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सेवाओं पर दिल्ली-केंद्र विवाद: सुप्रीम कोर्ट 27 सितंबर को तय करेगा सुनवाई की तारीख

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Published : Sep 7, 2022, 3:17 PM IST

सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार (Delhi Goverment) की शक्तियों के दायरे जैसे विवादपूर्ण मुद्दे पर देश की सर्वोच्च अदालत (Supreme Court) में सुनवाई शुरू होनी है, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सुनवाई के लिए 27 सितंबर को तारीख निर्धारित की जाएगी. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि यह 'हरित पीठ' होगी और इस कार्यवाही में कागजों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार को कहा कि वह सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र (Central Government) और दिल्ली सरकार (Delhi Goverment) की शक्तियों के दायरे जैसे विवादपूर्ण मुद्दे पर सुनवाई के लिए 27 सितंबर को तारीख निर्धारित करेगा. न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि यह ‘हरित पीठ’ होगी और इस कार्यवाही में कागजों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इस पीठ में न्यायमूर्ति एम आर शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा भी शामिल हैं.

पीठ ने कहा कि अनुमान है कि वह केन्द्र और दिल्ली सरकार की विधायी तथा कार्यकारी शक्तियों (Delhi-Centre Dispute Over Services) के दायरे से जुड़े मामले पर सुनवाई अक्टूबर मध्य से शुरू कर देगी. पीठ ने यह बात तब कही जब अधिवक्ताओं ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश यू.यू. ललित की अगुवाई में एक संविधान पीठ आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लोगों को दाखिले तथा नौकरी में दस प्रतिशत आरक्षण देने के केन्द्र सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता के संबंध में दाखिल याचिकाओं पर 13 सितंबर से सुनवाई शुरू करेगी.

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पीठ को यह भी सूचित किया गया कि दिल्ली-केन्द्र विवाद मामले की पैरवी करने वाले कई वरिष्ठ अधिवक्ता ईडब्ल्यूएस मामले में भी जिरह करेंगे और इसलिए उन्हें सहूलियत मिलनी चाहिए. इस पर पीठ ने कहा कि वह मामले को 27 सितंबर को सूचीबद्ध करेगी और ईडब्ल्यूएस मामले की सुनवाई के चरण को देखते हुए निर्देश देंगे कि इस पर आगे की कार्यवाही कैसे की जाए. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि इसमें कागज का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा और उन्होंने रजिस्ट्री को सभी संबंधित सामग्री को स्कैन करने के निर्देश दिए हैं, जिसमें किताब, केस लॉ और लिखित अभ्यावेदन शामिल हैं.

गौरतलब है कि 22 अगस्त को सुप्रीम अदालत ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण को लेकर केंद्र तथा दिल्ली सरकार की विधायी एवं कार्यकारी शक्तियों के दायरे से संबंधित कानूनी मुद्दों पर सुनवाई करने के लिए पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन किया है. शीर्ष न्यायालय ने छह मई को दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण का मुद्दा पांच-सदस्यीय संविधान पीठ के पास भेजा था.

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अदालत ने तब कहा था कि संविधान के प्रावधानों और संविधान के अनुच्छेद 239एए (जो दिल्ली की शक्तियों से संबंधित है) के अधीन और संविधान पीठ के फैसले (2018 के) पर विचार करते हुए, ऐसा प्रतीत होता है कि इस पीठ के समक्ष एक लंबित मुद्दे को छोड़कर सभी मुद्दों का पूर्ण रूप से निपटारा किया गया है. इसलिए हमें नहीं लगता कि जिन मुद्दों का निपटारा हो चुका है, उन पर दोबारा विचार करने की जरूरत है.

14 फरवरी 2019 को दो न्यायमूर्तियों वाली पीठ ने भारत के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश को विभाजित फैसले के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में सेवाओं के नियंत्रण के मुद्दे पर अंतिम फैसला लेने के लिए तीन-सदस्यीय पीठ के गठन की सिफारिश की थी.

(पीटीआई-भाषा)

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