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मैं एक किसान हूं, जानता हूं कि गरीब किसान पराली प्रबंधन के लिए मशीनरी नहीं खरीद सकते: न्यायाधीश

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Published : Nov 13, 2021, 6:10 PM IST

Updated : Nov 13, 2021, 6:27 PM IST

उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत (Justice Surya Kant) ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि वह एक किसान हैं और प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमना (Chief Justice NV Ramana) एक किसान परिवार से हैं तथा वे जानते हैं कि उत्तरी राज्यों में गरीब और हाशिए पर रहे किसान पराली प्रबंधन के लिए मशीनरी नहीं खरीद सकते. पढ़िए पूरी खबर..

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Justice Surya Kant) ने शनिवार को कहा कि वह एक किसान हैं और प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एन वी रमना (Chief Justice NV Ramana) एक किसान परिवार से हैं तथा वे जानते हैं कि उत्तरी राज्यों में गरीब और हाशिए पर रहे किसान पराली प्रबंधन के लिए मशीनरी नहीं खरीद सकते.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, 'आप कह रहे हैं कि दो लाख मशीन उपलब्ध हैं, लेकिन गरीब किसान इन मशीनों को नहीं खरीद सकते. कृषि कानूनों के बाद उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा में भूमि जोत तीन एकड़ से कम है. हम उन किसानों से वे मशीन खरीदने की उम्मीद नहीं कर सकते.'

उन्होंने कहा, 'केंद्र और राज्य सरकारें मशीन क्यों उपलब्ध नहीं करा सकतीं. पेपर मिल और अन्य विभिन्न उद्देश्यों में उपयोग के लिए पराली को हटा दें. सर्दियों में राजस्थान में बकरियों आदि के चारे के लिए पराली का इस्तेमाल किया जा सकता है.'

शीर्ष अदालत पर्यावरण कार्यकर्ता आदित्य दुबे और विधि छात्र अमन बांका द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने छोटे और सीमांत किसानों को मुफ्त में पराली हटाने वाली मशीन उपलब्ध कराने का निर्देश देने का आग्रह किया है. केंद्र की ओर से पेश हुए मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि इन मशीनों को 80 फीसदी रियायती दर पर उपलब्ध कराया जा रहा है. शीर्ष अदालत के न्यायाधीश ने मेहता से पूछा कि क्या उनकी सहायता करने वाले अधिकारी सब्सिडी के बाद वास्तविक कीमत बता सकते हैं.

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न्यायमूर्ति सूर्यकांत प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमना के नेतृत्व वाली संबंधित पीठ का हिस्सा हैं जिसमें न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं. न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने यह भी कहा कि वायु प्रदूषण के लिए किसानों को दोष देना एक फैशन बन गया है. उन्होंने यह भी जानना चाहा कि क्या पटाखों पर प्रतिबंध और वाहनों के उत्सर्जन पर नियंत्रण जैसे अन्य उपाय लागू किए गए.

न्यायाधीश ने पूछा, 'याचिकाकर्ता हों, दिल्ली सरकार या कोई और - किसानों को दोष देना एक फैशन बन गया है. क्या आपने देखा है कि पिछले सात दिनों से दिल्ली में कैसे पटाखे जलाए जा रहे हैं? दिल्ली पुलिस क्या कर रही है?' उन्होंने यह टिप्पणी दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा द्वारा पराली जलाने के मुद्दे का जिक्र किए जाने के बाद की. शीर्ष अदालत ने केंद्र से हितधारकों के साथ बैठक करने और सोमवार को वापस आने को कहा.

(पीटीआई-भाषा)

Last Updated :Nov 13, 2021, 6:27 PM IST
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