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MP की जीवाजी विश्वविद्यालय से कितने निकले फर्जी डॉक्टर, जानकारी देने से क्यों डर रहा है जीवाजी विश्वविद्यालय

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Published : Jul 6, 2023, 10:28 PM IST

Gwalior Jiwaji University
एमबीबीएस की डिग्री फर्जी तरीके से निकाली

ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय से फर्जी तरीके से MBBS की डिग्री निकालने के मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं. मामले में जीवाजी विश्वविद्यालय जानकारी देने से कतरा रहा है.

एमबीबीएस की डिग्री फर्जी तरीके से निकाली

ग्वालियर। मध्यप्रदेश की इकलौती A++ का दर्जा रखने वाली ग्वालियर स्थित जीवाजी यूनिवर्सिटी ने 5 साल में किन-किन डॉक्टरों को डुप्लीकेट डिग्री और मार्कशीट दी है. इसकी जानकारी जीवाजी विश्वविद्यालय ने अभी तक पुलिस को नहीं दी है. अब पुलिस हार मान कर इसकी जानकारी लेने के लिए कानूनी नोटिस का सहारा ले रही है. पुलिस ने अब जानकारी जुटाने के लिए तीन कानूनी नोटिस भेजे हैं. नोटिस इसलिए भेजे गए हैं, क्योंकि महाराष्ट्र मालेगांव की फर्जी डॉक्टर प्रतिक्षा दायमा के पकड़े जाने के बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन पुलिस को जांच में सहयोग नहीं कर रहा है, जिसके चलते फर्जी तरीके से हासिल की गई MBBS डुप्लीकेट डिग्री और मार्कशीट कांड की जांच आगे नहीं बढ़ रही है.

डुप्लीकेट डिग्री और मार्कशीट मामले में किया गिरफ्तार: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में थाना झांसी रोड पुलिस ने महाराष्ट्र की फर्जी डॉक्टर प्रतीक्षा दायमा को असली डॉक्टर प्रतिक्षा शर्मा की MBBS की डुप्लीकेट डिग्री और मार्कशीट के साथ गिरफ्तार किया था. मामला क्राइम ब्रांच के पास पहुंचा तो फर्जीवाड़े के चौंकाने वाले खुलासे होना शुरू हुए. मालेगांव के नगर निगम में डॉक्टर के पद पर प्रतीक्षा दायमा ने नौकरी हासिल की. जबकि उसका पुलिस रिकॉर्ड बताता है वो और उसका साथी मोहम्मद शफीक महाराष्ट्र का ड्रग्स पैडलर है और दोनों की महाराष्ट्र पुलिस को तलाश है.

यूनिर्वसिटी ने दिए तर्क: जांच में पता चला कि जीवाजी यूनिवर्सिटी से मात्र 4 घंटे में 10 हजार रुपए देकर असली डॉक्टर की डुप्लीकेट MBBS की डिग्री,मार्कशीट निकाल ली. अब क्राइम ब्रांच ने यूनिवर्सिटी से 5 साल का रिकॉर्ड मांगा है कि MBBS किन-किन लोगों को डुप्लीकेट डिग्री और मार्कशीट दी गई है लेकिन यूनिवर्सिटी जानकारी पुलिस को सूचना देकर जांच में सहयोग नहीं कर रहा है. जिससे लगता है कि इस फर्जीवाड़े में यूनिवर्सिटी के अधिकारी कर्मचारी भी शामिल हैं ? वहीं इस फर्जीवाड़े को लेकर यूनिवर्सिटी प्रबंधन का अपना अलग ही तर्क है ? उनका कहना है कि "मौखिक रूप से पुलिस ने जो जानकारी मांगी थी उन्हें उपलब्ध करा दी गई है, लेकिन अब नोटिस मिला है तो लिखित में जानकारी जल्द पुलिस को उपलब्ध करा दी जाएगी. यूनिवर्सिटी में हड़ताल के चलते जानकारी पुलिस को उपलब्ध नहीं करा पाए थे".

प्रशासन ने मांगी जानकारी: इसको लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ऋषिकेश मीणा ने बताया है कि "जीवाजी विश्वविद्यालय से हमने पिछले 5 सालों का रिकॉर्ड मांगा है. जिसमें बताया गया है कि पिछले 5 सालों में किन-किन लोगों ने एमबीबीएस की डुप्लीकेट कॉपी ली है. इसको लेकर जीवाजी विश्वविद्यालय में सिर्फ संख्यात्मक जानकारी दी है लेकिन हम बार-बार जीवाजी विश्वविद्यालय से यह जानकारी जुटा रहे हैं कि किन-किन लोगों ने यह एमबीबीएस की डुप्लीकेट कॉपी मांगी है. उसका नाम पता सहित पूरी जानकारी दें, लेकिन जीवाजी विश्वविद्यालय की तरफ से जानकारी नहीं दी जा रही है. इसको लेकर अब जानकारी के लिए जीवाजी विश्वविद्यालय को कानूनी नोटिस भेजे हैं." वही जीवाजी विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी विमलेंद्र सिंह राठौर का कहना है कि "पुलिस के द्वारा जो जानकारी मांगी जा रही है उसकी कुछ जानकारी आकड़ों सहित जीवाजी विश्वविद्यालय की तरफ से भेज दी गई है. शेष जानकारी धीरे-धीरे विश्वविद्यालय की तरफ से दी जा रही है.

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फर्जीवाड़े रैकेट का हो सकता है खुलासा: गौरतलब है कि जीवाजी यूनिवर्सिटी से पांच साल में 25 डॉक्टर के नाम से आवेदन कर MBBS की डुप्लीकेट डिग्री और मार्कशीट निकाली गई है, इनमें 13 डुप्लीकेट मार्कशीट, 12 डुप्लीकेट डिग्री हैं. जिसमें फर्जी डॉक्टर प्रतिक्षा दायमा का नाम भी शामिल है, लेकिन यूनिवर्सिटी इन लोगों के नाम पते और कॉटेक्ट नंबर पुलिस को उपलब्ध नहीं करा रही है. अगर यूनिवर्सिटी जांच में सहयोग करें तो पुलिस डुप्लीकेट डिग्री और मार्कशीट लेने वाले लोगों के नामों को क्रॉस चेक करने के बाद इस फर्जीवाड़े रैकेट का खुलासा कर सकती है.

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