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झारखंड में सीआईपीयू के जरिए क्राइम को किया जाएगा कंट्रोल

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Published : Apr 24, 2022, 7:56 AM IST

झारखंड में सीआईपीयू का गठन किया गया है. इस सीआईपीयू के जरिए क्राइम को नियंत्रित किया जाएगा. झारखंड पुलिस मुख्यालय की ओर से जारी आदेश के अनुसार थाना स्तर पर सीआईपीयू सेल काम करेगा, जो लंबित केसों के निष्पादन करेगा.

Jharkhand Police Crime Investigation and Prosecution Unit
झारखंड में सीआईपीयू के जरिए क्राइम को किया जाएगा नियंत्रित

रांचीः झारखंड पुलिस अपराधिक घटनाओं की शीघ्र जांच कर अपराधियों को सजा सजा दिलाने के लिए स्पेशल यूनिट तैयार किया गया है. इस यूनिट का नाम क्राइम इन्वेस्टिगेशन एंड प्रॉसिक्यूशन यूनिट (सीआईपीयू) रखा गया है. सीआईडी ने सीआईपीयू के गठन का प्रस्ताव झारखंड पुलिस मुख्यालय को भेजा था. इस प्रस्ताव पर डीजीपी नीरज सिन्हा ने सहमति देते हुए सीआईपीयू के गठन संबंधी आदेश जारी कर दिया है. अब सीआईपीयू के लिए जिला से लेकर राज्य स्तर पर पदाधिकारियों की तैनाती होगी. इसके साथ ही प्रत्येक थाने में सीआईपीयू का कामकाज देखने के लिए अफसर प्रतिनियुक्त किए जाएंगे.

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राज्य के प्रत्येक थानों में सीआईपीयू के तहत एक नोडल पदाधिकारी तैनात होंगे. वहीं, अनुसंधान के लिए प्रत्येक थानों में प्रति 50 पेंडिंग केस पर एक अनुसंधान पदाधिकारी को सीआईपीयू में रखा जाएगा. अनुसंधान पदाधिकारी कांड के अनुसंधान को फोकस करेंगे. वहीं, थाना स्तर पर नोडल पदाधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वह समय पर गवाही पूरी कराए और कोर्ट के आदेश से जांच पदाधिकारियों को अवगत कराए. इसके साथ ही इसकी सूचना थानेदार को भी दें. सीआईपीयू के तहत थाने में तैनात दरोगा स्तर के अधिकारी की जिम्मेदारी बारीक अनुसंधान पर होगी. किसी केस में अगर आरोपी बरी हो गया तो बरी होने के कारणों का अध्ययन करना होगा और थानों में उस अपराधी के डोजियर खोलने से लेकर अन्य कार्रवाई करानी होगी.

राज्य स्तर पर सीआईडी के अधीन सीआईपीयू काम करेगी. राज्य स्तरीय सीआईपीयू की कमान सीआईडी डीआईजी के जिम्मे होगी. उनके अधीन सीआईडी एसपी, इन्वेस्टिगेशन ट्रेनिंग स्कूल के डीएसपी और दो इंस्पेक्टरों की तैनाती होगी, जिला स्तर पर सीआईपीयू के कामकाज की मॉनिटरिंग करेगी.

सीआईपीयू में राज्य स्तर पर एक रिव्यू कमेटी भी गठित की जाएगी. रिव्यू कमेटी में अभियोजन निदेशक, सीआईडी के डीआईजी और सीआईडी के एसपी रहेंगे. इस कमेटी का काम केस का विश्लेषण करना होगा. किसी केस में आरोपी बरी हो जाता है तो यह कमेटी उस केस की समीक्षा करेगी. समीक्षा के दौरान केस के अनुसंधान के साथ साथ पीपी और एपीपी के कामकाज की भी समीक्षा होगी. इसमें जिसकी गलती से आरोपी बरी होंगे, उसके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा यह कमेटी करेगी.

क्राइम इन्वेस्टिगेशन एंड प्रॉसिक्यूशन यूनिट अपने अनुसंधान करने वाले पुलिस पदाधिकारियों पर कड़ी नजर रखेगी. किसी अधिकारी ने जानबूझकर केस को हल्का कर आरोपी को राहत दिलवाई है तो उसे के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. वहीं, जो पदाधिकारी बेहतर काम करके अपराधियों को जेल भेजेंगे, उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा. झारखंड पुलिस के वरीय अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक केस में पांच अलग-अगल संचिका बनेगी. पहली संचिका में नोट सीट इंट्री की जाएगी. केस डायरी के लिए अलग संचिका होगी, तीसरी संचिका में दर्ज बयान, प्रगति प्रतिवेदन और पत्राचार या अन्य कागजातों के लिए संचिका शामिल हैं.

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झारखंड में लगभग 50 हजार केस लंबित है. झारखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद लंबित केसों के अनुसंधान को शीघ्र निष्पादन किया जा रहा है, लेकिन मेन पावर कम होने की वजह से पुलिस के सामने चुनौती है. हालांकि, सीआईसीपू के गठन होने से लंबित केसों के निष्पादन में तेजी आएगी. पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में एक जनवरी 2021 तक 49,498 केस लंबित थे. इसमें 10,823 केस अनुसंधान के लिए सिर्फ रांची में लंबित थे. वहीं, इस दौरान 5064 नये केस दर्ज किए गए हैं.

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