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वाह रे दूल्हा, शादी कार्ड पर छपवाया स्लोगन, 'जंग अभी जारी है, एमएसपी की बारी है'

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Published : Jan 22, 2022, 9:35 AM IST

करीब एक महीने पहले किसानों ने दिल्ली में तीन कृषि कानून निरस्त होने के बाद अपना आंदोलन समाप्त कर दिया था. मगर एमएसपी पर कानून गारंटी की मांग अभी भी जारी है. हरियाणा के भिवानी जिले के एक दूल्हे ने अपनी शादी के कार्ड पर एमएसपी को लेकर अभियान चला दिया. उसकी मांग का यह तरीका चर्चा का विषय बना हुआ है.

1500 marriage cards demanding MSP law guarantee
1500 marriage cards demanding MSP law guarantee

नई दिल्ली : हरियाणा के भिवानी निवासी एक युवक प्रदीप कालीरामणा ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी की मांग करने के लिए एक अनूठा तरीका निकाला. इस युवक ने अपनी शादी के कार्ड पर स्लोगन लिखकर एमएसपी गारंटी की मांग कर डाली. उसने दो सप्ताह पहले शादी के निमंत्रण वाले 1500 कार्ड छपवाए और परिचितों में बांटा. हर शादी के कार्ड पर वैवाहिक कार्यक्रम के अलावा उसने नारा लिखवाया, ' जंग अभी जारी है, एमएसपी की बारी है'. इस स्लोगन के अलावा कार्ड पर टैक्टर का फोटो पर लगाया, जिसके साथ लिखा है नो फार्मर्स, नो फूड.

प्रदीप वैलेंटाइन डे के दिन यानी 14 फरवरी को सात फेरे लेंगे, मगर उनका निमंत्रण कार्ड इलाके में चर्चा का विषय बना है. प्रदीप कालीरामणा के अनुसार, वह अपनी शादी के कार्ड के जरिए यह संदेश देना चाहता हैं कि किसानों के विरोध की जीत अभी पूरी नहीं हुई है. किसानों की जीत तभी घोषित होगी, जब केंद्र सरकार किसानों एमएसपी एक्ट के तहत कानून बनाने की गारंटी लिखित में देगी. एमएसपी पर कानून के बिना किसानों के पास कुछ नहीं है. उनका कहना है कि किसानों की शहादत और उनकी कुर्बानी भी तभी पूरी होगी जब एमएसपी पर कानूनी गारंटी होगी. यही कारण है कि उन्होंने एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग करते हुए 1500 शादी के कार्ड छपवाए.

बता दें कि कृषि बिल के विरोध में किसान आंदोलन नाै अगस्त 2020 से शुरू हुआ था. सितंबर 2020 में बिल काे स्वीकृति मिलने के बाद आंदोलन गरमाया. नवंबर में किसान दिल्ली के बॉर्डर पर जम (Ghazipur border farmers protest) गए. उस समय किसानों ने तीनों कृषि बिल को निरस्त करने, एमएसपी सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाने, पराली जलाने पर दर्ज मुकदमों को वापस लेने, बिजली अध्यादेश 2020 को निरस्त करने, आंदोलन के दौरान मारे गए किसान के परिवार को मुआवजा देने और किसान नेताओं पर से दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग की थी. दिसंबर में सरकार ने उनकी सारी मांग मान लीं. इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने आंदोलन खत्म करने का एलान कर दिया.

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