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उम्मीद है भारत हस्तक्षेप करेगा, फिलिस्तीन में बच्चों और नागरिकों की हत्याओं की निंदा करेगा: फिलिस्तीनी राजदूत

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 6, 2023, 5:19 PM IST

Updated : Nov 6, 2023, 9:04 PM IST

इजरायल और गाजा के बीच युद्ध पांचवें सप्ताह में प्रवेश कर रहा है. इस बीच भारत में फिलिस्तीन के राजदूत अदनान अबू अलहैजा ने ईटीवी भारत के साथ एक विशेष बातचीत में कहा कि 'मुझे उम्मीद है कि भारत दोनों पक्षों को एक ही दृष्टिकोण से देखेगा और बच्चे व निर्दोष नागरिक जिन्हें हम हर दिन मरते देखते हैं, हत्याओं की निंदा करेगा. हम अभी भी उम्मीद कर रहे हैं कि भारत हस्तक्षेप करेगा, युद्धविराम का आह्वान करेगा और लोगों की हत्याओं की निंदा करेगा. पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा को दिया गया पूरा इंटरव्यू. Palestinian Ambassador to India Adnan Abu Alhaija.

Adnan Abu Alhaija
फिलिस्तीनी राजदूत

सवाल: युद्ध के बारे में आपका वर्तमान आकलन क्या है?

जवाब: हम अब इस युद्ध के पांचवें सप्ताह में हैं. स्थिति बहुत कठिन है. मुझे नहीं लगता कि इस तरह की घेराबंदी हमने पहले कभी देखी है. मैं नहीं जानता कि क्या नाज़ियों की लेनिनग्राद घेराबंदी के दौरान भी ऐसा ही था. उनकी स्थिति फ़िलिस्तीनियों की स्थिति से कहीं बेहतर थी.

आज, लगभग 2.2 मिलियन फिलिस्तीनी लोग पानी, ईंधन और ऑक्सीजन के बिना रह रहे हैं और ऐसा लगता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका अन्य औपनिवेशिक देशों के साथ मिलकर इजरायलियों के इन सभी अपराधों पर पर्दा डाल रहा है. इजरायली अब शरणार्थी आश्रयों और अस्पतालों पर बमबारी कर रहे हैं. स्थिति बर्बर है और वे कह रहे हैं कि वे हमास पर हमला कर रहे हैं.

सवाल: आप नई दिल्ली की प्रतिक्रिया को किस प्रकार देखते हैं? यहां तक ​​कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी, भारत ने शांतिपूर्ण संघर्षविराम के प्रस्ताव से खुद को दूर रखा.

जवाब: मैं अब तक उम्मीद कर रहा था कि भारत कम से कम युद्धविराम का आह्वान करेगा. उन्होंने हमास की निंदा की है और यूएनजीए में भाग नहीं लिया है. 10,000 से अधिक लोग पहले ही मारे जा चुके हैं. जब इज़रायलियों ने इमारतों और अस्पतालों पर हमला किया तो हज़ारों लोग मारे गए. हजारों लोग अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं और हमारे पास उन्हें निकालने के लिए उपकरण भी नहीं हैं.

सवाल: क्या आपको लगता है कि आने वाले दिनों में नई दिल्ली शांतिदूत बनकर उभर सकती है?

जवाब: मुझे उम्मीद है. इस युद्ध की शुरुआत के बाद से मैंने उन्हें कई बार बुलाया है. यह भारत के लिए अच्छा है अगर वह वार्ताकार के रूप में कार्य कर सके. भारत अब विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाला एक अत्यंत महत्वपूर्ण देश है, और यहां एक सम्माननीय प्रधानमंत्री हैं. मुझे उम्मीद है कि वे (भारत) दोनों पक्षों को एक ही दृष्टिकोण से देखेंगे और बच्चों और निर्दोष नागरिकों की हत्याओं की निंदा करेंगे जो हम हर दिन देखते हैं. इज़रायल हमास से नहीं लड़ रहा है क्योंकि वे फिलिस्तीनियों, ईमानदार लोगों और नागरिकों को मार रहे हैं.

