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साल 2024 में मुख्य न्यायाधीश समेत सुप्रीम कोर्ट के चार जज होंगे रिटायर

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 2, 2024, 1:09 PM IST

Updated : Jan 2, 2024, 2:11 PM IST

Four Judges to retire from SC in 2024 : साल 2024 में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ समेत चार जज रिटायर होंगे. सीजेआई इस साल नवंबर महीने में रिटायर होंगे.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : नया साल में सुप्रीम के सामने कई मामले आने वाले हैं. सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग केस का मामला अक्सर सुर्खियां बटोरता रहा है. इस लिहाज से देखें तो साल 2024 सुप्रीम कोर्ट के लिए काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है. इस साल शीर्ष न्यायालय से भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश सहित चार न्यायाधीश सेवानिवृत्त होंगे. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की कुल संख्या 34 से घटकर 29 हो जाएगी. इस साल रिटायर होने वाले जजों की पूरी लिस्ट यहां पढ़ें...

जस्टिस अनिरुद्ध बोस- सबसे पहले इस साल न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस सेवानिवृत होंगे. 10 अप्रैल, 2024 को सुप्रीम कोर्ट में उनके कार्यकाल का अंतिम दिन होगा. न्यायमूर्ति बोस को 24 मई, 2019 को सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया गया था. बता दें कि प्रमोशन से पहले न्यायमूर्ति बोस ने झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम किया था. अपने कार्यकाल के दौरान न्यायमूर्ति बोस कई महत्वपूर्ण संवैधानिक बेंच का हिस्सा रहे हैं.

जस्टिस ए.एस. बोपन्ना- न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना 19 मई, 2024 को रिटायर होंगे. उन्हें 24 मई, 2019 को गौहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में प्रमोट किया गया था. जस्टिस बोपन्ना सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान केंद्र की 2016 की नोटबंदी योजना, सांसदों/विधायकों की बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, एनईईटी में ओबीसी आरक्षण और टाटा बनाम सायरस मिस्त्री जैसे मुकदमों की सुनवाई कर चुके हैं.

बता दें कि न्यायमूर्ति बोपन्ना अतिरिक्त रूप से 3-न्यायाधीशों की पीठ का हिस्सा थे, जिसने पीड़िता के साथ 'त्वचा से त्वचा' संपर्क की कमी पर POCSO अधिनियम, 2012 की धारा 8 के तहत आरोपी को बरी करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी. इसके साथ ही 2020 में, 3-न्यायाधीशों की पीठ ने कुख्यात निर्भया मामले में मौत की सजा पाए एक दोषी की नाबालिग होने की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें जस्टिस बोपन्ना भी कोरम का हिस्सा थे. वर्तमान में, न्यायमूर्ति बोपन्ना दो संवैधानिक पीठों का हिस्सा हैं, जो रिश्वत के मामलों में सांसदों की छूट और नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 से निपट रहे हैं, जिनकी न्यायिक घोषणाएं अवेटेड हैं.

जस्टिस हिमा कोहली- जस्टिस हिमा कोहली 8 अगस्त, 2021 से सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई कर रही हैं. न्यायमूर्ति हिमा कोहली 1 सितंबर, 2024 को रिटायर होने वाली हैं. सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति से पहले जस्टिस कोहली तेलंगाना उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थीं. हिमा सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाली 9वीं महिला जज हैं.

जस्टिस कोहली ने पीओएसएच अधिनियम के कार्यान्वयन के निर्देश और 'दहेज की मांग' की व्याख्या सहित महिलाओं के अधिकारों के मुद्दों पर उल्लेखनीय निर्णय लिखे हैं. इसके साथ ही कोहली प्रमुख संवैधानिक पीठों का हिस्सा रही हैं. उनमें से कुछ उल्लेखनीय मामले विवाह समानता मामला, महाराष्ट्र राजनीतिक संकट और दिल्ली सरकार बनाम एलजी केस हैं. इसके अलावा, न्यायमूर्ति कोहली पूर्व सीजेआई एनवी रमना के नेतृत्व वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ का भी हिस्सा थी, जिसने पेगासस स्पाइवेयर मामले में आरोपों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की थी.

जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़- भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ भी इस साल सेवानिवृत हो जायेंगे. सीजेआई जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ दो साल के लंबे कार्यकाल के बाद 10 नवंबर, 2024 को रिटायर होंगे. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर, 2022 को भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी. उन्हें 13 मई, 2016 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. इससे पहले वह उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपनी सेवा दे रहे थे.

बता दें कि जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ रिटायरमेंट के बाद जस्टिस संजीव खन्ना उनकी जगह लेंगे. मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ भारतीय सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने सहित कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं. वह बुनियादी मौलिक अधिकार के रूप में निजता के अधिकार पर 9 न्यायाधीशों की पीठ, आईपीसी की धारा 377 की संवैधानिकता और अयोध्या राम मंदिर विवाद का मुद्दा जैसे मामलों का भी हिस्सा रहे हैं.

हाल ही में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मामले में भी फैसला सुनाया है. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने विवाह समानता मामले में विशेष रूप से असहमति जताई, जिसमें उन्होंने माना कि समलैंगिक जोड़ों को भी शादी का अधिकार है. वर्तमान में, नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 की संवैधानिकता पर सीजेआई के नेतृत्व में तीन संवैधानिक पीठ, चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता और 2018 एशियन रिसर्फेसिंग जजमेंट के खिलाफ संदर्भ ने अपने फैसले सुरक्षित रखे हैं.

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Last Updated : Jan 2, 2024, 2:11 PM IST
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