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कोरोना के बाद अब ग्लैंडर्स रोग से इंसानों पर संकट, बन सकती है बड़ी महामारी !

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Published : Jun 27, 2021, 5:27 PM IST

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देश और दुनिया अभी कोरोना की बीमारी से ही उबर नहीं पाई है, ऐसे में घोड़े में पाई जाने वाली ग्लैंडर्स बीमारी ने वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को चिंता में डाल दिया है. ग्लैंडर्स रोग घोड़ों से इंसानों में आसानी से फैलने वाला रोग है. अशोकनगर में पहली बार एक घोड़े में इस बीमारी की पुष्टि होने के बाद उसे जहर देकर मारना और दफनाना पड़ा. कोरोना के बाद अब ग्लैंडर्स रोग से इंसानों पर संकट, घोड़े को पुष्टि होने पर दिया गया जहर

अशोकनगर : यहां एक घोड़े में ग्लैंडर्स नाम की बीमारी की पुष्टि हुई है. जिसके बाद कलेक्टर ने उसे जहर देकर मारने और दफनाने का निर्देश दिया. दरअसल, ये बीमारी घोड़ों से इंसानों में तेज़ी से फैलती है. इस बीमारी का अभी तक कोई इलाज नहीं है. ये एक तेज़ी से फैलने वाली संक्रामक बीमारी है. इंसानों में इस बीमारी का अगर संक्रमण हो जाए तो ये एक बड़ी महामारी बन सकती है.

कोरोना के बाद एक और खतरनाक बीमारी

देश और दुनिया अभी कोरोना की बीमारी से ही उबर नहीं पाई है, ऐसे में घोड़े में पाई जाने वाली ग्लैंडर्स बीमारी ने वैज्ञानिकों और डॉक्टरों को चिंता में डाल दिया है. ग्लैंडर्स रोग घोड़ों से इंसानों में आसानी से फैलने वाला रोग है. अशोकनगर में पहली बार एक घोड़े में इस बीमारी की पुष्टि होने के बाद उसे जहर देकर मारना और दफनाना पड़ा.

तहसीलदार ने दी जानकारी.

ग्लैंडर्स का नहीं है कोई इलाज

इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है. यह बीमारी घोड़ों से घोड़ों और घोड़ों से इंसानो को संक्रमित कर सकती है. जिले में एक घोड़े में ग्लैंडर्स बीमारी के लक्षण होने के बाद इसके सैम्पल को राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र हिसार भेजा गया. रिपोर्ट में ग्लैंडर्स बीमारी की पुष्टि होने के बाद नियमों के मुताबिक कलेक्टर से घोड़े को मारने का लिखित आदेश लिया गया और संक्रमित घोड़े को जहर देकर मार दिया गया. घोड़े को ज़हर देकर मारने की प्रक्रिया पशु चिकित्सकों की निगरानी में की गई. घोड़े के मरने की पुष्टि होने के बाद उसे फौरन दफना भी दिया गया, जिससे ये बीमारी किसी दूसरे घोड़े या इंसानों में ना फैले.

घोड़ों से इंसानों में भी फैल सकती है बीमारी.

दिल्ली में भी सामने आई थी ग्लैंडर्स बीमारी

कुछ महीने पहले दिल्ली-एनसीआर में ये बीमारी सामने आई थी. वहां कुछ घोड़ों में ये बीमारी पाई गई थी. अशोकनगर वाला यह घोड़ा भी उसी इलाके से लाया गया था.

कितनी खतरनाक है बीमारी

पशु चिकित्सा विभाग की डॉ. कीर्ति ने बताया कि, 'ये बीमारी घोड़ों से इंसानों में भी फैल सकती है. इंसानों में इस बीमारी के संक्रमण होने से संक्रमित व्यक्ति की हड्डियां तक गल जाती है. कुछ मामलों में तो संक्रमित लोगों के हाथ तक काटने पड़े हैं. इसलिए इस बीमारी में किसी तरह का कोई जोखिम नहीं लिया जा सकता. इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, इसीलिए संक्रमित हो चुके घोड़े को मारना ही पड़ता है.'

लिए जाएंगे अन्य घोड़ों के सैम्पल

पशुपालन विभाग अब मारे गए घोड़े के बाड़े से 10 किलोमीटर की परिधि में आने वाले सभी घोड़ों के सैम्पल लेने की तैयारी कर रहा है.

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