ETV Bharat / bharat

कोरोना की दूसरी लहर : जानिए कैसे और कितना प्रभावित हुआ ग्रामीण भारत

author img

By

Published : Jul 2, 2021, 8:59 PM IST

कोरोना की दूसरी लहर से जहां पूरा देश प्रभावित रहा, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के मामले काफी अधिक आए हैं. इसके पीछे लोगों में जागरुकता की कमी के साथ सरकारी सहायता में कमी का होना भी प्रमुख है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

कोरोना की दूसरी लहर
कोरोना की दूसरी लहर

हैदराबाद : भारत के बड़े शहरों में कोरोना के मामले कम हो रहे हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में जहां देश की दो तिहाई आबादी रहती है, अभी भी कोरोना से प्रभावित है. इसकी वजह सरकारी सहायता में कमी के अलावा किसी भा स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे में कमी के अलावा अन्य कई कारण हो सकते हैं.

ग्रामीण भारत में कोविड
देश के कोरोना के मामलों में अप्रैल में ग्रामीण क्षेत्रों में 53 फीसद मामले थे वहीं मौत के कुल आंकड़े का 52 फीसद हिस्सा इन्हीं क्षेत्रों का था. इसी तरह महाराष्ट्र में मई के महीने में 61 फीसद मामले ग्रामीण क्षेत्रों से थे जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 39 फीसद थे. इस प्रकार देशभर में ग्रामीण इलाकों में अप्रैल में 20 फीसद का इजाफा हुआ था. वहीं अप्रैल में उत्तर प्रदेश में कोरोना के मामले 68 फीसद ग्रामीण जिलों से आए तो ओडिशा में ग्रामीण जिलों में यह 85 फीसद रहा.

कोविड -19: ग्रामीण भारत की स्थिति और चुनौतियां
निम्नलिखित अवलोकन भारत में ग्रामीण लोगों की स्थिति को चिह्नित करते हैं। ग्रामीण भारत में कोरोना के मामलों में बढ़ोत्तरी की कई वजह हो सकती हैं. इनमें कोविड-19 को लेकर जनत में भय का माहौल होने के साथ ही कोरोना के टेस्ट सुविधाओं का अभाव होने के साथ ही इसकी रिपोर्ट से देर से मिलना भी था. फलस्वरूप आगे भी संक्रमण की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. अस्पतालों में जहां सुविधाओं का अभाव था वहीं लोगों को आवश्यक दवाएं भी नहीं मिल पा रहीं थीं. दूसरी तरफ पीएचसी में डॉक्टरों व स्टॉफ की कमी इसके बढ़ने के कारणों में से एक थी. हालांकि ग्रामीण इलाकों में अधिकांश हुई मौतें दर्ज नहीं हैं, क्योंकि मृतकों को खेतों और खुले क्षेत्रों में दफनाना आसान है.

हालांकि पिछले साल के विपरीत इस साल निगरानी की वजह से नियंत्रण करने में कुछ हालात संभालने में मदद जरूर मिली. लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोगों की आय और आजीविका के स्रोतों को खोने का डर पैदा हो गया. कोरोना की दूसरी लहर ने भारत के ग्रामीण जीवन को प्रभावित किया है. लेकिन इसकी वजह से दिल्ली, मुंबई, लखनऊ और पुणे जैसे बड़े शहरों को झकझोर कर रख दिया. यहां अस्पतालों और श्मशान घाटों में जगह खत्म हो जाने से कार पार्किंग में भी अंतिम संस्कार किए जा रहे थे.लेकिन महामारी ने अब कई छोटे शहरों, कस्बों और गांवों को अपनी चपेट में ले लिया है जहां तबाही की काफी हद तक रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है.

मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 26,000 कोविड पॉजिटिव टेस्ट किए गए, जो 17.3 फीसद पॉजिटिव मरीजों का संकेत देते हैं जो 27 अप्रैल को राज्य के कुल 23 फीसद के आंकड़े से बहुत पीछे नहीं है.ये ग्रामीण मरीज 5 से 25 अप्रैल के बीच मप्र में दर्ज किए गए कुल 189,055 नए मामलों में से लगभग 14 फीसद हैं.वहीं होली के आसपास कई प्रवासी श्रमिक महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश में अपने गांव लौटे.जबकि अप्रैल के पहले सप्ताह में गांवों में लक्षण दिखाई देने लगे, लेकिन जब तक मौतों की सूचना नहीं मिली, तब तक उन्हें बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया गया.

राजस्थान
चिकित्सा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में कुल मामलों में से लगभग 40 फीसद ग्रामीण क्षेत्रों से सामने आ रहे हैं. राजस्थान भौगोलिक रूप से भारत का सबसे बड़ा राज्य है, जिसकी वजह से दूर-दराज के कोनों तक ऑक्सीजन और रेमडेसिविर जैसी महत्वपूर्ण दवाओं सहित चिकित्सा सहायता प्रदान करने की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. 2021 की पहली तिमाही में पर्यटकों की भारी भीड़ भी ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना के केस में बढ़ोत्तरी का एक कारण थी. दूसरा कारण महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों के साथ व्यापार संबंध भी हैं, क्योंकि इन राज्यों में कोरोना के मामलों में काफ वृद्धि देखी गई थी. वहीं प्रवासी श्रमिकों के आने का सिलसिला भी जारी था.

उत्तर प्रदेश
संभावना है कि उत्तर प्रदेश में 15 से 29 अप्रैल तक हुए पंचायत चुनाव की वजह से ही ग्रामीण उत्तर प्रदेश में कोरोना तेजी से फैला. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 17 अप्रैल को 170,059 सक्रिय मामलों में से लगभग 29 फीसद उन 18 जिलों से सामने आए, जहां पहले चरण में 15 अप्रैल को मतदान हुआ था. इसके अलावा राज्य में ऑक्सीजन की कमी के कारण भी मौत का आंकड़ा बढ़ा. वहीं राज्य के कई अन्य जिलों और गांवों में भी अस्पतालों में बिस्तर खत्म होने की खबर है.

पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बोलपुर ब्लॉक ने मार्च में 15 कोविड-19 मामले दर्ज किए थे जो अप्रैल में, मामले बढ़कर 617 हो गए. जब राज्य में यह बीमारी चरम पर थी तब 90 फीसद लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं, वहां अक्टूबर और नवंबर में 160 और 170 कोरोना संक्रमित लोगों की जानकारी दी गई थी.

छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिला अस्पताल में सात वेंटिलेटर हैं, लेकिन यहां पर जीवन रक्षक मशीनों को संचालित करने के लिए प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जिला अस्पताल में 49 विशेषज्ञ डॉक्टर होने चाहिए, लेकिन यहां सात ही हैं. इसके अलावा यहां पर नर्सों और लैब टेक्नीशियनों की भी भारी कमी है.

बिहार

कोरोना की दूसरी लहर से पूर्वी बिहार का भागलपुर जिला भी बुरी तरह प्रभावित हुआ था. यहां पर 20 अप्रैल से केसों में 26 फीसद इजाफा दर्ज किया गया और इसी अवधि में मौतों की संख्या में 33 फीसद की वृद्धि हुई है. वहीं राज्य के पश्चिम में औरंगाबाद जिला भी इस बीमारी से काफी प्रभावित हुआ. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस दौरान 5 अप्रैल से 5,000 से अधिक मामले दर्ज किए और इसी अवधि में छह लोगों की मौत हुई. लेकिन राज्य के वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि वास्तविक संख्या अधिक है क्योंकि छोटे शहरों और कस्बों में परीक्षण एक बड़ी समस्या है.बहुत से लोग गंभीर हो जाते हैं और कभी भी कोविड -19 के परीक्षण कराए बिना ही उनकी मौत हो जाती है, ऐसी मौतों के भी आधिकारिक आंकड़े नहीं होते हैं.

