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यूपी की सियासत : ब्राह्मणों के बाद अब दलितों पर नजर, स्वाभिमान यात्रा से कांग्रेस बचाएगी 'स्वाभिमान'

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Published : Aug 3, 2021, 7:48 PM IST

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के मद्दनेजर कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश में दलित स्वाभिमान यात्रा (Dalit Swabhiman Yatra) निकालकर परंपरागत वोटरों को साथ लाने की कवायद में लगी है.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) को देखते हुए ब्राह्मणों के बाद अब दलितों को लुभाने की राजनीति शुरू हो गई है. दलित, मुस्लिम और ब्राह्मणों के गठजोड़ से कभी सत्ता पर काबिज रही कांग्रेस (Congress) विधानसभा चुनाव की तैयारियों में अभी से जुट गई है. कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को लखनऊ छोड़कर प्रदेश के सभी जिलों में दलित स्वाभिमान यात्रा (Dalit Swabhiman Yatra) निकालकर अपने परंपरागत वोटरों को साथ लाने की कवायद में जुट गई है. इस प्रयास में समाजवादी पार्टी भी पीछे नहीं है. सपा की तरफ से 9 अगस्त को सोनभद्र में आदिवासी दिवस मनाया जाएगा. वहीं, भाजपा ने भी पार्टी के दलित नेताओं को आगे करने के साथ ही केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले (Union Minister Ramdas Athawale) को भी उत्तर प्रदेश की सियासत में उतारने की तैयारी कर ली है.

दलितों पर हुए अत्याचार को उठाएगी कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता शैलेन्द्र तिवारी कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों के बाद यदि किसी पर सबसे अधिक अत्याचार हुआ है तो वह दलित हैं. योगी आदित्यनाथ सरकार में बहुत उत्पीड़न और घोर अत्याचार हुआ है. जबकि दलितों का खुद को मसीहा कहलाने वाली बसपा अध्यक्ष मायावती चुप रहीं. बसपा तो इस दौरान बीजेपी की बी टीम की तरह काम करते हुए दिखाई दी है. उन्होंने कहा कि दलितों पर हुए अत्याचार के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने लगातार आवाज उठाया है. उन्होंने कहा कि 'दलित स्वाभिमान यात्रा' कांग्रेस के दलित भाइयों के स्वाभिमान के लिए है. कांग्रेस दलितों को नहीं, बल्कि अपने सभी परंपरागत मतदाताओं को साथ ला रही है.

यूपी की सियासत

2022 में बंटेगा दलित वोट
राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी का कहना है कि उत्तर प्रदेश का दलित इस बार कई भागों में बंटता हुआ दिखाई दे रहा है. उन्होंने कहा कि कभी दलित कांग्रेस के साथ हुआ करता था. उसके बाद वह उत्तर प्रदेश में पूरी तरीके से मायावती के साथ शिफ्ट हो गया. लेकिन पिछले चुनावों को देखा जाए तो दलित मतदाताओं का रुझान भारतीय जनता पार्टी की तरफ देखने को मिला है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस यात्रा निकालकर अपने पाले में फिर से बुलाने की कोशिश कर रही है. अभी फिलहाल दलित कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ जाता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है. भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन में रामदास आठवले की पार्टी आरपीआई भी शामिल है. रामदास आठवले भी उत्तर प्रदेश में दलित यात्रा निकालने वाले हैं. ऐसे में दलित भाजपा और बसपा के बीच ठीक से बंटेगा.

दलितों के खिलाफ किया जा रहा अत्याचार
वहीं, कांग्रेस पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अशोक सिंह कहते हैं कि दलित स्वाभिमान यात्रा को राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में दलित बेटी को रात के 12 बजे जला दिया जाता है. दलितों के खिलाफ अत्याचार किया जा रहा है. हम लगातार इस सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. लेकिन प्रदेश की गूंगी बहरी सरकार अहंकार में चूर है. योगी सरकार में आवाज उठाने पर मुकदमा कर दिया जाता है. पत्रकार आवाज उठाते हैं तो उनके खिलाफ सीबीआई लगा दी जाती है. उन्होंने कहा कि हमने कोरोना के दौरान भी देश की जनता की सेवा की है. कांग्रेस जब बस देने की बात की तो हमारे खिलाफ मुकदमा लिखा गया. जबकि भाजपा की सरकार में सपा और बसपा के खिलाफ मुकदमा नहीं लिखा गया. उन्होंने कहा कि 2022 में भाजपा की सरकार नहीं रहेगी.

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