उत्तराखंड: टिहरी झील के किनारे बसे गांवों के मकानों में भी दरारें, खौफजदा हैं ग्रामीण

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Published : Jan 10, 2023, 2:24 PM IST

Updated : Jan 10, 2023, 3:11 PM IST

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उत्तराखंड के टिहरी झील (Tehri Lake) के आसपास के गांवों में भी दरारें पड़ने से लोगों में भय का माहौल है. लगातार लोगों के घरों में पड़ी दरारें बढ़ती जा रही हैं. स्थानीय लोगों को अब भविष्य की चिंता सताने लगी है. लोगों का कहना है कि उनकी सुध नहीं ली जा रही है. जबकि हालात कभी भी नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं.

टिहरी झील के किनारे बसे गांवों के मकानों में भी दरारें

टिहरी: जोशीमठ जैसे हालात (joshimath landslide) टिहरी झील के आसपास बसे गांवों (Tehri Dam Affected Village) में भी देखने को मिल रहे हैं. लोगों की घरों में दरारें आ चुकी हैं, जिससे लोग खौफजदा हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि वो कई बार शासन-प्रशासन के अधिकारियों को समस्या से अवगत करा चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार उनकी शिकायत नहीं सुन रहे हैं. उन्होंने कहा कि शासन-प्रशासन के अधिकारी किसी बड़ी होने का इंतजार कर रहे हैं. जबकि लोगों की रातों की नींद गायब हो गई है.

दूसरों के घरों में ली शरण: गौर हो कि जिस तरह से जोशीमठ में मकानों में दरार पड़ रही हैं, उसी तरह टिहरी झील के कारण झील के समीप के पिपोला खास गांव (Pipola Khas Village Tehri) और आसपास बसे मकानों में बड़ी बड़ी दरार पड़ गई हैं. इन घरों में रहने वाले लोगों ने दूसरों के घरों में शरण ली है. टिहरी झील के कारण मकानों में दरार पड़ने से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है. बता दें कि पिपोला खास गांव (Pipola Khas Village) टिहरी बांध की झील के निकट बसा हुआ है. टिहरी डैम की मुख्य दीवार से 2 किलोमीटर की दूरी पर ये गांव है. टिहरी झील के कारण गांव के मकानों में दरार पड़ने के साथ-साथ भू धंसाव हो रहा है. जिससे ग्रामीण खौफ के साए में जी रहे हैं.

क्या कह रहे ग्रामीण: ग्रामीणों ने कहा कि जोशीमठ के मकानों में दरार पड़ने से सरकार के सभी अधिकारी नेता अलर्ट हो गए हैं और मकानों में पड़ी दरारों को देखने पहुंच रहे हैं. परंतु आश्चर्य की बात है कि टिहरी झील के कारण पिपोला खास गांव में कई मकानों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ने पर भी कोई नेता अधिकारी मौके पर सुध लेने नहीं पहुंचा. इससे साफ जाहिर होता है कि शासन-प्रशासन पिपोला गांव सहित झील के आसपास बसे गांवों में किसी बड़े हादसे के इंतजार में हैं. शायद तभी संज्ञान लिया जाएगा.
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ग्रामीणों का आरोप: पिपोला खास गांव के ग्रामीणों ने कहा कि भूगर्भ वैज्ञानिकों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा है कि इन गांवों में जो भी दरारें पड़ रही हैं, वह टिहरी झील के कारण पड़ रही हैं और गांव अति संवेदनशील श्रेणी में हैं. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि भूगर्भ वैज्ञानिकों की रिपोर्ट पर भी शासन-प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया.

डीएम ने कही सर्वे कराने की बात: टिहरी डीएम सौरभ गहरवार (Tehri DM Saurabh Gaharwar) ने बताया कि इसी महीने एक्सपर्ट कमेटी के द्वारा टिहरी झील के समीप 23 गांवों का सर्वे करवाया जाएगा और इन्हीं सर्वे टीमों से हम पिपोला गांव का भी सर्वे करा रहे हैं. सर्वे करवाने के बाद ही कुछ कहा जाएगा कि गांव के मकानों में जो दरारें पड़ी हैं, वह टिहरी झील के कारण पड़ रही हैं या कोई अन्य कारण है? उसके बाद ही कोई आगे की कार्रवाई की जाएगी.

