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चीनी दूतावास की चिट्ठी पर कांग्रेस सांसदों की तीखी प्रतिक्रिया, कहा 'हमारे आंतरिक मामलों में नाक मत घुसाओ'

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Published : Dec 31, 2021, 8:03 PM IST

Updated : Dec 31, 2021, 8:15 PM IST

चीनी दूतावास की चिट्ठी के मामले में कांग्रेस सांसदों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. सभी ने इसे प्रोटोकॉल का उल्लंघन बताते हुए इसे दो सरकारों के बीच का मसला बताया है. कांग्रेस सांसदों ने कहा है कि उन्हें इस चिट्ठी का जवाब नहीं देंगे और चीन भारत के मामलों में नाक ना घुसाए.

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नई दिल्ली: तिब्बत की निर्वासित सरकार (Tibetan Government in Exile) की मेजबानी वाले समारोह में शामिल होने वाले कई भारतीय सांसदों को चीनी दूतावास द्वारा पत्र (Chinese Embassy Letter) लिखे जाने के मुद्दे पर शुक्रवार को तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया व्यक्त की गई और कई प्रमुख सांसदों ने चीनी मिशन की आलोचना करते हुए कहा कि यह मामला उसके दायरे में नहीं आता है.

पिछले सप्ताह दिल्ली में ऑल-पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम फॉर तिब्बत (all party indian parliamentary forum for tibet) के इस कार्यक्रम में कम से कम 6 सांसदों ने भाग लिया था. इसमें केंद्रीय राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर, बीजेपी नेता मेनका गांधी और के सी राममूर्ति, कांग्रेस सांसद जयराम रमेश और मनीष तिवारी और बीजद सांसद सुजीत कुमार शामिल हुए थे. इसके बाद ऑल-पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम के कुछ सदस्यों को चीनी दूतावास द्वारा लिखे गए पत्र में समारोह में हिस्सा लेने पर चिंता व्यक्त की गई थी और उनसे तिब्बती ताकतों को समर्थन देने से बचने को कहा गया था.

तिब्बत की निर्वासित सरकार ने शेयर की 22 दिसंबर को आयोजित कार्यक्रम की तस्वीर
तिब्बत की निर्वासित सरकार ने शेयर की 22 दिसंबर को आयोजित कार्यक्रम की तस्वीर

चीन की चिट्ठी पर उठे सवाल

फोरम के संयोजक सुजीत कुमार ने कहा कि भारतीय सांसदों को पत्र लिखना चीनी दूतावास के दायरे में नहीं आता है. इस मामले में सरकार की ओर से अभी प्रतिक्रिया नहीं आई है. सामान्य तौर पर भारत अपने देश के आंतरिक मामले में किसी विदेशी दूतावास की टिप्पणी को स्वीकार नहीं करता है. चीनी दूतावास का यह पत्र ऐसे समय में आया है जब पहले से ही पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं .

बीजू जनता दल (BJD) सांसद सुजीत कुमार ने कहा कि उन्हें पत्र नहीं मिला है लेकिन कई अन्य सांसदों को पत्र मिला है. उन्होंने बताया, 'मैं व्यक्तिगत रूप से पत्र को विशेषाधिकार हनन के तौर पर देखता हूं.' उन्होंने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब चीनी दूतावास ने इस तरह से लिखा है, वह पहले भी कई अवसरों पर लिख चुका है. कुमार ने कहा कि भारतीय सांसदों को पत्र लिखना दूतावास के दायरे में नहीं आता है. अगर कोई मुद्दा था तो वे विदेश मंत्रालय को लिख सकते थे. यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है.

उन्होंने कहा कि तिब्बत की निर्वासित सरकार के साथ भारतीय सांसदों की मुलाकात राजनीतिक सम्पर्क नहीं था और इसका मकसद संस्कृति और कारोबार संबंधों को बढ़ावा देना था .उन्होंने कहा कि हमने विदेश मंत्रालय या भारत सरकार की ओर से तिब्बत की निर्वासित सरकार के साथ मुलाकात नहीं की थी . हम राजनीतिक गतिविधि से जुड़ना नहीं चाहते बल्कि लोगों से लोगों के बीच सम्पर्क को बढ़ावा देना चाहते हैं .

कुमार ने कहा कि फोरम का इरादा हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला की यात्रा करने और आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा से मुलाकात करने का नहीं है.

कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया (congress reaction on chinese embassy letter )

इस मामले पर कांग्रेस ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद जयराम रमेश (Jairam Ramesh) ने ईटीवी भारत को बताया कि वो निर्वासित तिब्बती संसद द्वारा आयोजित रात्रिभोज में शामिल हुए थे और उन्हें चीन के राजनयिक का एक पत्र भी मिला. जयराम रमेश ने कहा कि सांसदों को सीधे पत्र लिखने की बजाय इस मामले पर भारत और चीन की सरकारों के बीच चर्चा होनी चाहिए थी. उन्होंने कहा कि वो बिल्कुल भी इस पत्र का कोई जवाब नहीं देंगे.

मनीष तिवारी का ट्वीट
मनीष तिवारी का ट्वीट

उधर कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी (Manish Tiwari) अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट का हवाला देकर ट्वीट किया "ना तो मुझे चीनियों की तरफ से कोई चिट्ठी मिली है और ना ही मैं इस तरह की किसी मूर्खतापूर्ण बात पर प्रतिक्रिया दूंगा. उन्होंने का कहा कि अगर चीन के विदेश मंत्री वांग यी कुछ कहते तो मैं प्रतिक्रिया देने के बारे में सोच सकता थ"

रिपोर्ट के अनुसार, चीनी दूतावास ने ऑल-पार्टी इंडियन पार्लियामेंट्री फोरम फॉर तिब्बत के कुछ सदस्यों को लिखे एक पत्र में इस कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की और उनसे तिब्बती बलों को सहायता प्रदान करने से परहेज करने को कहा. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि भारत अपने आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने वाले किसी भी विदेशी दूतावास को मंजूरी नहीं देता है.

अधीर रंजन चौधरी का ट्वीट
अधीर रंजन चौधरी का ट्वीट

भारत के मामलों में नाक ना घुसाए चीन

लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, "निर्वासित तिब्बती संसद हमारे राष्ट्र की उदारता और मानवता का प्रदर्शन करती है, यह चीन के आधिपत्य के दृढ़ संकल्प और कड़े विरोध को भी प्रदर्शित करती है. हम सभी को तिब्बत के पीड़ित लोगों के साथ खड़ा होना चाहिए. चीनी दूतावास हमारे देश के आंतरिक राजनीतिक मामलों में अपनी नाक नहीं घुसा सकता."

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Last Updated : Dec 31, 2021, 8:15 PM IST
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