नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को 'मेगा गतिशक्ति मास्टर प्लान' योजना का अनावरण किया. मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के लिए समग्र योजना को संस्थागत रूप देकर विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी के मुद्दे के समाधान के लिए पीएम-गतिशक्ति परियोजना की शुरुआत की गई है. इसका उद्देश्य लॉजिस्टिक्स की लागत कम करना और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे का विकास करना है. यह एक डिजिटल मंच है जिससे 16 मंत्रालयों को जोड़ा जाएगा.
गतिशक्ति मास्टर प्लान एक ऐसा मंच है जहां सड़क से लेकर रेलवे, उड्डयन से लेकर कृषि मंत्रालय तक एक मंच से जुड़ेंगे, यहां उन प्रोजेक्ट को डाल दिया जाएगा जो मौजूदा समय में चल रहा है या आगामी दो से तीन सालों में पूरा होना है. इस मंच के जरिए अलग मंत्रालयों और विभागों के बीच रियल टाइम को-ऑर्डिनेशन होगा ताकि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की योजनाओं को भावी तरीके से लागू किया जा सकता है.
ताजा दृष्टिकोण
अधिकारियों ने कहा कि योजना बनाने से लेकर परिवहन परियोजनाओं के क्रियान्वयन तक सभी संबंधित एजेंसियों के समन्वय से पूरा दृष्टिकोण अपनाया जाएगा ताकि प्रत्येक एजेंसी अन्य एजेंसियों की योजनाओं के बारे में पूरी तरह से अवगत हो सकें. उन्होंने कहा, 'प्रबंधन के दृष्टिकोण में बदलाव से व्यापार करने में आसानी, परियोजनाओं के तेज और कुशल निष्पादन में मदद मिलेगी साथ ही देरी और लागत में वृद्धि से बचने और रसद लागत को कम करने में भी मदद मिलेगी.'
क्या है पीएम गतिशक्ति योजना
पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के जरिए रियल टाइम के आधार पर सूचना और आंकड़ों उपलब्धा आसान होगी और चीजें ज्यादा स्पष्ट होंगी. इसके अलावा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का काम बेहतर तरीके हो सकेगा, क्योंकि एक दूसरे विभाग पर दोष मढ़ने का विकल्प नहीं होगा, समस्या पैदा होने पर उनका निवारण के प्रति क्या रवैया है, इसे भी देखा जा सकेगा. इसके अलावा मंत्रालयों के बीच सूचना को लेकर कम विषमता होगी.
कैसे होगा योजना पर अमल?
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के तहत भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (BISAG-N) ने गति शक्ति योजना की निगरानी के लिए प्लेटफार्म विकसित किया है. उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) सभी परियोजनाओं की निगरानी और कार्यान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय बनाया गया है. इंफ्रा परियोजनाओं का जायजा लेने के लिए एक राष्ट्रीय योजना समूह नियमित रूप से बैठक करेगा. किसी भी नई जरूरत को पूरा करने के लिए मास्टर प्लान में किसी बदलाव को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली समिति मंजूरी देगी.
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नवीनतम आईटी उपकरणों का उपयोग
इस योजना का उद्देश्य उद्यम संसाधन योजना प्रणाली जैसे बुनियादी ढांचे की समन्वित योजना के लिए आधुनिक तकनीक और नवीनतम आईटी उपकरणों को नियोजित करने का है. इनके जरिये कार्यों की प्रगति और उपयोग पर निगरानी की जा सकेगी. अधिकारियों के मुताबिक सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के तहत भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (BISAG-N) द्वारा रीयल-टाइम अपडेट सुविधा के साथ सभी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की गतिशील मैपिंग विकसित की गई है. यह इसरो द्वारा उपलब्ध कराई गई सैटेलाइट इमेजरी और सर्वे ऑफ इंडिया के आधार मानचित्रों का भी उपयोग करता है.
एकतरफा विकास का अंत
अधिकारियों के मुताबिक देश में बुनियादी ढांचे के विकास में एकतरफा विकास और क्षेत्रीय असंतुलन को खत्म करने के लिए पीएम गतिशक्ति पोर्टल और नेशनल मास्टर प्लान बनाया गया है. उन्होंने कहा कि विकास के पारंपरिक दृष्टिकोण से दूर जाने की तत्काल आवश्यकता है जिसने क्षेत्रीय और क्षेत्रीय असंतुलन पैदा किया है और इस वजह से एकतरफा विकास के परिणाम सामने आए हैं. इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में ढांचागत विकास शायद ही कभी एक-दूसरे के साथ होता था. फलस्वरूप इस प्रकार बुनियादी ढांचे और आर्थिक विकास की अनिवार्यताओं के बीच व्यापक अंतर पैदा होता था.
