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ज्ञानवापी आदि विश्वेश्वर विराजमान केस में 6 अक्टूबर से रोजाना होगी सुनवाई

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Published : Sep 13, 2022, 4:55 PM IST

वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट में आदि विश्वेश्वर विराजमान केस की 6 अक्टूबर से रोजाना सुनवाई होगी. मुस्लिम पक्ष ने अपने अधिवक्ता के बीमार होने का हवाला देते हुए न्यायालय से जवाब फाइल करने के लिए दोबारा समय मांगा है.

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ज्ञानवापी

वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर में कथित आदि विश्वेश्वर विराजमान केस की सुनवाई 6 अक्टूबर से सिविल जज सीनियर डिवीजन महेंद्र कुमार पांडेय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में रोजाना सुनवाई होगी. मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने अपने अधिवक्ता के बीमार होने का हवाला देते हुए न्यायालय से जवाब फाइल करने के लिए दोबारा समय मांगा है. एडवोकेट शिवम गौड़ ने बताया कि इस पर न्यायालय ने उन्हें 6 अक्टूबर तक का समय दिया है. साथ ही न्यायालय ने अंतिम चेतावनी देते हुए यह भी कहा है कि 6 अक्टूबर से इस केस में प्रतिदिन सुनवाई की जाएगी. यदि 6 अक्टूबर तक मुस्लिम पक्ष ने अपना जवाब फाइल नहीं किया तो उनका अवसर समाप्त करते हुए न्यायिक प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा.

मालूम हो कि यह मुकदमा विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन की पत्नी किरन सिंह विसेन ने दाखिल किया है. मंगलवार को विश्वेश्वर मामले में विश्व वैदिक सनातन संघ की तरफ से किरन सिंह ने याचिका दायर की है मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर में मुस्लिम पक्ष का प्रवेश प्रतिबंधित हो. ज्ञानवापी का पूरा परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए. इसके अलावा ज्ञानवापी परिसर में मिले ज्योतिर्लिंग की नियमित पूजा-पाठ करने दिया जाए.

विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने बताया कि इस मुकदमे में UP सरकार, वाराणसी के डीएम और पुलिस कमिश्नर, अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट को प्रतिवादी बनाया गया है.

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बता दें कि श्री आदि विशेश्वर विराजमान केस की सुनवाई इससे पहले 5 सितंबर को हुई थी. उस दिन न्यायालय में वादी पक्ष की ओर से प्रतिवादी संख्या-4 अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की एप्लीकेशन का जवाब फाइल किया गया था. जिस पर कमेटी ने यह कहकर न्यायालय से समय मांगा था कि उन्हें वादी पक्ष की ओर से आए जवाब का प्रति उत्तर फाइल करना है. इसलिए उन्हें समय दिया जाए. इस पर न्यायालय ने प्रतिवादी संख्या-4 को 13 सितंबर तक का समय दिया था. आज इस बिंदु पर बहस शुरू होनी थी कि मुकदमा सुनवाई योग्य है या नहीं है.

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