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छह साल 36 दिन बाद 1.5 डिग्री बढ़ जाएगा पृथ्वी का तापमान, दुनिया में होगी उथल-पुथल, जानिए कारण

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Published : Jun 16, 2023, 7:42 PM IST

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव अभी से नजर आने लगे हैं. भविष्य में इसे लेकर पूरी दुनिया के लोग फिक्रमंद नजर आ रहे हैं. आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

छह साल 36 दिन बाद 1.5 डिग्री बढ़ जाएगा पृथ्वी का तापमान
छह साल 36 दिन बाद 1.5 डिग्री बढ़ जाएगा पृथ्वी का तापमान

प्रो.सोलंकी लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

कानपुर : अब से ठीक छह साल 36 दिन और कुछ घंटों के बाद पृथ्वी का तापमान करीब 1.5 डिग्री सेंटीग्रेड (सामान्य तापमान में वृद्धि) तक बढ़ जाएगा. इससे दुनिया में बड़ा उथल-पुथल होगा. जैसे बाढ़ आना, समुद्र का जलस्तर बढ़ना, आंधी-तूफान आना आदि जैसी परेशानियां देखने को मिलेंगी. ये इतनी ज्यादा होंगी कि लोगों का जीवन मुश्किलों भरा हो जाएगा. आईआईटी मुंबई के डिपार्टमेंट आफ एनर्जी साइंस एंड इंजीनियरिंग के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने इन मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने बताया कि अभी तक जो शोध हुए हैं, उनके मुताबिक पिछले 4 दशकों में पृथ्वी का तापमान 1.19 डिग्री सेंटीग्रेड तक बढ़ा तो पांच गुना बाढ़ अधिक आई. कई ऐसी आश्चर्यजनक घटनाएं हुईं. अभी समय है, लोगों को संभलना होगा. हमें एनर्जी साक्षरता को समझना होगा. सोलर एनर्जी का अधिक से अधिक उपयोग करना होगा. शुक्रवार को शहर आए आईआईटी मुंबई के डिपार्टमेंट आफ एनर्जी साइंस एंड इंजीनियरिंग के प्रोफेसर चेतन सिंह सोलंकी ने कहा कि एनर्जी साक्षरता को बढ़ाने के लिए हमें फियर कॉम्प्लेक्स को बढ़ावा देना होगा. मौजूदा समय में घरों में एसी, मोबाइल, गैस, ईंधन का उपयोग हो रहा है. इससे वातावरण में कार्बन डाइ आक्साइड की परत तैयार हो रही है. यह हमारे लिए मौत का संकेत है. इस मुद्दे पर कैम्पस निदेशक डॉ. भगवान जगवानी, निदेशक डॉ. रूबी चावला समेत अन्य फैकल्टी सदस्यों ने भी अपनी राय रखी.

तापमान बढ़ने के कई दुष्परिणाम सामने आएंगे.
तापमान बढ़ने के कई दुष्परिणाम सामने आएंगे.

11 साल घर नहीं जाऊंगा, 2020 से शुरू की एनर्जी स्वराज यात्रा : प्रो.सोलंकी ने बताया, कि साल 2020 में उन्होंने पूरे देश में एनर्जी साक्षरता के प्रति सभी को जागरूक करने के लिए एनर्जी स्वराज यात्रा शुरू की. शुक्रवार को वह रूमा स्थित एलन हाउस इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी में थे, जहां उनकी यात्रा का 932वां दिन था. उन्होंने बताया कि 11 सालों तक अब वह घर नहीं जाएंगे. आईआईटी मुंबई से उन्होंने अनपेड लीव ली है. अभी तक वह उत्तर भारत के राज्यों को छोड़कर देश के अन्य राज्यों में घूम चुके हैं. 2019 में उन्होंने अपना वर्ल्ड टूर पूरा किया था. प्रोफेसर ने कहा कि कई देशों की यात्रा के बाद यही निष्कर्ष निकला कि केवल भारत में ही नहीं, दुनिया के तमाम देशों में क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) का असर बहुत तेजी से दिख रहा है. हमारे लिए आने वाला समय बहुत अधिक चुनौतियों वाला होगा. मध्य प्रदेश सरकार ने जहां प्रो.सोलंकी को सोलर एनर्जी के मामले में अपना ब्रांड एम्बेसडर बना रखा है, वहीं, उप्र सरकार में अब सरकारी स्कूलों में सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए अफसरों ने हामी भरी है.

14 भाषाओं में पाठ्यक्रम तैयार, 10 लाख लोग जुड़ चुके : प्रो.सोलंकी ने बताया, कि उन्होंने एनर्जी साक्षरता को लेकर 14 भाषाओं में अपना पाठ्यक्रम तैयार किया है. महज तीन से साढ़े तीन घंटे की पढ़ाई के दौरान इसे हर कोई समझ सकता है, जान सकता है कि हमें एनर्जी का उपयोग कैसे करना है. अभी तक 10 लाख लोग आनलाइन उनके कोर्स से जुड़ चुके हैं, जबकि 2.25 लाख लोगों से प्रो.सोलंकी व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर सीधा संवाद कर चुके हैं.

खास बस में करते हैं सफर : प्रो.सोलंकी ने कहा कि देश में महात्मा गांधी ने जहां पद यात्रा कर अपनी छाप छोड़ी थी, वहीं, उन्होंने आधुनिकता को देखते हुए बस से 11 सालों तक यात्रा करने की ठानी है. उनकी बस सामान्य बस से अलग है. बस में बेड है, इसमें आफिस का सारा काम हो जाता है. रसोईघर, बाथरूम व शौचालय भी हैं. बस सोलर एनर्जी पर आधारित है. प्रो.सोलंकी का अधिकतर समय उनकी एनर्जी स्वराज बस में ही व्यतीत होता है.

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