सामान्य योजना
पीएम गतिशक्ति पोर्टल के शुभारंभ के बाद, परियोजनाओं को अलग से योजना बनाने और डिजाइन करने के बजाय एक सामान्य दृष्टि से डिजाइन और निष्पादित किया जाएगा. ष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुसार व्यवधानों को कम करना और लागत दक्षता के साथ कार्यों को शीघ्र पूरा करना सुनिश्चित करना प्रमुख उद्देश्य है.
केंद्र, राज्यों, निजी उद्योग का संयुक्त प्रयास
देश में राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर एक त्रि-स्तरीय प्रणाली है जो अपनी समझ और जनादेश के अनुसार विकास कार्यों की योजना और क्रियान्वयन करती है. इसके जरिये संयुक्तता प्राप्त करने विभिन्न केंद्रीय विभागों और मंत्रालयों के साथ-साथ राज्यों और निजी क्षेत्र के बीच नियमित समन्वय सुनिश्चित किया जाएगा. इस संयुक्त योजना और विकास के पीछे पूरे देश में माल और लोगों की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करना है. सरकार का कहना है कि यह जीवन की सुगमता के साथ-साथ व्यापार करने में आसानी को बढ़ाएगी और वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करेगी.
तीन बार की अवधि
उपयोग में आसानी के लिए सरकार ने परियोजनाओं को तीन श्रेणियों में विभाजित किया है. इससे एक ही जगह 2014-15 तक पहले ही पूरी हो चुकी परियोजनाओं के बारे में पूरी जानकारी और भी तब तक चल रही परियोजनाओं की स्थिति होगी. दूसरी अवधि 2014-15 से 2020-21 के बीच पूर्ण की गई परियोजनाओं को कवर करेगीय पोर्टल में तीसरी समयावधि उन परियोजनाओं को कवर करेगी जिन्हें सरकार 2025-26 तक पूरा करने का लक्ष्य रखती है. अधिकारियों ने कहा कि इससे असंबद्ध योजना, मानकीकरण की कमी, मंजूरी के मुद्दों और समय पर निर्माण और सृजित क्षमताओं के उपयोग जैसे लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को दूर करने में मदद मिलेगी.
बदलाव के सुझाव देंगे शीर्ष अधिकारी
सरकार किसी भी उभरती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मास्टर प्लान में किसी भी बदलाव को मंजूरी देने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों का एक अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएस) बनाएगी. सभी संबंधित मंत्रालयों और विभागों के नेटवर्क प्लानिंग डिवीजन के प्रमुखों के साथ एक एकीकृत मल्टीमॉडल नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप (एनपीजी) एकीकृत योजना और प्रस्तावों के एकीकरण के लिए जिम्मेदार होगा और इसके जनादेश के संबंध में ईजीओएस की सहायता करेगा.
संपूर्ण राष्ट्र का दृष्टिकोण
सरकार का लक्ष्य बुनियादी ढांचे के विकास के लिए पूरे राष्ट्र के दृष्टिकोण पर लागू करना है जहां सभी एजेंसियां, केंद्रीय, राज्य और निजी क्षेत्र संयुक्त रूप से गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के त्वरित विकास के लिए काम करेंगे. गतिशक्ति का लक्ष्य कई लक्ष्यों को प्राप्त करना है, जिसमें राष्ट्रीय राजमार्गों का एक नेटवर्क शामिल है जो 2 लाख किलोमीटर लंबा है, बंदरगाहों की कार्गो क्षमता में वृद्धि, बिजली पारेषण क्षमता में वृद्धि, और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में वृद्धि आदि शामिल है. इसके अलावा परिवहन बुनियादी ढांचे के अलावा, गतिशक्ति का उद्देश्य मेगा फूड पार्क, कृषि प्रसंस्करण केंद्र, रक्षा गलियारे, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर, कपड़ा क्लस्टर और फार्मा और चिकित्सा उपकरण क्लस्टर स्थापित करना है.
गरीबी उन्मूलन के लिए
अधिकारियों के अनुसार, बुनियादी ढांचे का विकास गरीबी और आय असमानता को कम करने के भारत के प्रयासों के केंद्र में है. सड़क संपर्क, विशेषकर ग्रामीण सड़कों में सुधार से कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है. इसी तरह, बेहतर बिजली वितरण से उद्योगों, खासकर छोटे और मध्यम उद्योगों को मदद मिलने की उम्मीद है.