बागपत: प्रदेश के बागपत पहुंचे किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि 10 साल में किसानों का ट्रैक्टर उतना नहीं चलता, जितना रोडवेज की गाड़ियां चलती हैं. उन्होंने 10 साल से अधिक पुराने ट्रैक्टर पर प्रतिबंध संबंधी NGT के नियमों को लेकर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि ये कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है. उन्होंने कहा कि NGT (National Green Tribunal) के नाम पर किसानों के ट्रैक्टर तोड़े जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि NGT में इसको लेकर विचार होना चाहिए, इसमें किसानों को भी शामिल किया जाना चाहिए.
टिकैत ने कहा कि 10 साल में जज की गाड़ी 50 से 60 हजार किलोमीटर चलती है. डाक्टर की 60 से 90 हजार किलोमीटर चल जाती होगी. वहीं, रोडवेज की गाड़ी 10 लाख किमी चल जाती है. NGT के नियमों के अनुसार किसान का ट्रैक्टर जज की गाड़ी सभी एक ही कैटेगरी में आती हैं. ये सिर्फ कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार कोई गलत फैसला लेती है तो हम उसका पूरी तरह से विरोध करेंगे. दरअसल, NGT ने 26 नवंबर, 2014 के अपने आदेश में कहा था कि 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों और 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों को दिल्ली-NCR में संचालन की अनुमति नहीं होगी. ऐसे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों जैसे मुजफ्फरनगर, बागपत, हापुड़, शामली और मेरठ में किसान इस फैसले से नाराज हैं.
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बड़े आंदोलन की जरूरत: टिकैत ने कहा कि बागपत एक ऐसा जिला है, जो पूरे यूपी में बिजली का रेट सबसे ज्यादा देता है और गन्ने का भुगतान तीन साल पर होता है. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि क्या कोई ऐसा व्यापार है, जिसमें तीन साल में पैसा मिलता है. उन्होंने कहा कि इसीलिए किसान घाटे में हैं. ऐसे में एक बार फिर देश में एक बड़े आंदोलन की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकारें बातचीत करने को तैयार नहीं हैं. टिकैत ने कहा कि जो दिल्ली का भी समझौता है वो सरकार ने ऑनलाइन किया, उसको भी मान नहीं रही, चाहे MSP का सवाल हो या फिर NGT के नाम पर जो ट्रैक्टर तोड़े जा रहे हैं उसका सवाल हो.
संगठन के दो फाड़ पर बोले टिकैत: वहीं, संगठन में दो फाड़ के सवाल पर उन्होंने कहा कि वो लोग विचारधारा से भिन्न थे. इसलिए उन्हें निकाला गया और आखिर में पृथक संगठन बनाया गया. उन्होंने भी उसी नाम से किसान संगठन बनाया है. उन्होंने कहा कि जनता की बहुत सी समस्याएं हैं, उस पर काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि देश के करीब 550 किसान संगठन संयुक्त मोर्चे से जुड़कर काम कर रहे हैं.
ज्ञानवापी पर बोले टिकैत: ज्ञानवापी परिसर विवाद को सियासी मुद्दा करार देते हुए कहा कि इसके कारण देश प्रभावित हो रहा है. यहां कोई विकास के काम पर बात नहीं कर रहा है और जहां तक बात मंदिर की है तो हमारे हर गांव में मंदिर-मस्जिद दोनों ही हैं.
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