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दार्जिलिंग में लिखी गई TMC के उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने की स्क्रिप्ट!

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Published : Jul 22, 2022, 5:06 PM IST

Updated : Jul 22, 2022, 5:25 PM IST

Himanta with Mamta Dhankhar (file photo)
ममता धनखड़ के साथ हिमंत (फाइल फोटो)

राष्ट्रपति चुनाव में झटका लगने के बाद विपक्षी खेमे को भारी निराशा का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच अब तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने 6 अगस्त को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने का फैसला किया है. 'ईटीवी भारत' के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

नई दिल्ली: टीएमसी ने उपराष्ट्रपति चुनाव में दूर रहने का फैसला किया है. हालांकि सूत्रों ने कहा कि ममता ने पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा इस मुद्दे पर उन्हें बुलाए जाने के बाद उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी उम्मीदवार को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया था. बाद में ममता ने यही आश्वासन राकांपा प्रमुख शरद पवार को भी दोहराया.
हालांकि, टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी (TMC general secretary Abhisekh Banerjee) ने आरोप लगाया कि मार्गरेट अल्वा को सर्वसम्मति से उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी उम्मीदवार घोषित किए जाने से पहले उनकी पार्टी से सलाह नहीं ली गई थी. जानकार सूत्र ने 'ईटीवी भारत' को बताया कि टीएमसी ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की ममता बनर्जी से मुलाकात के बाद ये निर्णय लिया. सरमा ने इस महीने की शुरुआत में दार्जिलिंग में टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी और एनडीए के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार जगदीप धनखड़ से मुलाकात की थी.

सूत्रों ने बताया कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सरमा से उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए टीएमसी का समर्थन हासिल करने को कहा था. सूत्रों ने कहा, 'भाजपा कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी मंच को और कमजोर करने के लिए टीएमसी के समर्थन की तलाश कर रही है.'

पहली चार्जशीट से हटे अभिषेक-रुजिरा के नाम : गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में ममता, हिमंत और धनखड़ के बीच बंद कमरे में हुई बैठक के कुछ दिनों बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने टीएमसी के अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा नरूला बनर्जी के नाम अपनी पहली चार्जशीट से हटा दिए हैं. कोयला तस्करी के मामले ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (ईसीएल) के शीर्ष अधिकारियों सहित 41 लोगों को आरोपी बनाया गया है. देश को हिला देने वाले इस मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने दोनों से कई मौकों पर पूछताछ की है. ऐसे में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने का फैसला किया है. एनडीए उम्मीदवार और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ की भारी अंतर से जीत तय मानी जा रही है.

393 वोट हासिल करने होंगे : उपराष्ट्रपति चुनाव में एक उम्मीदवार को 788 में से कम से कम 393 वोट हासिल करने होंगे, जो लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त ताकत है. इससे पहले टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा है कि टीएमसी 6 अगस्त को होने वाले मतदान से दूर रहेगी. बनर्जी ने कहा, 'विपक्ष ने पार्टी से राय किए बिना उम्मीदवार (मार्गरेट अल्वा) को उतारने का फैसला किया, जिस तरह से ये तय किया गया हम इस तरीके का विरोध करते हैं.' हालांकि, समीकरणों के मुताबिक अगर टीएमसी चुनाव में शामिल भी होती है तो भी एनडीए उम्मीदवार धनखड़ की जीत तय है.

ये है चुनाव प्रक्रिया : उपराष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं. नागरिक और विधान सभा के सदस्य सीधे उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं करते हैं. संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों के अलावा, एंग्लो-इंडियन जैसे मनोनीत सदस्य भी चुनाव प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं.

चुनावी गणित : एनडीए के पास लोकसभा में 348 (भाजपा की 303) और राज्यसभा में 117 (भाजपा की 98 सीटें) हैं. लोकसभा में विपक्ष के पास यूपीए की 194 सहित 194 सीटें हैं. टीएमसी के पास निचले सदन में 53 सीटें हैं. राज्यसभा में विपक्ष के पास यूपीए की 50, गुटनिरपेक्ष समूहों सहित 74 सीटें हैं, जिसमें टीएमसी की 13 शामिल हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के भारत के 15 वें राष्ट्रपति बनने के लगभग 12 दिन बाद होगा.

गुरुवार को घोषित हुए राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे में एनडीए उम्मीदवार को मुर्मू को 2824 वोट मिले, जिसकी वोट वैल्यू 676803 थी. दूसरी तरफ विपक्ष के यशवंत सिन्हा को 380177 वोट वैल्यू वाले 2824 वोट मिले. राष्ट्रपति चुनाव में वैध मतों की संख्या 4701 थी जबकि 53 अवैध थे. राज्य विधान सभाओं के सदस्यों ने राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लिया. भारत के संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्यों द्वारा किया जाता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सदस्य शामिल होते हैं. 16वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए इलेक्टोरल कॉलेज में राज्यसभा के 233 निर्वाचित सदस्य, राज्यसभा के 12 मनोनीत सदस्य और लोकसभा के 543 निर्वाचित सदस्य हैं. चूंकि सभी निर्वाचक संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं, इसलिए प्रत्येक संसद सदस्य के मत का मूल्य एक होता है.

जो भी व्यक्ति उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होना चाहता है, उसे भारत का नागरिक होना चाहिए और राज्य सभा (राज्य सभा) का सदस्य होने के अलावा उम्र कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए. संविधान के अनुच्छेद 66 (1) के अनुसार उपराष्ट्रपति का चुनाव में गुप्त मतदान होता है. इस चुनाव प्रक्रिया में मतदाताओं को उम्मीदवारों के नाम के आगे वरीयता अंकित करनी होती है. वरीयता केवल अंकों में अंकित की जानी चाहिए, शब्दों में नहीं दर्शाई जानी चाहिए. मतदाता उम्मीदवारों की संख्या के रूप में कई वरीयताओं को चिह्नित कर सकता है. जबकि मतपत्र के वैध होने के लिए पहली वरीयता का जिक्र अनिवार्य है, अन्य वरीयताएं देना न देना मतदाता की इच्छा पर निर्भर करता है. राष्ट्रपति चुनाव की तरह उपराष्ट्रपति चुनाव में भी मतदाताओं को मतपत्र को चिह्नित करने के लिए एक विशेष पेन दिया जाएगा. अन्य पेन का उपयोग करने पर मतदान अमान्य होगा.

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Last Updated :Jul 22, 2022, 5:25 PM IST
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