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राज्योत्सव में हुआ सरगुजा का तिरस्कार, आहत नहीं करनी चाहिए थीं लोगों की भावनाएंः टीएस सिंहदेव

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Published : Nov 6, 2021, 1:50 AM IST

टीएस सिंहदेव
टीएस सिंहदेव

छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार (Congress Government) के भितरखाने की हलचल हर कोई जानता है. लेकिन सरकार के मंत्री (Government Minister), संगठन के नेता (Leader Of The Organization) और मुख्यमंत्री (Chief Minister) सब कुछ ठीक होने का दावा करते रहते हैं. कुछ घटनाओं को लेकर ईटीवी भारत ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से बात की. उन्होंने कहां सरकार को जायज बताया और कहां गलत? आप भी जानिए...

सरगुजा : छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार (Chhattisgarh Congress Government) के भीतरखाने की हलचल हर कोई जानता है लेकिन सरकार के मंत्री, संगठन के नेता और मुख्यमंत्री सब कुछ ठीक होने का दावा करते रहते हैं. संगठन एकजुट है, कुछ ऐसा ही बताया जाता है. बावजूद, पार्टी कार्यकर्ता (Party Worker) कहीं और कभी भी आपस मे भिड़ते दिखते हैं. कभी मंच से वरिष्ठ नेता (Senior Leader) को धकिया कर उतार दिया जाता है तो कुछ ऐसा ही राज्योत्सव (State Festival) के दौरान भी हुआ.

राज्योत्सव (State Festival) के दौरान सरकार के अंदर के ऐसे कार्य बाहर आए जिसका ठीकरा जिला प्रशासन (District Administration) के सिर पर फोड़ा गया. सरगुजा राज्योत्सव के मंच पर सत्ताधारी दल का एक भी जनप्रतिनिधि (Public Representatives) नही पहुंचा. बिलासपुर विधायक ( Bilaspur MLA) ने कलेक्टर पर अपमान करने का आरोप लगाया. इस पूरे मामले में हमने सीधी बात की कांग्रेस के कद्दावर नेता और मंत्री टीएस सिंहदेव से. सिंहदेव ने भी राज्योत्सव में हुई गतिविधियों को गलत बताया है. उन्होंने साफ कहा है की प्रशासन ही प्रोटोकॉल बनाता है और उसका ध्यान रखना चाहिए. प्रोटोकॉल के तहत आने वाले नियमों के तहत ही कार्यक्रम तय करना चाहिए. यहां जो हुआ, शायद इसी हिसाब से लोग नहीं आए होंगे.

टीएस सिंहदेव से बातचीत

सवाल: मनेन्द्रगढ़ विधायक को सरगुजा में राज्योत्सव का मुख्य अतिथि बनाया गया. क्या सरगुजा में इनसे सीनियर जनप्रतिनिधि (Senior Public Representatives) नहीं थे?
जवाब: ये सामान्य रूप से मुख्यमंत्री कार्यालय (Chief Minister Office) से तय करते हैं और विनय जायसवाल जी, जैसा कि आपने कहा, हक लोगों के बीच के ही प्रिय एक साथी हैं. उनकी शादी भी अम्बिकापुर में हुई है. हम लोगों के तो दामाद हैं. हम लोगों से भी संबंध है. उनसे कोई व्यक्तिगत आपत्ति (Personal Objection) नहीं है. ये व्यक्तिगत मामला नहीं है. जैसा कि यहीं जिले में सुनने में आया. जबकि उनसे सीनियर विधायक (Senior MLA), उनसे सीनियर डॉक्टर, जिन्होंने शायद उनको पढ़ाया भी हो, वो ही यहां विधायक थे. तो उनको ना करके दूसरे को करने में लोगों के मन में ये बात आई, ऐसा सुनने में मेरे को आया. पर ये मुख्यमंत्री के यहां से ही तय हुआ.

सवाल: इसका नतीजा ये आया कि एक भी जनप्रतिनिधि समारोह में नहीं दिखा. इस घटना से क्षुब्ध होकर सभी लोगों ने समारोह (Celebration) त्याग दिया, क्या ये सही है?
जवाब: दोनों बातें आती हैं. अगर ऐसी व्यवस्था बनाई जाए और आप फिर भी शामिल होते रहें तो आपत्ति कैसे व्यक्त करियेगा? करने वाला तो फिर करता ही रहेगा. इस तरह से जिन लोगों ने ये किया उनको इस पर जरूर चिन्तन करना चाहिये की लोगों की भावनाएं, राज्य का उत्सव (State Festival) है. कौन उसमें शामिल नहीं होना चाहेगा? प्रबंधन ऐसा करना चाहिए कि वह सभी को स्वीकार्य हो. मुझे लगता है कि प्रबंधन ऐसा किया गया कि कहीं ना कहीं इसमें लोगों के मन में ये बात जरूर आई होगी की जिले का तिरस्कार हो रहा है, जिले का अपमान हो रहा है.

