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उत्तराखंडः गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद, श्रद्धालुओं ने सुरंग में फंसे मजदूरों के सफल रेस्क्यू के लिए की प्रार्थना

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 14, 2023, 11:46 AM IST

Updated : Nov 14, 2023, 4:52 PM IST

Uttarkashi Gangotri Dham
उत्तराखंड गंगोत्री धाम

Uttarakhand Chardham Yatra 2023 अन्नकूट के पर्व पर गंगोत्री धाम के कपाट दोपहर 11 बजकर 45 मिनट पर बंद किए गए. मंदिर के कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की डोली जयकारों के साथ मुखबा के लिए रवाना हुई. वहीं कपाट बंद होने से अब श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन शीतकालीन प्रवास मुखीमठ (मुखबा) में कर सकेंगे. जहां मां गंगा की रोजाना पूजा-अर्चना की जाएगी.

गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद

उत्तरकाशी (उत्तराखंड): विश्व प्रसिद्ध चारधाम में शुमार गंगोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं. अन्नकूट के पावन पर्व पर गंगोत्री धाम के पुरोहितों द्वारा विधि विधान के साथ शीतकाल (Winter) के लिए 11 बजकर 45 मिनट पर कपाट बंद कर दिए गए. इस पल के कई श्रद्धालु साक्षी बने, जिन्होंने मां गंगा से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा. जिसके बाद मां गंगा की भोगमूर्ति डोली से मुखबा गांव के लिए रवाना हुई, जहां शीतकाल के दौरान मां की रोजाना पूजा की जाएगी.

विधि-विधान से बंद हुए गंगोत्री धाम के कपाट: विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट बंद करने के मौके पर वेद मंत्रों के साथ मां गंगा की मूर्ति का महाभिषेक किया गया. इसके बाद विधिवत हवन पूजा-अर्चना के साथ दोपहर 11 बजकर 45 मिनट पर कपाट बंद किए गए, जिसके बाद गंगा की डोली लेकर तीर्थ पुरोहित मुखबा के लिए रवाना हुए. वहीं इस पल के कई लोग साक्षी बने.
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अब श्रद्धालुओं को मुखबा गांव में दर्शन देंगी मां गंगा: गौर हो कि 15 नवंबर को मां गंगा की उत्सव डोली 6 महीने बाद अपने मायके मुखबा (मुखीमठ) पहुंचेगी. जहां पर ग्रामीण मां गंगा का स्वागत एक बेटी की तरह करेंगे. वहीं यमुनोत्री धाम के कपाट 15 नवंबर को बंद होंगे. गंगोत्री धाम के कपाट बंद होते समय धाम में मौजूद सैकड़ों तीर्थयात्रियों ने सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों के सकुशल रेस्क्यू की प्रार्थना की. तीर्थयात्रियों ने मां गंगा से प्रार्थना की कि रेस्क्यू अभियान सफल रहे. धार्मिक परम्परानुसार अन्नकूट पर्व पर अभिजीत मुहूर्त में अपराह्न 11 बजकर 45 मिनट पर गंगोत्री के कपाट बंद किये गए. इस अवसर पर श्री पांच गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष रावल हरीश सेमवाल और सचिव सुरेश सेमवाल सहित सभी पांच तोकों के तीर्थ पुरोहित उपस्थित रहे.

कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की उत्सव डोली को यात्रा स्थल गंगोत्री धाम से शीतकालीन पड़ाव मुखबा के लिए प्रस्थान कराया गया. भैरोघाटी स्थित देवी मंदिर में रात्रि निवास के बाद गंगा जी की उत्सव डोली बुधवार को मुखबा गांव में पहुंचेगी. इस साल गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालुजन दर्शनों के लिए पहुंचे. इस यात्रा काल में 13 नवंबर तक गंगोत्री धाम में 904,868 तथा यमुनोत्री धाम में 735,040 श्रद्धालु अपनी दर्शन कर चुके थे.

  • आज अन्नकूट के पावन पर्व पर वैदिक मंत्रोच्चार एवं विधि-विधान के साथ श्री #GangotriDham जी के कपाट शीतकाल हेतु बंद किये गए।

    इस वर्ष #UttarakhandPolice को 9 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की सेवा करने का सुअवसर मिला।#UKPoliceHaiSaath #CharDhamYatra2023 pic.twitter.com/aau2GS5N16

    — Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) November 14, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वहीं यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद मां यमुना के दर्शन खरसाली में होंगे. वहीं इसी दिन 15 नवंबर को सुबह बाबा केदार के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे. केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद बाबा केदार शीतकाल में दर्शन उखीमठ में होंगे. वहीं 18 नवंबर को भगवान बदरी विशाल के कपाट बंद होंगे. इसके साथ इस साल के लिए चारधाम यात्रा का समापन हो जाएगा. वहीं केदारनाथ धाम यात्रा में हेली सेवाओं का संचालन भी 14 नवंबर यानि आज तक ही होगा.

मंदिर की पौराणिक कथा: पौराणिक कथाओं के अनुसार अपने पितरों के उद्धार के लिए राजा भगीरथ ने यहां एक पवित्र शिलाखंड पर बैठकर भगवान भोलेनाथ की तपस्या की थी. जिसके बाद भगवान भोलेनाथ ने राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर देवी गंगा को अपनी जटाओं से भूलोक में भेजा था. मान्यता है कि मां गंगा ने इसी स्थान पर धरती का स्पर्श किया था और आगे चलकर राजा भगीरथ के पितरों का उद्धार किया था. जिसके बाद यहां मां गंगा का मंदिर बनाया गया, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. मान्यता है कि जो व्यक्ति एक बार भी मां गंगा में स्नान कर लेता है, वो इस जन्म के ही नहीं पूर्वजन्म के पापों से भी मुक्त हो जाता है.

Last Updated :Nov 14, 2023, 4:52 PM IST
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