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Israel, Hamas and Hezbollah : कितना ताकतवर है हिजबुल्लाह, क्यों साध रहा इजराइल पर निशाना, जानें

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 19, 2023, 3:17 PM IST

Updated : Oct 19, 2023, 3:50 PM IST

इजराइल और हमास के बीच चल रहे संघर्ष में हिजबुल्लाह भी कूद गया है. हिजबुल्लाह मुख्य रूप से लेबनान के दक्षिणी इलाके में केंद्रित है. इसकी पहुंच सीरिया तक है. हिजबुल्लाह का सबसे बड़ा समर्थक ईरान है. कौन है हिजबुल्लाह और क्या है इसकी ताकत, पढ़ें पूरी खबर.

Hezbollah
हिजबुल्लाह

नई दिल्ली : हिजबुल्लाह ईरान समर्थित एक शिया चरमपंथी संगठन है. इसका बेस दक्षिणी लेबनान में है. यह अपने आप को शिया इस्लामिक राजनीतिक पार्टी कहता है. हसन नसरुल्लाह इस संगठन का मुखिया है. अमेरिका, इजराइल और मध्य पूर्व के कई देशों ने इसे आतंकी संगठन घोषित कर रखा है.

इस संगठन की शुरुआत 80 के दशक में हुई थी. उस समय इजराइल ने लेबनान पर हमला किया था. हमले की वजह फिलिस्तीनी चरमपंथी संगठन का इस हिस्से से समर्थन पाना था. इस समय कुछ शिया नेताओं ने इस्लामिक अमाल नाम से एक आंदोलन की शुरुआत की थी. ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने इस आंदोलन से जुड़े लड़ाकों को ट्रेनिंग दी. इस आंदोलन से हिजबुल्लाह का जन्म हुआ.

ईरान ने हिजबुल्लाह की फंडिंग की - औपचारिक रूप से हिजबुल्लाह संगठन की शुरुआत 1985 में हुई. ईरान ने इजराइली हमले का काउंटर करने के लिए हिजबुल्लाह की मदद करनी शुरू की थी. उसे पैसे और हथियार दिए. अपनी लोकप्रियता बढ़ाने के लिए हिजबुल्लाह अपने आप को शिया धर्म का संरक्षक बताता है. ईरान भी शिया प्रमुख देश है. आज की तारीख में हिजबुल्लाह के पास अपनी मिलिट्री विंग भी है. साल 2000 में इजराइल के लेबनान से वापस आने पर हिजबुल्लाह फलने-फूलने लगा. यह अमेरिका और रूस दोनों को अपना दुश्मन मानता है.

लेबनान में चाहे किसी की सत्ता हो, उसमें हिजबुल्लाह की सबसे अधिक दखलंदाजी होती है. लेबनान की कैबिनेट में हिजबुल्लाह को वीटो का अधिकार दिया गया है. हिजबुल्लाह की ताकत का अंदाजा आप लगा सकते हैं, कि इसने पड़ोसी मुल्क सीरिया में भी अपना बेस बना लिया. आपको याद होगा कि सीरिया के ताकतवर शासक बशर अल असद के लिए वे ढाल बन गए.

2011 में जब सीरिया में गृह युद्ध छिड़ गया था, तब बशर अल असद ने हिजबुल्लाह से मदद मांगी थी. हिजबुल्लाह ने साउथ लेबनान से सटे सीरिया के कई इलाकों में असद को बढ़त दिलाई थी.

  • The threat of an attack on Israel by Hezbollah from the north is growing rapidly.

    The group which describes themselves as the ‘Lebanese Shia Islamist Political Party Militants’ is continuing to line up troops and heavy weaponry at the border between Lebanon and Israel.… pic.twitter.com/bidTbwm98r

    — Matt Wallace (@MattWallace888) October 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

खाड़ी के देशों में हिजबुल्लाह का विरोध - इसके विरोध की असली वजह है ईरान और इसकी राजनीतिक व्यवस्था. ईरान शिया मुल्क है. जबकि खाड़ी देशों में सबसे अधिक संपन्न देश सऊदी अरब मुख्य रूप से सुन्नी संप्रदाय को मानने वाला देश है. इस वजह से ईरान और सऊदी अरब एक-दूसरे का विरोध करते रहते हैं. सऊदी अरब इसी आधार पर हिजबुल्लाह का विरोध करता है. वह नहीं चाहता है कि हिजबुल्लाह को बड़ी ताकत मिले. एक समय में हिजबुल्लाह ने लेबनान के सऊदी समर्थक शासक सत्ता से बाहर कर दिया था.

वर्तमान में हिजबुल्लाह की चर्चा क्यों - सात अक्टूबर को हमास के इजराइल पर हमले के जवाब में इजराइल ने गाजा पर जबरदस्त बमबारी की. इसका विरोध करने के लिए हिजबुल्लाह ने लेबनान सीमा से इजराइल पर हमला कर दिया. हिजबुल्लाह अपने आप को इस्लाम का संरक्षक और सबसे बड़ा पैरोकार दर्शाना चाहता है. इसलिए वह इस युद्ध में कूद गया. जबकि लेबनान की सेना इससे दूर रहना चाहती थी. लेबनान की सेना नहीं चाहती है कि हिजबुल्लाह की लोकप्रियता बढ़े, लेकिन उसकी बढ़ती ताकत के आगे सेना भी लाचार है.

हिजबुल्ला ने लेबनान सेना का किया था विरोध - लेबनान की सेना इसलिए भी सशंकित रहती है, क्योंकि 1989 में जब लेबनान में गृह युद्ध खत्म हुआ था और जब सभी गुटों से हथियार लौटाने को कहा गया, तो हिजबुल्ला ने साफ तौर पर मना कर दिया. 1999 में हुए लेबनान के चुनाव में हिजबुल्लाह ने हिस्सा लिया. उसके बाद से वह लगातार सत्ता का भागीदार बनता रहा है.

हिजबुल्लाह के कुछ घातक हमले - 1983 में लेबनान में अमेरिकी दूतावास पर हमला. यूएस मरीन बैरक्स पर हमला. 300 से ज्यादा विदेशी नागरिक मारे गए. मुख्य रूप से अमेरिकी और फ्रेंच शामिल थे.

2006 में हिजबुल्लाह ने इजराइल पर 4000 रॉकेट्स दागे थे. 119 इजराइली सैनिकों की मौत हुई थी. इजराइल के हमले में 1125 लोगों की मौत हुई थी.

2008 में जब लेबनान की नई सरकार बनी, तो उसने हिजबुल्लाह के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू की थी. उनकी संचार व्यवस्था अवरुद्ध कर दी गई. लेकिन हिजबुल्लाह ने अपनी ताकत के दम पर स्थिति को पलट दिया. आखिरकार लेबनानी सरकार को हिजबुल्लाह के साथ समझौता करना पड़ा और उसे सरकार में भागीदारी दी गई. कैबिनेट में उसे वीटो तक दे दिया गया.

2011 में हिजबुल्लाह ने लेबनान में साद हरीरी की सरकार गिरा दी थी. इस सरकार को सऊदी अरब का समर्थन प्राप्त था. हरीरी के पिता की हत्या का आरोप हिजबुल्लाह पर लगा था.

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Last Updated : Oct 19, 2023, 3:50 PM IST
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