सवाल: दूसरी तरफ आपके करीबी माने जाने वाले विधायक शैलेश पांडेय (MLA Shailesh Pandey) ने कहा कि उन्हें राज्योत्सव में आमंत्रित नहीं किया गया. उन्होंने मुख्यमंत्री (Chief Minister) को पत्र लिख कर कलेक्टर पर कार्रवाई की मांग की है.
जवाब: ये भी बात वाट्सअप (Whatsapp) पर मैंने देखी थी. मेरी शैलेश जी से तो इस बाबत कोई बात नहीं हुई. उस पत्र को मैंने पूरा तो नहीं पढ़ा लेकिन उसमें जो बातें थीं कि कलेक्टर ने आमंत्रण में प्रोटोकॉल (Protocol In Invitation) का पालन नहीं किया. तो ये हो सकता है. लगने वाली छोटी बातें हैं लेकिन ये मन को चोट पहुंचाती हैं. तो प्रशासन को सजग होकर इस पर ध्यान देना चाहिए कि प्रोटोकॉल है. उसमें कोई अपना-पराया नहीं होता. जो प्रोटोकॉल है, उसके हिसाब से ही आमंत्रण देना चाहिये. प्रोटोकॉल क्या है?

गवर्नर, मुख्यमंत्री, स्पीकर, मंत्री, विधायक फिर उनका भी एक क्रम होना चाहिए. जिला पंचायत (District Panchayat) के लोग हैं. नगर निगम के मेयर हैं, इन सबका प्रोटोकॉल बना है. किसी भी दल का जनप्रतिनिधि (Public Representatives) हो, प्रोटोकॉल का पालन जरूर प्रशासन को करना चाहिये. मैंने पत्र नहीं पढ़ा लेकिन मुझे लगा की ऐसा कुछ हुआ है. हम लोग भी विपक्ष में रहे हैं. तो ऐसा होता था कि मैं भी अम्बिकापुर का विधायक था. कई कार्यक्रमों में शामिल नहीं किया जाता था. अभी भी पत्र कभी-कभी आते हैं. मान लीजिए की मैं मंत्री हूं और विधायक के रूप में चिट्ठी भेज देते हैं तो इसमें प्रोटोकॉल (Protocol) का पालन कहां हुआ? बाकी जो वरिष्ठ हैं, उनको विधायक के रूप में ही पत्र भेजेंगे क्या? पक्ष-विपक्ष सबके लिए प्रोटोकॉल होना चाहिये.

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सवाल: सरगुजा कलेक्टर ने छठ पूजा पर वैक्सिनेशन सर्टिफिकेट (Vaccination Certificate) अनिवार्य किया है. बच्चों, बुजुर्गों के जाने की मनाही है. आप इसकी पूरी पूजा-विधि (Ritual) से परिचित हैं. ये सवाल इसलिए है, क्योंकि बाकी सारे आयोजन हो रहे हैं?
जवाब: इसमें जहां तक सोच है, आदेश के पीछे वह सही है. लेकिन लागू आपको करना है. नियमों को चुन-चुन के आप लागू नहीं कर सकते. कोरोना फैल सकता है तो कोरोना के फैलने का डर तो बाजार में भी है. अन्य शासकीय आयोजनों (Government Event) में भी है. अन्य पूजा के स्थानों पर भी है. अभी दुर्गा पूजा (Durga Puja) हुआ. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) हमने मनाया. हमने उसका पालन वहां किया क्या? तो सोच सही है लेकिन लागू आप चुनकर नहीं कर सकते. आप चुनकर लागू करेंगे तो विरोध होगा.

सवाल: प्रदेश में एक सवाल बार-बार उठता रहा है. क्या कारण है कि अब भी ढाई-ढाई साल का मामला खींच रहा है. मुख्यमंत्री बदले जाने की बात चर्चा में है. क्या मुख्यमंत्री की कुर्सी में बदलाव होगा? आप लंबे समय तक दिल्ली में रहकर आये हैं.
जवाब: दिल्ली आना-जाना कई कारणों से होता है. उसमें राजनीतिक गतिविधि (Political Activity) से भी बात जुड़ जाती है. क्योंकि पार्टियों का शीर्ष राजनीतिक केंद्र दिल्ली है. सभी राजनीतिक दलों का, क्षेत्रीय पार्टियों को छोड़ दें तो, आप जाइये दिल्ली तो ये चर्चा हो जाती है और जहां तक निर्णय की बात है तो जो पहले थी, वही आज भी है. हाई कमान (High Command) निर्णय लेता है. जब समय आएगा तो वह निर्णय जरूर लेगा. लोगों के मन में है कि जितना जल्दी क्लियर हो, एक निर्णय हो जाये तो अच्छा है. ये एक अलग बात लोगों के मन में आती रहती है.

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