तेलंगाना और आंध्र प्रदेश
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कोरोना की दूसरी लहर में ग्रामीण इलाकों के 39.6 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए.यह आंकड़े सितंबर 2020 में पहली लहर के चरम संक्रमण से कहीं अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्र दूसरी लहर में और अधिक प्रभावित हुए हैं. यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में युवा आबादी इससे अधिक प्रभावित होती है.45 वर्ष से कम उम्र के अधिकांश लोगों में स्पर्शोन्मुख होने की वजह से संक्रमण का प्रसार अधिक होता है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण सुविधाओं की कमी भी एक प्रमुख चिंता का विषय है. क्योंकि अंतिम छोर पर टीकाकरण की उपलब्धता काफी कमजोर है. आंध्र प्रदेश में मौतों और विकलांगता को बढ़ावा देने वाले विभिन्न जोखिम कारकों में कुपोषण, आहार संबंधी जोखिम, उच्च रक्तचाप, वायु प्रदूषण, खराब वाश, व्यावसायिक जोखिम आदि शामिल हैं, इनमें कुपोषण सबसे ऊपर है.

तमिलनाडु
ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी, लोगों द्वारा मास्क न पहनना और परीक्षण न कराना कोरोना मामलों में बढ़ोत्तरी का प्रमुख कारण है. कोयंबटूर जिले के अनमलाई, करमदई, पोलाची, अन्नूर और सुलूर के कई गांवों में ताजा मामलों में अचानक वृद्धि देखी गई है जो घातक हो रही है.
इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के कई सरकारी अस्पताल ऑक्सीजन की सुविधा वाले बेड की कमी भी एक बड़ी समस्या है. इस समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकारों द्वारा कई कदम उठाए गए हैं. केरल में, ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 को रोकने के लिए पंचायत स्तर के युद्ध कक्ष स्थापित किए गए हैं.

ओडिशा में आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ता करेंगी सर्वेक्षण
ओडिशा सरकार ने घोषणा की कि वह मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 के लक्षणों और सहवर्ती रोगों को लेकर घर-घर सर्वेक्षण करेगी. वहीं राजस्थान ने हाल ही में ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोनोवायरस के मामलों में 30 फीसद से 40 फीसद की वृद्धि दर्ज की है, और सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में मामलों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है.

यह ग्राम पंचायतों के नेतृत्व में एक बहु-आयामी दृष्टिकोण अपनाता है जहां स्कूल शिक्षक, महिला समूह, स्वयं सहायता समूह (SHG) और आईसीडीएस कर्मचारी महामारी से लड़ने के लिए शामिल होते हैं.

पंजाब सरकार ने कोरोना मुक्त पिंड अभियान शुरू किया
इसी प्रकार पंजाब में मुख्यमंत्री ने गांवों में कोविड-19 के प्रसार को सीमित करने के लिए कोरोना मुक्त ग्राम अभियान कार्यक्रम 'कोरोना मुक्त पिंड अभियान' शुरू किया है.वहीं हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री ने पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों से बातचीत कर उन्हें यह सुनिश्चित करने को कहा कि लोग मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) का पालन कर रहे हैं कि नहीं.

तमिलनाडु में समन्वय और समाधान के लिए वॉर रूम बना
तमिलनाडु के ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 से संबंधित मुद्दों के प्रभावी समन्वय और समाधान के लिए जिला प्रशासन के अंर्तगत एक आपात कक्ष (WAR ROOM) बनाया गया है.उल्लेखनीय है कि कोयंबटूर तमिलनाडु का एकमात्र जिला है जिसने ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड-19 से निपटने के लिए पंचायत स्तर के कोविड केयर सेंटर (PLCCC) बनाए हैं. यहां राज्य सरकार ने स्थानीय निर्वाचित प्रतिनिधियों की मदद से अभिनव जागरूकता शिविर आयोजित करने और ग्रामीण क्षेत्रों में टीकाकरण को बढ़ावा देने का निर्णय लिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.