ETV Bharat / bharat

फुटबॉल मैच तक पहुंची रूस-यूक्रेन युद्ध की आग, पुतिन के समर्थन में नारे लगाने पर जांच के आदेश

author img

By

Published : Jul 30, 2022, 3:51 PM IST

UEFA
फुटबॉल मैच

अंकारा में बुधवार को एक फुटबाल मैच के दौरान रूसी राष्ट्रपति पुतिन के समर्थन में नारेबाजी चर्चा का विषय बनी हुई है. वहीं, यूरोपीय फुटबॉल संघों के संघ (यूईएफए) ने जांच के आदेश दिए हैं. वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

नई दिल्ली : खेल और राजनीति को अलग रखने के यूटोपियन आदर्श के बावजूद खेल का दायरा कभी भी राजनीति की उथल-पुथल भरी दुनिया से बहुत दूर नहीं रहा है. ग्रीस में लगभग 12 शताब्दियों तक चले ओलंपिक खेलों के पुराने समय में भी सारी महिमा चैंपियनों के साथ जुड़ी हुई थी. बात आधुनिक समय की करें तो 1968 में मैक्सिको सिटी ओलंपिक में अमेरिकी एथलीटों टॉमी स्मिथ और जॉन कार्लोस द्वारा 'ब्लैक फिस्ट सैल्यूट' से लेकर संबंधित सत्ता ब्लॉकों द्वारा खेलों के बहिष्कार तक सबकुछ सामने आ चुका है. अब ऐसे में जब रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ा है तो भी उसका असर खेलों और राजनीति पर पड़ना स्वाभाविक है.

ऐसा ही तब दिखा जब तुर्की और यूक्रेन की टीम के बीच चैंपियंस लीग क्वालीफाइंग फुटबॉल मैच में 20-सेकेंड तक रूस के समर्थन में नारे लगने के बाद यूरोपीय फुटबॉल संघों का संघ (UEFA) ने जांच के आदेश दिए. चैंपियंस लीग क्वालीफायर मैच बुधवार को तुर्की के क्लब फेनरबाह (Fenerbahce) और यूक्रेन के प्रमुख क्लब डायनमो कीव (Dynamo Kyiv) के बीच हुआ. नारेबाजी तब हुई जब डायनमो कीव ने अतिरिक्त समय के खेल में 2-1 की बढ़त ले ली और तुर्की क्लब को प्रतियोगिता से प्रभावी ढंग से बाहर कर दिया. इस पर फेनरबाह के समर्थकों ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नाम से नारे लगाए.

इस पर तुर्की क्लब के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर ऑनलाइन प्रतिक्रिया के बीच डायनमो कीव ने भी विरोध जताया. यूईएफए ने एक 'नैतिकता और अनुशासन निरीक्षक' से जांच कराने का आदेश दिया है. हालांकि गुरुवार को एक बयान में फेनरबाह ने कहा कि पुतिन के समर्थन में नारेबाजी करने वालों से क्लब का कोई वास्ता नहीं है. लेकिन इस पूरे घटनाक्रम का एक और पहलू है. तुर्की कई मामलों में अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो का भागीदार रहा है. हालांकि तुर्की पर रूसी हथियार और सिस्टम खरीदने के लिए प्रतिबंध भी लगाए गए हैं. इस मामले में अपराधी शक्तिशाली S-400 वायु रक्षा और मिसाइल प्रणाली है. दूसरी ओर अमेरिका ने गैर-नाटो सदस्य भारत के लिए रूस से समान खरीदने के लिए छूट की घोषणा की है.

तुर्की कुर्दों के लिए नाटो और यूरोपीय संघ के देशों की सहायक भूमिका से भी नाराज है. कुर्द सशस्त्र संगठन कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी है जिसे पीकेके के रूप में भी जाना जाता है. ये तुर्की से स्वायत्तता या पूर्ण स्वतंत्रता चाहते हैं. तुर्की में कुर्दों की संख्या लगभग 14 मिलियन है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कॉलेज में इतिहास पढ़ाने वाले विश्लेषक प्रो. कुमार संजय सिंह ने कहा,'खेल लोकप्रिय राय या लोकप्रिय राष्ट्रवाद को प्रसारित करने का एक प्रमुख तरीका है. यह किसी विशेष देश या क्षेत्र में ये बताता है कि जनता का मूड कैसा है. अंकारा में जो नारेबाजी हुई है उससे लगता है कि जनता का मूड पश्चिम-विरोधी है. या यूं कह लें कि ये अमेरिका-विरोधी झुकाव का संकेत हो सकता है.'

उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक रूप से 14वीं-15वीं शताब्दी के यूरोप से तुर्की का पश्चिम के साथ द्विपक्षीय संबंध रहा है. गौरतलब है कि रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला किया था. इस संघर्ष को 150 से भी ज्यादा दिन हो चुके हैं. बड़े पैमाने पर की गई बमबारी में बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए हैं. इस युद्ध में 12,000 से अधिक आम नागरिकों ने भी जान गंवाई है.

पढ़ें- रूस ने यूक्रेन के उत्तर, पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों में हमले तेज किए, 16 की मौत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.