अडानी गोदाम में नहीं जाएगी किसानों की गेंहू की फसल, सरकार ने वापस लिया फैसला

author img

By

Published : Mar 22, 2022, 5:55 PM IST

Haryana government took orders back

हाल ही में गेहूं की फसल कुरुक्षेत्र और कैथल की मंडियों में भेजने के बजाय सीधे सोलूमाजरा स्थित अदानी एग्रो साइलो में भेजने के सरकारी आदेशों के विरोध में किसानों ने कैथल में प्रदर्शन (Farmers protest in Kaithal) किया था. जिसके फलस्वरूप सरकार ने मंगलवार को कैथल की 5 मंडियों व पेहवा गुमथला की मंडियों को अड़ानी साइलो से जोड़ने का फैसला वापस ले लिया है.

कैथल: हरियाणा में किसानों ने मंडियां बंद होने के डर से एक बार पहले दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन किया था, तो हाल ही में किसानों ने कैथल में प्रदर्शन किया. दरअसल ये प्रदर्शन सरकार के उन आदेशों के खिलाफ किया गया था, जिनमें सरकार ने किसानों की गेहूं की फसल कुरुक्षेत्र और कैथल की मंडियों में भेजने के बजाय सीधे सोलूमाजरा स्थित अदानी एग्रो साइलो में भेजने के आदेश (wheat crop to Adani warehouse in Kaithal) दिए थे. जिसके बाद मंगलवार को सरकार ने अपने जारी किए इन आदेशों को वापस लेने की घोषणा कर दी है.
सरकार द्वारा जारी नये आदेशों के तहत कैथल की 5 मंडियों व पेहवा गुमथला की मंडियों को अड़ानी साइलो से जोड़ने का फैसला वापस ले लिया गया है. जिसके फसस्वरूप अब सभी मंडियो में एक बार फिर से पहले की तरह खरीद होगी और किसानों को अपनी फसल को अडानी साइलो में भेजने की जरूरत नहीं पड़ेगी. गौरतलब है कि इन सरकारी आदेशों को वापस लेने के लिए सोमवार को किसानों ने कैथल में जमकर विरोध प्रदर्शन किया था और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी. साथ ही आदेश वापस नहीं लेने पर बड़े आंदोलन करने की चेतावनी दी थी. जिसके बाद मंगलवार को सरकार ने मजबूरन ये आदेश वापस ले लिए.

Haryana government
सरकार द्वारा जारी आदेश

ये है पूरा मामला
8 मार्च को कुरुक्षेत्र के डिविजनल मैनेजर ने एफसीआई, डीएफएससी और हैफेड अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में कुरुक्षेत्र और कैथल दोनों जिलों के अधिकारी मौजूद थे. इस बैठक में फैसला लिया गया कि आगामी फसल खरीद 2022-23 के लिए एजेंसी गेहूं को कुरुक्षेत्र और कैथल की मंडियों में खुले में ना डाले. गेहूं की फसल को सीधा सोलूमाजरा स्थित अडानी एग्रो साइलो (wheat crop in Adani warehouse) में भेजें. साथ ही फैसला किया गया कि इस बार मंडियों में बारदाना भी नहीं भेजा जाएगा. इस फैसले का पत्र 15 मार्च को जारी किया गया. इस फैसले के बाद किसान नाराज हो गए. राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भी ट्वीट करके हरियाणा सरकार पर मंडियों को बंद करने का आरोप लगाया.

पढ़ें: भाजपा सांसद ने पूछा- 8 साल में भी नहीं बना खगड़िया फूड पार्क, स्पीकर बिरला ने कहा- देशभर में बिहार की धाक

राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने ट्वीट किया था कि 'किसान आंदोलन के दौरान सरकार लगातार झूठ बोलती रही कि मंडियां बंद नहीं होगी। लेकिन ये लेटर सरकार की मंडी विरोधी मानसिकता को उजागर करता है। सरकार ने हरियाणा की आधा दर्जन मंडियों के दरवाजे बंद करके इसबार गेहूं सीधे अडानी गोदाम ले जाने के आदेश दिए हैं। यह मंडियां खत्म करने की शुरुआत है?' 15 मार्च को भारतीय खाद्य निगम कैथल/कुरुक्षेत्र की तरफ से जारी पत्र का हवाला देते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार बिना कानून बनाए ही अपनी मंडी विरोधी नीति आगे बढ़ा रही है. उस पत्र में एफसीआई की तरफ से साफ निर्देश दिए गए थे कि इस बार किसान अपना गेहूं ढांड, कौल, पिहोवा, पूंडरी, सोलुमाजरा और गुमथला की मंडियों में लाने की बजाए सीधा अडानी के गोदाम में पहुंचाए. लेटर में साफ कहा गया है कि इन मंडियों में किसानों को बारदाना भी उपलब्ध नहीं करवाया जाए. भारतीय खाद्य निगम के आदेश में ये भी कहा गया है कि FCI बारदानों का भुगतान नहीं करेगा.

जिसके बाद प्रदेश के किसानों में भारी रोष व्याप्त हो गया और किसानों ने सरकार के इस फैसले का विरोध करना शुरू कर दिया. हालांकि कृषि मंत्री जेपी दलाल ने पूरे मामले को लेकर कहा था कि खुले में अनाज पड़ा रहने से खराब हो जाता था. ऐसे में अनाज को सुरक्षित रखने के लिए अडानी गोदाम में स्टॉक करवाने के निर्देश दिए हैं. इससे किसानों को फायदा होगा. इसके बावजूद किसानों को मंडी बंद करने का डर सताने लगा और सोमवार को किसानों ने जबरदस्त प्रदर्शन कर सरकार को अपना फैसला वापस लेने पर मजबूर कर दिया.

पढ़ें:किसान आंदोलन में जान फूंकने की कवायद, अब बनेगा MSP गारंटी किसान मोर्चा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.