ETV Bharat / bharat

600 अरब डॉलर की ढांचागत निवेश योजना के जरिए चीन-रूस से भिड़ेगा जी-7

author img

By

Published : Jun 27, 2022, 10:33 PM IST

G-7
जी-7

दुनिया के सात विकसित देशों के संगठन समूह-7 (जी-7) के नेताओं ने चीन के बीआरआई और रूस की आक्रामक नीति का मुकाबला करने के लिए 600 बिलियन डॉलर की योजना का वादा किया है. वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

नई दिल्ली : लगभग एक साल पहले 12 जून 2021 को ब्रिटेन के कॉर्नवाल में एक कार्बिस बे रिसॉर्ट में जी-7 शिखर सम्मेलन में दुनिया के सात सबसे अमीर देशों ने चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) प्रसार को रोकने के लिए एक विकल्प स्थापित करने का स्पष्ट आह्वान किया था. इसे चीनी प्रभाव का जाल बताया था. 'बिल्ड, बैक, बेटर वर्ल्ड' (3BW) कहा था. इसी के मद्देनजर दुनिया के सात विकसित देशों के संगठन समूह-7 (जी-7) के नेताओं ने भारत जैसे विकासशील देशों में ढांचागत परियोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए वर्ष 2027 तक 600 अरब डॉलर का वित्त जुटाने की महत्वाकांक्षी योजना का एलान किया है.

सोमवार को G-7 ने फिर से ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड इनवेस्टमेंट (PGII) योजना के लिए साझेदारी के आधिकारिक लॉन्च की घोषणा की, जिसका उद्देश्य सुरक्षा जरूरतों को आगे बढ़ाने के अलावा, 'विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे के अंतर को खत्म करने के लिए गेम-चेंजिंग प्रोजेक्ट्स को मजबूत' करना है. जी-7 देशों की इस पहल को चीन की तरफ से चलाई जा रही ‘बेल्ट एवं रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. चीन ने दुनिया के कई देशों को ढांचागत परियोजनाओं के लिए भारी कर्ज दिया हुआ है. जी-7 देशों के यहां आयोजित शिखर सम्मेलन में रविवार को 'वैश्विक अवसंरचना एवं निवेश भागीदारी' (पीडीआईआई) योजना का अनावरण किया गया. यह योजना जी-7 की पिछले साल ब्रिटेन बैठक में घोषित योजना का ही संशोधित रूप है.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पीजीआईआई का एलान करते हुए कहा कि यह योजना सभी के लिए फायदेमंद साबित होगी. उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'जी-7 के देश मिलकर 2027 तक करीब 600 अरब डॉलर जुटाएंगे जिसे महत्वपूर्ण ढांचागत परियोजनाओं में लगाया जाएगा. ये परियोजनाएं लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाएंगी और सही मायने में उनके लिए लाभदायक होंगी.'

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वैश्विक ढांचागत भागीदारी की यह पहल कोई मदद या 'चैरिटी' न होकर सभी लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए किया जाने वाला निवेश है. इससे सभी अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिलेगा. चीन की अरबों डॉलर वाली बीआरआई योजना की इस आधार पर आलोचना की जाती रही है कि इसने कई विकासशील देशों को कर्ज के बोझ तले दबा दिया है. चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग की तरफ से 2013 में घोषित बीआरआई योजना के तहत विकासशील देशों को बंदरगाह, सड़क एवं पुल बनाने के लिए कर्ज दिया जाता है.

अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका पीजीआईआई के तहत अगले पांच वर्षों में अनुदान, संघीय वित्तपोषण और निजी निवेश के जरिये 200 अरब डॉलर जुटाने की मंशा रखता है. समूह-7 मिलकर कुल 600 अरब डॉलर का वित्त जुटाने की कोशिश करेगा. भारत के बारे में व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय विकास वित्त निगम (डीएफसी) उद्यम पूंजी कोष ओम्निवोर एग्रीटेक एंड क्लाइमेट सस्टेनेबिलिटी फंड-3 में तीन करोड़ डॉलर का निवेश करेगा. यह कोष भारत में कृषि, खाद्य प्रणाली, जलवायु एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था से जुड़े उद्यमों में निवेश करेगा.

पढ़ें- जी7 में भारत की मौजूदगी पर जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

कुछ उल्लेखनीय PGII परियोजनाओं में सिंगापुर से फ्रांस तक 17,000 किमी लंबी समुद्र के भीतर दूरसंचार केबल शामिल है, जो पूरे क्षेत्र के देशों को उच्च गति, विश्वसनीय कनेक्टिविटी, अंगोला में एक सौर ऊर्जा परियोजना के साथ जोड़ेगी, जो कई परियोजनाओं में से एक है जो जी -7 की उपस्थिति को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी. अफ्रीका में जो हाल ही में चीनी हितों और प्रभाव का केंद्र बन गया है. हालांकि यह काफी संभावना है कि PGII योजना कमजोरियों से ग्रस्त होगी. सबसे पहले, जर्मनी, फ्रांस और इटली जैसे प्रमुख यूरोपीय संघ के देशों के बीच छोटे देशों के साथ जहां तक ​​युद्ध का संबंध है, कोई स्पष्ट सहमति नहीं है.

जाहिर है जर्मनी, फ्रांस और इटली एक लंबा युद्ध नहीं चाहते हैं. दूसरे, जी -7 देश अपनी अनूठी ताकत और कमजोरियों के साथ विषम हैं, जिससे चीन विरोधी बैंडवागन में उन सभी को एक साथ समूहित करना मुश्किल हो जाता है. तीसरा विश्व अर्थव्यवस्था एक आसन्न संकट को देख रही है. मुद्रास्फीति का स्तर रिकॉर्ड ऊंचाई पर है जबकि ऊर्जा और खाद्य आपूर्ति सीमित है. ऐसे समय में, रूस और चीन के साथ अमेरिका के नेतृत्व वाले टकराव का समर्थन करने के लिए देशों की लचीलापन और प्रतिबद्धता डगमगा सकती है. चौथा, जी-7 का दबदबा अब पहले जैसा नहीं रहा. 1975 से जब जी-7 का उदय हुआ, दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में सात सबसे अमीर लोकतंत्रों का हिस्सा चीन के 18 प्रतिशत से अधिक के मुकाबले 80 प्रतिशत से घटकर 40 प्रतिशत हो गया है.

पढ़ें- जलवायु प्रतिबद्धताओं के प्रति भारत का संकल्प प्रदर्शन से स्पष्ट: मोदी

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.