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भूमि के अवैध अतिक्रमण को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे : असम सीएम

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Published : Dec 31, 2022, 4:05 PM IST

असम में अतिक्रमण हटाओं अभियान को लेकर लोकसभा सांसद मौलाना बदरुद्दीन ने राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है. इसे लेकर असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा (Assam CM Himanta Sarma) ने कहा कि 'एक मुख्यमंत्री के रूप में मुझे भूमि के अवैध अतिक्रमण को रोकने के लिए ये कड़े कदम उठाने होंगे.'

Assam CM Himanta Sarma
हिमंत बिस्वा सरमा

नई दिल्ली : ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के सुप्रीमो और लोकसभा सांसद मौलाना बदरुद्दीन ने इस कड़ाके की ठंड के मौसम में असम में निष्कासन अभियान को रोकने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से हस्तक्षेप की मांग की है. बदरुद्दीन की इस मांग के एक दिन बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Assam CM Himanta Sarma) ने ईटीवी भारत के एक सवाल के जवाब में कहा 'मैं भी बेदखली के इस विचार के खिलाफ हूं, लेकिन एक मुख्यमंत्री के रूप में मुझे भूमि के अवैध अतिक्रमण को रोकने के लिए ये कड़े कदम उठाने होंगे.'

हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि 'हम शीर्ष अदालत और गुवाहाटी उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार निष्कासन कर रहे हैं और हम कोई अवैध कार्य नहीं कर रहे हैं. यह निष्कासन कानूनी तरीके से किया जा रहा है. लोगों की भूमि, वन क्षेत्र की भूमि, '17 मंदिरों' की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है, इसलिए हमें ऐसे कठोर कदम उठाने पड़े. एआईयूडीएफ एमपी इस तरह के बयान देने के लिए स्वतंत्र है और अगर मुझे राष्ट्रपति से कोई आदेश या पत्र मिलता है कि इस बेदखली को रोका जाना चाहिए, हमें आश्वासन दिया जाएगा कि यह अदालत की अवमानना ​​​​नहीं होगी, तो हम इसका अनुपालन करेंगे.'

असम के सीएम की प्रतिक्रिया ऐसे समय में आई है जब असम कैबिनेट ने नई दिल्ली के असम भवन में बैठक की और बैठक के बाद मीडिया को जानकारी दी.सरमा ने मीडिया को संबोधित करते कहा कि चार जिलों के विलय को मंजूरी दी गई है. यह 'राज्य के हित' में किया जा रहा है. सरमा की घोषणा के अनुसार, होजई को नागांव जिले में, तमुलपुर को बक्सा जिले में, बजाली को बारपेटा जिले में और बिश्वनाथ जिले को सोनितपुर जिले में विलय कर दिया जाएगा.

31 दिसंबर को कैबिनेट की यह बैठक क्यों हुई, इस सवाल पर सीएम ने जवाब दिया कि 'चुनाव आयोग अब 'परिसीमन' की अधिसूचना लेकर आया है, जिसके अनुसार परिसीमन प्रक्रिया 1 जनवरी से शुरू होगी और भारत निर्वाचन आयोग (ECI) सरकार को परिसीमन प्रक्रिया के दौरान कोई नई प्रशासनिक इकाई नहीं बनाने का निर्देश दिया है. इसलिए, हमने काफी विचार-विमर्श के बाद यह फैसला लिया है.'

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