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गुजरात में परमिट के साथ शराब की बिक्री से सरकार को करोड़ों की कमाई

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Published : Jul 29, 2022, 1:10 PM IST

Updated : Jul 29, 2022, 4:13 PM IST

गुजरात के बोटाद जिले के रोजिड गांव में जहरीली शराब पीने से 57 लोगों की मौत हो चुकी है और 97 लोगों का इलाज चल रहा है. इस घटना की गूंज गांधीनगर से लेकर दिल्ली तक सुनाई दी. गुजरात में शराबबंदी एक नाटक साबित हुई है. गुजरात में शराब की बिक्री से सरकार को लगभग 20 करोड़ की कमाई होती है. परमिट पर शराब की बिक्री पर ईटीवी भारत की विशेष रिपोर्ट...

How much revenue does the government get from the sale of liquor with a permit in Gujarat?
गुजरात में परमिट के साथ शराब की बिक्री से सरकार को कितना राजस्व मिलता है?

गांधीनगर: गुजरात के अहमदाबाद जिले के बरवाला धंधुका और बोटाद जिलों में लट्ठा कांड की घटना सामने आई. पुलिस ने तीन मामले दर्ज किए और 15 लोगों को गिरफ्तार किया. गुजरात में शराब आधिकारिक रूप से प्रतिबंधित है. हालांकि, राज्यसभा में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक गुजरात में आधिकारिक तौर पर 19 लाख से ज्यादा परमिट जारी किए जा चुके हैं. जबकि, गुजरात सरकार भी विदेश से आने वाले लोगों को टूरिस्ट परमिट देकर शराब की सुविधा मुहैया कराती है.

गुजरात राज्य में शराब परमिट की बात करें तो व्यक्ति को जिले के सिविल अस्पताल के डॉक्टर से मेडिकल सर्टिफिकेट लेना होता है. शराब परमिट केवल उन बीमारियों के लिए उपलब्ध है जिनके लिए शराब के सेवन की आवश्यकता होती है. इसके लिए आबकारी विभाग से एक फॉर्म लेना होता है. उस फॉर्म का आवेदन सिविल अस्पताल में डॉक्टर के समक्ष भरना होता है. इसके बाद चिकित्सक समिति स्वास्थ्य जांच करते है और बैंक में चालान का भुगतान कर प्रमाण पत्र जारी किया जाता है.

इससे पहले भी गुजरात हाई कोर्ट में शराबबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की गई थीं. जिसके जवाब में राज्य सरकार ने जवाब दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने 1951 में शराबबंदी की पुष्टि की थी. अब गुजरात में शराबबंदी को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकती. इस मामले में हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर निजता के अधिकार के तहत घर में शराब पीने की इजाजत मांगी गई थी.

सरकार घर बैठे शराब पीने पर रोक नहीं लगा सकती है. जबकि नागरिकों के खाने-पीने के अधिकार का हनन हो रहा है. गौरतलब है कि गुजरात में विदेश से आने वाले लोगों को शराब पीने की इजाजत है, लेकिन गुजरात के लोगों को घर में शराब पीने की इजाजत नहीं है. ऐसा भेदभाव नहीं किया जा सकता. इस पर राज्य सरकार ने कहा कि शराबबंदी महिलाओं और नागरिकों के कल्याण के लिए जरूरी है.

राज्य के गृह विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अहमदाबाद में वर्ष 2017 में स्वास्थ्य परमिट के लिए 419 नए आवेदन प्राप्त हुए. 1041 याचिका पर अमल किया गया. 2018 में 226 नए आवेदन प्राप्त हुए थे. 2439 आवेदनों का नवीनीकरण किया गया. वर्ष 2019-20 में 1457 नए आवेदन आए थे. 3,644 आवेदनों का नवीनीकरण किया गया. इस प्रकार वर्ष 2019-20 में नई परमिट आय 87,28,000 रुपये थी. नवीकृत परमिट के राजस्व से राज्य सरकार को तीन करोड़ सात लाख रुपये की कमाई हुई है.

गुजरात राज्य की राजधानी गांधीनगर की बात करें तो साल 2017-18 में 65 नए आवेदन आए थे. 103 आवेदनों का नवीनीकरण किया गया. जबकि वर्ष 2018-19 में 112 नए आवेदन आए थे. 215 आवेदनों का नवीनीकरण किया गया. वर्ष 2019-20 में 254 आवेदन प्राप्त हुए थे. 208 आवेदनों का नवीनीकरण किया गया. वर्ष 2019-20 में न्यू लिकर परमिट रेवेन्यू 21 लाख 68 हजार रुपए था. नवीनीकरण परमिट से राजस्व 30 लाख से अधिक था. जबकि सूरत और रंगीला, राजकोट और बड़ौदा में कई नए आवेदन आए हैं. जबकि बड़ौदा में नये आवेदन एवं नये नवीनीकरण में एक करोड़ दस लाख की आय दर्ज की गयी.

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गुजरात में शराब बैन है. पता चला है कि गुजरात की महिलाएं भी शराब का सेवन करती हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में, पिछले चार वर्षों में महिलाओं में शराब की खपत प्रतिशत के रूप में दोगुनी हो गई है. 1960 में गुजरात की स्थापना के बाद से गुजरात को शराब-निषेध राज्य माना गया है. वर्ष 2019-20 के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण रिपोर्ट में गुजरात की कुल 33,343 महिलाओं और 5,351 पुरुषों को एनएफएचएस 5 के तहत कवर किया गया था. इनमें से लगभग 200 महिलाओं ने दावा किया कि उन्होंने शराब का सेवन किया, जिसमें 68 महिलाएं बढ़ी हैं.

Last Updated : Jul 29, 2022, 4:13 PM IST
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