इज़रायल दशकों से यही कर रहा है. हमने हमास के एक भी सैनिक को अस्पताल आते नहीं देखा, हमने केवल बच्चों, महिलाओं और मासूमों को अस्पतालों में आते देखा है. हम अब भी उम्मीद कर रहे हैं कि भारत हस्तक्षेप करेगा, युद्धविराम का आह्वान करेगा और ईमानदार लोगों की हत्याओं की निंदा करेगा.

सवाल: वास्तव में इस युद्ध की शुरुआत किस वजह से हुई?

जवाब: इसके कई कारण हैं और यह सिर्फ 7 अक्टूबर का दिन नहीं है. मुख्य कारण वे समस्याएं हैं जिनका फिलिस्तीनी 75 वर्षों से और वेस्ट बैंक और गाजा 56 वर्षों से सामना कर रहे हैं. हम शांति के लिए इजरायल के साथ विकसित हुए हैं और समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. 1993 (ओस्लो समझौते) में हमने उनके साथ एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए.

हमने यित्ज़ाक राबिन के साथ जिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, उसके अनुसार फिलिस्तीनी स्वतंत्र राज्य 1999 में अस्तित्व में होना चाहिए था, लेकिन वर्तमान सरकार और चरमपंथियों के नेताओं ने राबिन की हत्या कर दी. तब से, वे फिलिस्तीनी भूमि को जब्त करके, अधिक बस्तियां बनाकर, अधिक से अधिक निवासियों को लाकर और फिलिस्तीनी नागरिकों पर हमला करके ओस्लो समझौते और दो-राज्य समाधान को नष्ट कर रहे हैं.

और मैं आपको बता दूं, उस समझौते के अनुसार वेस्ट बैंक को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया था. ज़ोन ए शहर हैं, ज़ोन बी टाउन है, और ज़ोन सी के बीच में इज़रायली ज़ोन सी को 100% नियंत्रित करते हैं जो वेस्ट बैंक का 61% है. उस एरिया में हम कोई कमरा नहीं बना सकते और अगर आप कुछ बनाएंगे तो वो आपको इजाजत नहीं देंगे और उसे तोड़ देंगे. चरमपंथी आबादकार हर दिन आम फ़िलिस्तीनियों पर हमला करते हैं और यह एक आदर्श बन गया है. ये अब रुकना चाहिए.

सवाल: संयुक्त राज्य अमेरिका के शीर्ष नेता 7 अक्टूबर से इज़रायल और मध्य पूर्व का दौरा कर रहे हैं. अमेरिकी महासचिव एंटनी ब्लिंकन ने भी कल वेस्ट बैंक का दौरा किया और फिलिस्तीनी राष्ट्रपति से मुलाकात की. यह युद्ध किस ओर जा रहा है?

जवाब: मुझे लगता है कि इस युद्ध में संयुक्त राज्य अमेरिका मुख्य भागीदार है. ब्लिंकन की यह यात्रा सिर्फ इजरायलियों के अपराधों पर पर्दा डालने के लिए है. वे युद्धविराम के भी ख़िलाफ़ हैं क्योंकि वे यूरोप के पुराने उपनिवेशवादी देशों के साथ इस युद्ध के मुख्य भागीदार हैं.

सवाल: क्षेत्र में गैर-राज्य तत्वों के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. हम ईरान और हिजबुल्लाह से बयान सुन रहे हैं. आप फ़िलिस्तीन का भविष्य कहां देखते हैं? क्या यह युद्ध क्षेत्र में और अधिक मुसीबतें फैला सकता है?

जवाब: मुझें नहीं पता. मैं ईरानी या हिजबुल्लाह नहीं हूं. जो आप भी पढ़ते हैं वही मैं भी पढ़ता हूं. हमने हसन नसरल्लाह और ईरानियों से भी बयान सुने हैं. हम इस युद्ध को आगे बढ़ाने के बारे में नहीं सोच रहे हैं और हम युद्धविराम की उम्मीद कर रहे हैं. हम अपने ईमानदार लोगों की रक्षा करना चाहते हैं. युद्ध फ़िलिस्तीनी लोगों के विरुद्ध है, हमास के विरुद्ध नहीं. हमने हमास के सैनिकों को मरते या अस्पतालों में भर्ती होते नहीं देखा है. इस युद्ध के सबसे पहले शिकार नागरिक ही हैं.

सवाल: रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि रूस का भाड़े का समूह सक्रिय रूप से हिजबुल्लाह के संपर्क में है. इस पर आपका क्या विचार है?

