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डॉ. पॉल से जानिए क्यों आती हैं कोविड की नई लहर और कैसे आप जीतेंगे

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Published : Jun 23, 2021, 3:17 PM IST

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने महामारी की नई लहरों के उभरने के कारणों के बारे में कहा कि विश्व में ऐसे देश भी हैं जहां दूसरी लहर नहीं आई है. यदि हम वह करें जो आवश्यक है और गैर-जिम्मेदाराना गतिविधयों में लिप्त नहीं रहें है, तो संकट नहीं आएगा.

डॉ. वीके पॉल से जानिए, क्यों आती हैं नई लहरें
डॉ. वीके पॉल से जानिए, क्यों आती हैं नई लहरें

हैदराबाद : नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल ने महामारी की नई लहरों के उभरने के कारणों के बारे में कहा कि विश्व में ऐसे देश भी हैं जहां दूसरी लहर नहीं आई है. यदि हम वह करें जो आवश्यक है और गैर-जिम्मेदाराना गतिविधयों में लिप्त नहीं रहें, तो संकट नहीं आएगा. यह एक सरल महामारी विज्ञान सिद्धांत (epidemiological principle) है. डॉ. पॉल ने आवश्यक अच्छी आदतें बनाने और टीकाकरण जैसे उपाय अपनाकर इसे नियंत्रित या टाले जाने के बारे में बताया. डॉ. पॉल ने यह बात राष्ट्रीय मीडिया केंद्र पीआईबी दिल्ली में आयोजित कोविड-19 पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही थी.

नई लहरें क्यों आती हैं

डॉ पॉल ने कहा कि नई लहरों की उत्पत्ति के लिए चार प्रमुख कारक हैं.

वायरस का व्यवहार : वायरस में फैलने की क्षमता होती है.

अतिसंवेदनशील होस्ट : वायरस जीवित रहने के लिए अतिसंवेदनशील होस्ट की तलाश में रहता है. इसलिए, यदि हम टीकाकरण या पिछले संक्रमण से सुरक्षित नहीं हैं, तो हम एक अतिसंवेदनशील होस्ट हैं.

ट्रांसमिसिबिलिटी : वायरस कहीं भी अपना रूप बदल सकता है और अधिक संक्रामक हो सकता है. ऐसे में जो वायरस तीन लोगों को संक्रमित करता था, 13 को संक्रमित करने में सक्षम हो जाता है. यह कारक अप्रत्याशित (unpredictable) है. इस तरह के म्यूटेशन से लड़ने के लिए कोई भी पूर्व योजना नहीं बना सकता है. वायरस की प्रकृति में परिवर्तन और इसकी योग्यता एक एक्स फैक्टर है और कोई भी इसकी भविष्यवाणी नहीं कर सकता कि यह कब और कहां हो सकता है.

अवसर : 'अवसर', जो हम वायरस को संक्रमित करने के लिए देते हैं. अगर हम एक साथ बैठकर खाते हैं, भीड़ लगाते हैं, बिना मास्क के बंद इलाके में बैठते हैं, तो वायरस को फैलने के अधिक अवसर मिलते हैं.

पढ़ें : सरकार, फाइजर टीके के जल्द से जल्द आयात को मिलकर काम कर रहे हैं : वी के पॉल

जो हमारे हाथ में है उसे करने का आह्वान

नीति आयोग के सदस्य ने याद दिलाया कि हमारे हाथ में क्या है. उपरोक्त चार में से, दो कारक- संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशीलता और अवसर पूरी तरह से हमारे नियंत्रण में हैं, जबकि अन्य दो कारक- वायरस का व्यवहार और रूप में बदलाव की भविष्यवाणी या नियंत्रित नहीं की जा सकती है.

इसलिए, यदि हम सुरक्षित हैं और सुनिश्चित करते हैं कि हम अतिसंवेदनशील (susceptible) नहीं हैं, तो वायरस जीवित नहीं रह पाएगा. हम मास्क पहनकर या टीका लगवाकर संवेदनशीलता को नियंत्रित कर सकते हैं. इसलिए यदि हम कोविड के दिशानिर्देशों का पालन कर वायरस के लिए मौके और उसके प्रति संवेदनशीलता को कम करते हैं, तो तीसरी लहर नहीं आएगी.

डॉ. पॉल ने एक और लहर को रोकने के लिए नागरिकों के साथ-साथ व्यवस्था के सामूहिक प्रयासों का भी आह्वान किया. उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ के लिए व्यक्तिगत प्रयासों की आवश्यकता होती है, जबकि कुछ अन्य जैसे भीड़ को अलग-थलग करना, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, परीक्षण क्षमता सुनिश्चित करना और जागरूकता उत्पन्न करने के लिए व्यवस्था को कार्य करने की आवश्यकता होती है.

स्कूल खोलने के फैसले पर डॉ. पॉल ने चेताया

प्रतिबंधों में ढील और स्कूलों को फिर से खोलने के फैसले पर डॉ. पॉल ने चेतावनी देते हुए कहा कि यह फैसला सोच-समझकर लेना चाहिए और इस तरह के जोखिम हमें तब उठाना चाहिए, जब हम सुरक्षित हों.

उन्होंने कहा कि स्कूल एक भीड़भाड़ वाली जगह होती है, जहां वायरस के संक्रमित होने की पूरी आशंका रहती है. ऐसे में हमें वह जोखिम तभी उठाना चाहिए जब हम पूरी तरह से सुरक्षित हों. लेकिन जब हमारे सामने अप्रत्याशित स्थिति (unpredictable situation) हो, तब स्कूलों को पुनः खोलने का निर्णय लेना आसान नहीं है.

उन्होंने यह भी बताया कि कई राज्यों में लॉकडाउन के कारण वायरस के संक्रमितों की संख्या कम हुई है. अगर हम प्रतिबंधों में ढील देते हैं और स्कूल खोलते हैं, तो वायरस को संक्रमित करने का मौका मिल जाएगा.

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