रुकेगी ही, साथ ही जिन लोगों को नौकरी पर रखा हुआ है उनको भी निकालने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

निकुल साहंगी ने कहा कि ऑटो सेक्टर को पांच कैटेगरी में बांटा गया है. इसमें टू व्हीलर, थ्री व्हीलर, कार, ट्रक व ट्रैक्टर है. केवल ट्रैक्टर व कार के व्यापार में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. ट्रैक्टर की अगर बात करें तो किसान को लेबर नहीं मिल पाई. इसलिए वो तकनीक और मशीनों पर आया और ट्रैक्टर की बिक्री बढ़ी. अकेले ट्रैक्टर क्षेत्र में करीब 30 प्रतिशत की ग्रोथ दर्ज की गई है. जबकि टू व्हीलर थ्री व्हीलर कमर्शियल व्हीकल में 30 से लेकर 50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. थ्री व्हीलर में सबसे ज्यादा 52 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. उन्होंने कहा कि अगर टू व्हीलर मार्केट में 10 प्रतिशत की गिरावट होती है तो पूरा ऑटो मार्केट 8 प्रतिशत डाउनफॉल में चला जाता है. टू व्हीलर में गिरावट का मतलब है कि पेट्रोल महंगा हो गया है. लोगों के पास पैसे नहीं हैं. ऐसे में लोग नया वाहन नहीं खरीद रहे हैं. आम आदमी का संबंध सीधे तौर पर दो पहिया वाहनों से है.

उन्होंने कहा कि कार के बाजार में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. दरअसल कोरोना काल में संक्रमण से बचने के लिए लोगों ने कार खरीदी. शुरुआत में यह लोग शेयरिंग व सरकारी वाहन का उपयोग करते थे. लेकिन संक्रमण को देखते हुए लोगों ने खुद की गाड़ी खरीदी. फिर चाहे दुख पाकर ही सही अपनी गाड़ी खरीदी और इसके चलते कार के बाजार में बढ़ोतरी दर्ज हुई.

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ऐसे में साफ है कि अगर कोरोना का प्रभाव और लॉकडाउन लंबा चलता है तो ऑटो क्षेत्र पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ेगा. इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी नजर आएगा. ऑटो विशेषज्ञों ने कहा इस संबंध में सरकार को अवगत कराया गया है. सरकार के मंत्री और अधिकारियों से इस बारे में चर्चा की गई है और समाधान निकालने पर भी काम शुरू हुआ है. इसके अलावा देशभर के ऑटो व्यापारी ऑटो एक्सपर्ट गंभीरता से इस पर काम कर रही हैं.

सरकार के संज्ञान में लाए गए अहम सवाल

लगातार आ रही दिक्कतों के संबंध में सरकार से कई अहम बैठक हुई. उनमें सभी मुद्दों पर चर्चा की. ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े हुए पदाधिकारी और कारोबारी भी लगातार कोरोना काल और लॉक डाउन के बाद होने वाले नुकसान से उबरने के प्रयास कर रहे हैं.

गाड़ियों की सेल में आ रही है भारी गिरावट

ऑटो इंडस्ट्री से जुड़े हुए कारोबारियों ने कहा कि हाल ही में आई कई रिपोर्टों के आधार पर नई गाड़ियों की बिक्री में भारी गिरावट हुई है. केवल कार और ट्रैक्टर की सेल में बढ़ोतरी हुई है. इसके अलावा बाइक बस ट्रक कमर्शियल व्हीकल में भारी गिरावट दर्ज की गई है. फरवरी, मार्च व अप्रैल का समय दो पहिया वाहनों की बिक्री का सबसे अहम समय रहता है. सभी वर्ग वाहन खरीदते हैं. लेकिन लगातार दूसरे साल शोरूम में गाड़ियां तो खड़ी हैं, लेकिन उनके खरीदार नहीं हैं.

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