मामले में क्या बोले भू वैज्ञानिक: प्रसिद्ध भू वैज्ञानिक डॉक्टर एसपी सती ने कहा कि टिहरी झील के आसपास जो भी गांव हैं, उनके ऊपर तक हमने अध्ययन किया. अध्ययन में पाया कि टिहरी झील के कारण दरारें आ रही हैं और जिसके कारण गांव की बुरी स्थिति है. साथ ही इन गांव का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है. झील के समीप जो गांव हैं, उन्हें समय रहते सुरक्षित किया जाए, क्योंकि देर सबेर इनको यहां से विस्थापित करना ही पड़ेगा. झील के कारण हर साल दरारें पड़ रही हैं. झील के आसपास की जो भी पहाड़ियां हैं, उनमें परिवर्तन आ रहा है. टिहरी डैम के रिजर्व वायर के ऊपर जितने भी गांव हैं, उनपर हमने जो अध्ययन किया, उस अध्ययन में पाया कि वहां पर काफी सिंक हो रही है. अब तक जो साइंटिस्ट इस प्रोजेक्ट में लगे थे, उन्होंने भी कहा कि टनल के ऊपर के जो गांव हैं, वहां पर भी जमीनों में दरारें पड़ रही हैं और वहां पर गोडाउन इफेक्ट हो रहा है. जब झील का जलस्तर ऊपर नीचे होता है तो उसमें खिंचाव आ जाता है जिस से दरार पड़ रही हैं. हमने पाया कि कई गांवों में आज स्थिति खराब है. जिसके डाक्यूमेंट्स हमारे पास हैं और झील के आसपास के गांवों का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है.
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लोगों को मिलना चाहिए लाभ: वर्तमान समय में झील के आसपास के गांव के लोगों को जो लाभ नहीं मिल रहा है, उनके लिए टीएचडीसी को एक स्पेशल पॉलिसी बनाकर उन्हें लाभ दिया जाना चाहिए. क्योंकि आने वाले समय में देर सवेर इनको हटाना पड़ेगा, क्योंकि उनके घर रहने लायक नहीं रह गए हैं. आने वाले समय में जोशीमठ जैसी स्थिति आने से पहले ही जाग जाना चाहिए. अहमदाबाद इंस्टीट्यूट और रानीचौरा वानिकी विश्वविद्यालय के द्वारा गढ़वाल और कुमाऊं में रिसर्च किया गया जिस का रिजल्ट पेपर हमारे पास आया क्योंकि हमने टिहरी झील के चारों तरफ जीपीएस लगाए थे. उसमें हमने पाया कि जैसे ही झील भरती है, वैसे ही इधर-उधर के पहाड़ नजदीक आ जाते हैं. जैसे ही झील खाली होती है, वह अपने जगह पर चले जाते हैं. अगर यह पहाड़ियां इस तरह से आगे पीछे हो रही हैं तो मतलब दरारों में कुछ ना कुछ हलचल हो रही है, जो भविष्य के लिए चिंता करने का विषय है. कई बांधों के अध्ययन से पता चला है कि झील के बनने से भी भूकंप आते हैं और टिहरी बांध पर भूवैज्ञानिकों की कमेटी द्वारा अध्ययन जारी रखना चाहिए.

विस्थापन की मांग को लेकर मुखर महिलाएं: गौर हो विस्थापन की मांग को लेकर महिलाएं लंबे समय से आंदोलनत हैं. बीते दो महीने से विस्थापन की मांग को लेकर रौलाकोट एवं भल्डियाना पुनर्वास संघर्ष समिति तले महिलाएं धरने पर बैठी हैं. वहीं, कड़ाके की ठंड में भी महिलाएं धरने पर डटीं हैं. दरअसल, टिहरी में पुनर्वास कार्यालय के बाहर रौलाकोट के 17 और भल्डियाना के 6 परिवारों के पूर्ण विस्थापन के लिए अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन जारी है. टिहरी बांध की झील के कारण रौलाकोट और भल्डियाना गांव के कई परिवारों की जमीन डूब गई थी. ग्रामीणों को मुआवजे के नाम पर कुछ नहीं मिला. ऐसे में रौलाकोट भल्डियाना के ग्रामीण झील में डूबी जल-जंगल-जमीन के बदले विस्थापन की मांग कर रहे हैं. साथ ही विस्थापन की मांग को लेकर टिहरी जिला मुख्यालय के पुनर्वास विभाग के मुख्य दरवाजे पर 31 अक्टूबर 2022 से धरने पर बैठे हैं. जबकि बीते दिनों सायं के समय महिलाओं पर गुलदार ने हमला कर दिया था, लेकिन गनीमत रही कि गुलदार के हमले में किसी को नुकसान नहीं पहुंचा.

Last Updated :Jan 10, 2023, 3:11 PM IST
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