ETV Bharat / bharat

हिमाचल में पहली बार होगी जल स्रोतों की जियो टैगिंग, जीबी पंत के शोधार्थियों ने शुरू किया रिसर्च वर्क

author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 11, 2023, 9:45 PM IST

Himachal Geo Tagging Of Water Sources: हिमाचल में पहली बार जीबी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरमेंट की मदद से प्रदेश के जल स्रोतों की जियो टैगिंग की जाएगी. इसके आधार पर जल स्रोतों का रिकॉर्ड मेंटेन होगा. इस डाटा के आधार पर जल संरक्षण की दिशा में आवश्यक कदम उठाने में मदद मिलेगी.

Etv Bharat
Etv Bharat

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में पहली बार जल स्रोतों की जियो टैगिंग की जा रही है. जिसके चलते पूरे हिमाचल प्रदेश के प्राकृतिक जल स्रोतों का डाटा तैयार होगा. जो प्राकृतिक जल स्रोतों के संरक्षण संवर्धन की योजना बनाने में मददगार साबित होगा. प्रदेश में प्राकृतिक जल स्रोतों की जियो टैगिंग करने के लिए रिसर्च का कार्य जीबी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरमेंट मौहल के शोधार्थियों ने शुरू कर दिया है.

अब तक कुल्लू के खडीहार क्षेत्र और मंडी जिला के बरोट क्षेत्र में शोध कार्य आरंभ किया जा चुका है, जिमसें करीब 50 से अधिक जल स्रोत को क्रम बद्ध कर लिया गया है. लिहाजा, इन क्षेत्रों में तीन से ज्यादा प्राकृतिक जल स्रोत ऐसे पाए गए हैं, जो पूरी तरह सूख चुके हैं. हालांकि, ये जल स्रोत क्यों सूख गए इसका कारण सामने आना अभी बाकी है, लेकिन जल स्रोत की जियो टैगिंग के लिए की जा रही. इस रिसर्च से सूख रहे जल स्रोत के संरक्षण के क्षेत्र में समय रहते काम किया जा सकता है. यह रिसर्च जियोलॉजिकल स्टडी के आधार पर की जा रही है. इस स्टडी में जीबी पंत इंस्टीट्यूट के साथ-साथ वन विभाग और जल शक्ति विभाग के अधिकारियों की भी विशेष भूमिका रहेगी.

Himachal water sources
हिमाचल में पहली बार होगी जल स्रोतों की जियो टैगिंग

कितनों जल स्रोत पर रिसर्च शुरू: जीबी पंत मौहल के अधिकारियों के अनुसार कुल्लू के खडीहार क्षेत्र में अब तक करीब 27 जल स्रोतों पर रिसर्च शुरू की जा चुकी है. जिसमें पानी का स्तर से लेकर उसकी शुद्धता व समय सब का रिकार्ड मेंटेंन किया जा रहा है. जबकि इसके अलावा मंडी जिला के बरोट क्षेत्र में भी 27 जल स्रोतों की सूची तैयार कर ली गई है. इन पर शोध कार्य आरंभ किया जा चुका है. इसी तर्ज पर अब हिमाचल प्रदेश के तमाम जिलों में यह शोध कार्य शुरू किया जा रहा है. ताकि इन प्राकृतिक जल स्रोतों का रिकॉर्ड तैयार किया जा सके और जल स्रोत को जियो टैगिंग के जरिए अपनी अलग पहचान मिले.

Himachal water sources
जीबी पंत के शोधार्थियों ने शुरू किया रिसर्च वर्क

खडीहार क्षेत्र को इंटरवेंशन साइट बनाया गया: जियाे टैगिंग के लिए शुरू किए गए जल स्रोतों के रिसर्च वर्क के दौरान कुल्लू के खडीहार क्षेत्र को इंटरवेंशन साइट बनाया गया है. इस क्षेत्र में खडीहार पंचायत के पांच गांवों के साथ-साथ बल्ह-दो पंचायत को भी लिया गया है. लिहाजा, इस साइट को एक मास्टर साइट के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा.

सीजन के आधार पर मेंटेन होगा डाटा: गौरतलब है कि इन इन प्राकृतिक जल स्रोतों की जियो टैगिंग के लिए जो स्टडी की जा रही है, उसके लिए सीजन के आधार पर डाटा तैयार किया जा रहा है. जिसमें यह बात भी सामने आ पाएगी कि कौन सा जल स्रोत कौन से सीजन में सूखता है और कौन सा जल स्रोत 12 महीने बहता रहता है? लिहाजा, इस स्टडी के लिए तीन सीजन को आधार माना गया है. जिसमें मानसून, प्री मौनसून और पोस्ट मौनसून शामिल होगा. इन सीजन के आधार पर जल स्रोतों को डाटा तैयार किया जा रहा है.

Himachal water sources
जियो टैगिंग से जल स्रोत संरक्षण में मिलेगी मदद

कुल्लू-मंडी के कुछ हिस्सों में शोध कार्य आरंभ: जीबी पंत मौहल के सांइटिस्ट-एफ एवं सेंटर हेड इंजीनियर राकेश कुमार सिंह ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक जल स्रोतों की जियो टैगिंग की जाएगी. जिसके लिए जीबी पंत इंस्टीट्यूट मौहल के शोधार्थी शोध करने में जुट गए हैं. कुल्लू और मंडी जिला के कुछ हिस्सों में शोध कार्य आरंभ किया जा चुके हैं, लेकिन यह शोध कार्य पूरे प्रदेश में होगा. जिससे प्राकृतिक जल स्रोतों का एक डाटा तैयार किया जाएगा. ताकि प्रदेश के जल स्रोतों को अपनी अलग पहचान मिलेगी.

Himachal water sources
जियो टैगिंग से जल स्रोतों को रिचार्ज करने में मिलेगी मदद

क्या होता है जियो टैगिंग: जियो टैगिंग का मतलब किसी भी इलाके की भौगोलिक स्थिति, उसके फोटो, मैप और वीडियो के जरिए जानकारी देना है. इससे अक्षांश व देशांतर से उस जगह की लोकेशन जानी जाती है. इससे गूगल मैप देखकर संबंधित जगह का आसानी से पता किया जाता है. इसके अतिरिक्त अन्य चीजें भी इससे जोड़ी जा सकती हैं. अब देश में सरकारी योजना के तहत निर्माण कार्यों की भी जियो टैंगिंग हो रही है. जियो टैगिंग वाले कार्य पोर्टल या वेबसाइट पर अपलोड किए जाते हैं. सरकारी विभागों में पहले विकास कार्य धरातल की बजाय कागजों में ही पूरे कर भुगतान जारी कर दिया जाता था. इसलिए ज्यादातर विभाग विकास कार्यों की जियो टैगिंग कराते हैं. इससे विभाग के कार्यों को मोबाइल एप के जरिए कहीं भी देखा जा सकता है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में एक से डेढ़ फीट तक स्नोफॉल, चंबा की पहाड़ियां बर्फ से ढकी, पांगी घाटी संपर्क मार्ग बाधित

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.