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सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद राम मंदिर कोई मुद्दा नहीं: पूर्व चांसलर सरेशवाला

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 8, 2024, 12:57 PM IST

Sareshwala on Ram Mandir: गुजरात के बड़े कारोबारी और मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर जफर सरेशवाला ने राम मंदिर को लेकर बड़ी बात कही. देखें ईटीवी भारत पर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू...

Exclusive Interview of Zafar Sareshwala with ETV Bharat on Ram Mandir, and other issues
सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद राम मंदिर कोई मुद्दा नहीं: पूर्व चांसलर सरेशवाला

पूर्व चांसलर

अहमदाबाद: गुजरात के जाने-माने कारोबारी और मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के पूर्व चांसलर जफर सरेशवाला ने ईटीवी भारत उर्दू के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए. इस वक्त देशभर में राम मंदिर चर्चा का विषय बना हुआ है. इस मुद्दे पर उन्होंने कहा, 'जब तक यह मामला सुप्रीम कोर्ट में था, तब तक मुद्दा था.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब यह कोई मुद्दा नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला कर दिया है कि अब यह राम मंदिर है, इसलिए सब शांत हो गए.' उन्होंने आगे कहा, 'मंदिर लगभग बन चुका है. यह ठीक है. हमें समस्या क्यों होनी चाहिए. हम प्रतिक्रिया क्यों देते हैं? हमारी (मुसलमानों) समस्या यह है कि हम हर चीज पर प्रतिक्रिया देते हैं. इस विषय पर प्रतिक्रिया देने की कोई जरूरत नहीं है.'

उन्होंने अयोध्या के धन्नीपुर में बाबरी मस्जिद की जगह मस्जिद बनाने की बात पर कहा, 'सबसे पहले तो मैं इस मस्जिद के खिलाफ हूं. आप वहां मस्जिद क्यों बनाना चाहते हैं जहां 30 किमी के आसपास कोई मुस्लिम आबादी नहीं है? वहां मस्जिद बनाकर क्या करेंगे? मैं कहता कि धनीपुर की जमीन के बदले हमें लखनऊ में स्कूल-कॉलेज के लिए जमीन दे दीजिए.'

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर उन्होंने कहा कि लड़ाई राजनीतिक दलों के बीच है. मुसलमान बीच में क्यों आता है? हमारी राजनीति की स्थिति क्या है? जिन पार्टियों को आपके 90फीसीद वोट मिलते हैं, वे आपको टिकट देती हैं या नहीं? तो चुनाव में हमें 'बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना' जैसी प्रतिक्रिया क्यों देनी चाहिए?'

इसके साथ ही उन्होंने अल्पसंख्यक शिक्षा विषय पर भी प्रकाश डाला. जफर सरेशवाला खुद एक शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि 1992 के गुजरात सांप्रदायिक दंगों के बाद उन्होंने इस क्षेत्र में कुछ करने के बारे में सोचा. उस समय मुझे लगा कि मुसलमानों के पास शिक्षा के बिना कोई विकल्प नहीं है.

फिर, हमने अपने कार्यालय से एक छोटे पैमाने पर व्यावसायिक मार्गदर्शन कार्यक्रम शुरू किया. इसके बाद 2014 में हमने इसके लिए एक ढांचा तैयार किया. उस वक्त अभिनेता सलमान खान के पिता सलीम खान हमारे संपर्क में थे. उन्होंने इस शिक्षा कार्यक्रम के लिए एक नाम सुझाया 'तालीम की ताकत' यानि शिक्षा की शक्ति. 2014-2015 में इस कार्यक्रम को 'तालीम की ताकत' यानी शिक्षा की शक्ति नाम से लॉन्च किया गया था. और बीजेपी के सत्ता में आने के बाद भी इस कार्यक्रम को काफी समर्थन मिला.

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