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Karnataka Hijab Row: प्रदेश सरकार ने HC से कहा, हिजाब इस्लामी धार्मिक प्रथा का आवश्यक अंग नहीं

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Published : Feb 18, 2022, 8:07 PM IST

कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को हिजाब विवाद पर दायर की गई याचिकाओं (Pleas filed on the Hijab row in karnataka hc) पर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई करते हुए सरकार को यह देखने का निर्देश दिया कि अंतरिम आदेशों का उल्लंघन न हो. इस मामले को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.

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बेंगलुरु : कर्नाटक सरकार ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय के सामने कहा कि हिजाब इस्लाम की आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और इसका इस्तेमाल रोकने पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं होता. गौरतलब है कि अनुच्छेद 25 धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है. कर्नाटक के महाधिवक्ता (एजी) प्रभुलिंग नवदगी ने जस्टिस ऋतुराज अवस्थी, जस्टिस जे. एम. काजी और जस्टिस कृष्ण एम दीक्षित की पीठ से कहा, 'हमने यह रुख अपनाया है कि हिजाब पहनना इस्लाम का आवश्यक धार्मिक अंग नहीं है.'

कुछ मुस्लिम लड़कियों ने आरोप लगाया था कि कर्नाटक सरकार द्वारा हिजाब या भगवा स्कार्फ पहनने पर रोक लगाने के पांच फरवरी के आदेश से संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन होता है. महाधिवक्ता ने इस आरोप का भी खंडन किया. अनुच्छेद 25 भारत के नागरिकों को अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है. नवदगी ने दलील दी कि सरकार के आदेश से संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन नहीं होता.

यह अनुच्छेद भारतीय नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है. महाधिवक्ता ने यह भी कहा कि राज्य सरकार का पांच फरवरी का आदेश कानून सम्मत है और उसमें आपत्ति करने जैसी कोई चीज नहीं है.

हाईकोर्ट का सरकार को निर्देश, अंतरिम आदेश का उल्लंघन न हो

कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को हिजाब विवाद पर दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को इस बात पर ध्यान देने का निर्देश दिया कि उसके अंतरिम आदेश का उल्लंघन न हो. मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह निर्देश तब दिया, जब हिजाब के समर्थन में छात्राओं की ओर से एक अधिवक्ता ने पीठ के संज्ञान में लाया कि अंतरिम आदेश के बाद से मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है.

अधिवक्ता ताहिर ने अदालत के समक्ष कॉलेजों के परिसर में किसी भी धार्मिक प्रतीकों पर रोक लगाने के अंतरिम आदेश पर स्पष्टता प्रदान करने के लिए कहा. उन्होंने दलील दी कि यह आदेश उर्दू स्कूलों में भी लागू किया जा रहा है, जहां सभी छात्र और शिक्षक मुस्लिम हैं. उन्होंने आगे कहा कि अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के आदेशों का पालन करते हुए छात्रों को ऐसे कॉलेजों और स्कूलों के बाहर हिजाब और बुर्का हटाने के लिए कहा जा रहा है. हिजाब पहनने वाली शिक्षिकाओं को भी अधिकारी यह कहकर रोक रहे हैं कि वे हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश का पालन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सभी विभाग इस संबंध में आदेश पारित कर रहे हैं.

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पीठ ने अधिवक्ता से इस मामले में लिखित जवाब देने को कहा और सरकार को यह देखने का निर्देश दिया कि अंतरिम आदेशों का उल्लंघन न हो. सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवादगी ने अदालत को आश्वासन दिया कि यह देखा जाएगा कि अंतरिम आदेश का एक भी उल्लंघन न हो.

इस मामले को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.

हिजाब मामले में सुनवाई का सीधा प्रसारण रोकने की मांग करने वाली याचिका खारिज

शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर पैदा हुए विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही कर्नाटक उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ ने अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण रोकने का अनुरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया. अदालत की कार्यवाही शुरू होते ही मुस्लिम छात्राओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रो. रवि वर्मा कुमार ने कक्षाओं में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध पर सवाल उठाए. उन्होंने दावा किया कि कार्यवाही का सीधा प्रसारण समाज में काफी हलचल पैदा कर रहा है, क्योंकि टिप्पणियों को संदर्भ से हट कर लिया जा रहा है.

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उनके मुताबिक, सीधा प्रसारण नुकसानदेह हो गया है और छात्राएं परेशान हैं. हालांकि, मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऋतुराज अवस्थी ने कहा, कि लोगों को समझने दीजिए कि प्रतिवादियों के भी क्या रुख हैं. चूंकि, कुछ और याचिकाएं दायर की गई हैं, ऐसे में जस्टिस अवस्थी ने याचिकाकर्ताओं से आग्रह किया कि नई याचिकाओं के वकील सिर्फ 10 मिनट का समय लें, ताकि प्रतिवादियों को भी सुना जा सके.

उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ में जस्टिस अवस्थी, जस्टिस जे एम खाजी और जस्टिस कृष्ण एम दीक्षित शामिल हैं.

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