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Haryana Panipat Most Expensive Divorce: हरियाणा में एक बिजनेसमैन का इतना महंगा तलाक, पूरा मामला जानकर रह जाएंगे हैरान

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 25, 2023, 12:11 PM IST

Updated : Oct 27, 2023, 12:20 PM IST

divorce cases Increase in Panipat Haryana
हरियाणा के पानीपत में एक बिजनेसमैन का महंगा तलाक

Haryana Panipat Most Expensive Divorce हरियाणा के पानीपत में इन दिनों एक तलाक का फैसला सुर्खियों में है. यह तलाक एक बिजनेसमैन से जुड़ा है. माना जा रहा है कि यह जिले का सबसे महंगा तलाक है. आखिर पत्नी ने बिजनेसमैन पति से तलाक क्यों लिया और इस तलाक की इतनी चर्चा आखिर क्यों हो रही है जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...(Divorce cases in Haryana Divorce cases in Panipat )

पानीपत: हरियाणा के पानीपत में जिले में इन दिनों एक पति-पत्नी के बीच हुए तलाक का फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल इस तलाक का फैसला 1 करोड़ 11 हजार रुपये में हुआ है. इसमें 70 लाख रुपये 6 साल की बेटी के नाम एफडी के तौर पर मिलेंगे और 30 लाख 11 हजार रुपये पत्नी को खर्चे के लिए मिलेंगे. कहा जा रहा है कि ये पानीपत जिले का सबसे महंगा तलाक है. क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं...

पानीपत का सबसे महंगा तलाक: पानीपत की रहने वाली युवती का विवाह 7 साल पहले रोहतक के एक बिजनेसमैन के साथ हुआ था. दोनों की 6 साल की एक बेटी भी है. पत्नी ने पति पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए तलाक लेने का फैसला लिया है. महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता के कार्यालय के मुताबिक पानीपत का ये अब तक का सबसे महंगा तलाक है. इससे पहले कई तलाक हुए हैं, लेकिन एक करोड़ रुपये में आपसी समझौता का ये पहला मामला है.

गर्भपात कराने का भी आरोप: रजनी गुप्ता ने बताया कि महिला ने आरोप लगाया था कि उनकी एक 6 साल की बेटी है. दूसरी बार गर्भवती होने पर गर्भ की जांच कराई गई थी, जिसमें बेटी का पता चलने पर गर्भपात कराया गया. इसको लेकर लड़की की ओर से पुलिस में केस भी दर्ज कराया गया था. वहीं, बिजनेसमैन ने सभी आरोपों को नकारते हुए कहा कि वह खुद अपने मायके जाकर गर्भपात करवा कर आई थी.

Haryana Panipat Most Expensive Divorce
हरियाणा के पानीपत में सबसे महंगा तलाक.

घरेलू हिंसा के आधार पर बिजनेस मैन की पत्नी ने लगाई थी तलाक के लिए अर्जी: महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि उनके पास महिला ने घरेलू हिंसा की शिकायत दी थी. इस पर दोनों पक्षों को बैठाकर काउंसलिंग की गई. दोनों पक्ष तलाक लेने पर अड़े रहे. बाद में तलाक की सहमति बनी तो पत्नी ने 6 साल की बेटी की कस्टडी भी अपने पास रखी.

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महिला संरक्षण विभाग में 5 साल में आए 1399 मामले: महिला संरक्षण विभाग के आंकड़ों के अनुसार 22 फीसदी मामलों में पति-पत्नी आपसी सहमति से घर बसा लेते हैं या फिर तलाक लेने के लिए मान जाते हैं. 80 फीसदी मामले कोर्ट में जाते हैं. रजनी गुप्ता ने बताया कि 2018 से 2023 तक 5 सालों में 1399 केस में से 311 केस उनके कार्यालय में आपसी सहमति से सुलझा लिए गए हैं. वहीं, 1088 मामलों में पति-पत्नी कोर्ट में गए हैं.

तलाक लेने के लिए जरूरी शर्तें और नियम: तलाक किस आधार पर लेना है, ये पति-पत्नी को तय करना होगा. इसके लिए दोनों के पास पुख्ता सबूत होने जरूरी हैं. इसके बाद कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दाखिल कर सभी सबूत पेश करने होते हैं. तलाक की अर्जी के बाद कोर्ट की ओर से दूसरे पार्टनर को अदालत की ओर से नोटिस भेजा जाता है. पहले बातचीत से मामला नहीं सुलझाने का प्रयास किया जाता है. मामला नहीं सुलझने पर केस करने वाला पार्टनर दूसरे पार्टनर के खिलाफ कोर्ट में अर्जी दाखिल करता है. बता दें कि पति पत्नी के रिश्तों में दरार की बिनाह पर तलाक के नियम नहीं हैं. तलाक के लिए पति-पत्नी दोनों को आपसी सहमति से तलाक के लिए आवेदन करना होता है.

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Last Updated :Oct 27, 2023, 12:20 PM IST
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