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रूस से तेल खरीद पर बोले हरदीप पुरी: तेल खरीदना बंद करने के लिए भारत किसी नैतिक संघर्ष में नहीं

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Published : Nov 1, 2022, 3:00 PM IST

Updated : Nov 1, 2022, 3:28 PM IST

हरदीप सिंह पुरी
हरदीप सिंह पुरी

केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सीएनएन से बात करते हुए बताया कि रूस से तेल खरीदना बंद करने के लिए भारत किसी नैतिक संघर्ष में नहीं है. सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में, पुरी ने बेकी एंडरसन के एक सवाल का जवाब दिया, जिन्होंने पुरी से सवाल किया था कि क्या भारत को रूस से इतनी अधिक खरीद पर शर्म है. इस पर मंत्री ने कहा कि कोई नैतिक संघर्ष नहीं है और ये तेल कंपनियां जो खरीदारी कर रही हैं.

नई दिल्ली: केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सीएनएन से बात करते हुए बताया कि रूस से तेल खरीदना बंद करने के लिए भारत किसी नैतिक संघर्ष में नहीं है. सीएनएन के साथ एक साक्षात्कार में, पुरी ने बेकी एंडरसन के एक सवाल का जवाब दिया, जिन्होंने पुरी से सवाल किया था कि क्या भारत को रूस से इतनी अधिक खरीद पर शर्म है. इस पर मंत्री ने कहा कि कोई नैतिक संघर्ष नहीं है और ये तेल कंपनियां जो खरीदारी कर रही हैं.

सीएनएन ने पुरी के हवाले से कहा कि 'बिल्कुल नहीं, कोई नैतिक संघर्ष नहीं है, अगर कोई वैचारिक स्थिति लेना चाहता है... हम एक्स या वाई से नहीं खरीदते हैं, हम जो कुछ भी उपलब्ध है उसे खरीदते हैं. मैं खरीदारी नहीं करता, यह तेल कंपनियां हैं जो खरीदारी करती हैं.' पुरी ने कहा कि भारत केवल 0.2 प्रतिशत खरीदता है, न कि 2 प्रतिशत रूसी तेल और वह एक दोपहर में यूरोप जितना खरीदता है उसका एक चौथाई हिस्सा खरीदता है.

रूस की रियायती दरों से भारत को लाभान्वित होने के बारे में पूछे जाने पर, पुरी ने कहा कि 'पहले मैं आपके दृष्टिकोण को सही करने का प्रयास करता हूं, हमने वित्तीय वर्ष 2022 को समाप्त कर दिया, रूसी तेल की खरीद 2 प्रतिशत नहीं थी, यह 0.2 प्रतिशत थी. इसके अलावा, हम अभी भी एक दोपहर में यूरोप जितना तेल खरीदता है, उसका एक चौथाई हिस्सा खरीदते हैं. तो, आइए इस बारे में बहुत स्पष्ट हो जाएं कि परिप्रेक्ष्य क्या है.'

भारत की बैकअप योजना के बारे में एक सवाल के जवाब में अगर पश्चिम रूस से तेल प्रतिबंध को कड़ा करने का फैसला करता है, तो पुरी ने कहा कि भारत के पास बैकअप योजनाएं हैं और हम कोई दबाव महसूस नहीं करते हैं. उन्होंने आगे कहा कि भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और बदलाव कर रहा है. उन्होंने कहा कि 'हमारे पास कई बैकअप योजनाएं हैं, मैं उस तरह से नहीं देखता जिस तरह से आप इसे देख रहे हैं. अमेरिका और यूरोप के साथ हमारी स्वस्थ चर्चा चल रही है. हम कोई दबाव महसूस नहीं करते, मोदी सरकार दबाव महसूस नहीं करती.'

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उन्होंने कहा कि हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, हम एक देश हैं, जो संक्रमण कर रहा है. जब आप तेल की कीमतों में वृद्धि करते हैं, तो उनके परिणाम होते हैं - उनमें से एक है मुद्रास्फीति और मंदी होगी, दूसरा हम हरित ऊर्जा में परिवर्तन करेंगे.' केंद्रीय मंत्री ने रूस के भारत को तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता होने के बारे में भी हवा दी और कहा कि रूस कुल आपूर्ति का केवल 0.2 प्रतिशत योगदान दे रहा है.

Last Updated :Nov 1, 2022, 3:28 PM IST
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