जवाब: मुझे डर है कि यह एक मजाक है. मुझे नहीं पता कि वैगनर सीरिया में है या नहीं.

सवाल: क्या दो-राज्य समाधान अभी भी एक व्यवहार्य विकल्प है?

जवाब : यह सबसे व्यावहारिक समाधान है. लेकिन हम सिर्फ दो-राज्य समाधान की बात नहीं कर रहे हैं. मैं आपको याद दिला दूं कि डोनाल्ड ट्रंप के लिए फिलिस्तीन सुरंगों या पुलों से जुड़े 14 शहर थे. ये फिलिस्तीन का राज्य है. लेकिन हम जिस चीज़ की तलाश कर रहे हैं वह 1967 की भूमि पर फिलिस्तीन का राज्य है जिसकी राजधानी पूर्वी येरुशलम है.

सवाल: इज़रायल ने पहले ही अरब देशों के साथ संबंध विकसित कर लिए थे, चाहे वह अब्राहम समझौता हो या अफवाहें कि सऊदी-इज़रायल शांति समझौता होने वाला था. और फिर यह 7 अक्टूबर को हुआ. क्या आपको नहीं लगता कि यह हमास द्वारा संबंधों को सामान्य होने से रोकने का एक प्रयास था?

जवाब : मुझे ऐसा नहीं लगता. हमास ने जो किया है उसके लिए बहुत लंबे समय की तैयारी की जरूरत है. और सऊदी-इजरायल के बीच जिस डील के बारे में हम सुन रहे हैं वो बिल्कुल नई है. इसके अलावा, यह एक मजाक है क्योंकि इसे संबंधों के सामान्य होने से 7 अक्टूबर से नहीं जोड़ा जा सकता है. सऊदी अरब शांति के लिए अरब पहल का मालिक होने के नाते, मुझे उम्मीद है कि अगर वे इज़रायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाना चाहते हैं तो वे फिलिस्तीनी मुद्दे के वास्तविक समाधान पर जोर देंगे.

इज़रायली अरब देशों के साथ समझौते कर रहे हैं लेकिन बात यह है कि वे गाजा, वेस्ट बैंक, हाइफ़ा और अन्य हिस्सों में रहने वाले फिलिस्तीनियों की अनदेखी कर रहे हैं. पश्चिम एशिया में सुरक्षा तब तक नहीं होगी जब तक फिलिस्तीनी लोगों को उनके अधिकार नहीं मिल जाते और उन्हें सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक सुरक्षा नहीं मिल जाती. हम अब तंग आ चुके हैं और शांतिपूर्ण समाधान चाहते हैं.

सवाल: लेकिन क्या आपको नहीं लगता कि 7 अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए हमले ने फिलिस्तीनी मुद्दे को गतिरोध में डाल दिया है?

जवाब: फ़िलिस्तीनी मुद्दा फ़िलिस्तीनी लोगों के लिए है. हमास फ़िलिस्तीनी लोग नहीं हैं, यह फ़िलिस्तीनी लोगों का एक हिस्सा है. और, मुझे लगता है कि दुनिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने देखा है कि गाजा में हमारे लोग 17 वर्षों से घेराबंदी में रह रहे हैं. वे चल-फिर नहीं सकते, स्वतंत्र महसूस नहीं कर सकते और अत्यधिक गरीबी है. हम अब अंतिम समाधान चाहते हैं.

अगर वे सोचते हैं कि फ़िलिस्तीनी लोग सफ़ेद झंडा उठाएंगे, तो उन्हें नहीं पता कि फ़िलिस्तीनी लोगों का स्वभाव क्या है. और अगर वे सोचते हैं कि हम 1948 की गलती करेंगे और गाजा और वेस्ट बैंक से शरणार्थी बन जाएंगे, तो वे फिलिस्तीनियों की प्रकृति को भी नहीं जानते हैं. हम फ़िलिस्तीनी हमारी ज़मीन के हैं और हम वहीं जिएंगे और वहीं मरेंगे.

सवाल: क्या यह युद्ध अब फ़िलिस्तीनी मुद्दे का अंतिम समाधान ला सकता है?

जवाब: अगर नहीं, तो ये आखिरी युद्ध नहीं है. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय जिम्मेदार है.

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Last Updated : Nov 6, 2023, 9:04 PM IST
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