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कांग्रेस, अकाली दल की अपील, समाधान के लिए पीएम के साथ करें वार्ता

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Published : Dec 30, 2020, 6:17 PM IST

कृषि कानूनों पर केंद्र के साथ किसान नेता बातचीत कर रहे हैं. इसको लेकर हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि बातचीत से कोई परिणाम नहीं निकलने वाला है और किसानों को इस जाल में नहीं उलझना चाहिए.

हरसिमरत कौर बादल
हरसिमरत कौर बादल

चंडीगढ़ : शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्ता करने का आग्रह किया है और कहा है कि इसके अलवा बातचीत का कोई परिणाम नहीं निकल पाएगा.

कृषि कानूनों पर केंद्र के साथ किसान नेताओं की बुधवार को हो रही बातचीत को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) की बठिंडा की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि किसानों को बातचीत के जाल में नहीं उलझना चाहिए क्योंकि इससे कोई परिणाम नहीं निकलने वाला.

हरसिमरत कौर बादल का ट्वीट
हरसिमरत कौर बादल का ट्वीट

पंजाब कांगेस के अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी प्रधानमंत्री के साथ सीधी वार्ता की हिमायत करते हुए कहा कि वार्ता को सफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री या केंद्रीय गृह मंत्री को इसमें शामिल होना होगा.

सुनील जाखड़ का ट्वीट
सुनील जाखड़ का ट्वीट

बादल ने एक ट्वीट में कहा, हमारे किसान जीत की कगार पर पहुंच चुके हैं. मैं इन कृषि कानूनों को निरस्त करवाने के लिए उनसे (किसानों से) सीधे प्रधानमंत्री के साथ बातचीत करने की अपील करती हूं.

बठिंडा की सांसद ने कहा, कई बैठकों के बावजूद कोई नतीजा नहीं निकल पाया है.

बादल की पार्टी कृषि कानूनों पर मतभेद के बाद इस साल भाजपा नीत राजग से अलग हो गई थी. बादल ने कहा कि अगर केंद्र ने कानूनों को लेकर उनकी चेतावनी पर ध्यान दिया होता तो आज यह गतिरोध नहीं होता.

बादल ने अपने ट्विटर हैंडल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए ट्वीट कर कहा कि लोकतंत्र में जनता की इच्छा सर्वोच्च होती है.

बहरहाल, पंजाब कांग्रेस प्रमुख सनील जाखड़ ने कहा कि वार्ता को सफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इसमें शामिल होना चाहिए.

पढ़ें :- किसान आंदोलन 35वां दिन : कृषि कानूनों पर चर्चा के बीच किसानों का खाना मंत्रियों ने खाया

जाखड़ ने ट्वीट किया, मुद्दे के समाधान के लिए अमित शाह की वार्ता के बाद अब अगले स्तर पर प्रधानमंत्री के साथ बातचीत होनी चाहिए. वार्ता को सफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री या गृह मंत्री को इसमें शामिल होना होगा. अन्यथा कोई नतीजा नहीं निकलने वाला.

कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की अलग-अलग सीमा पर प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा के किसान हैं.

सरकार ने कहा है कि इन कानूनों से कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी लेकिन प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को आशंका है कि नए कानूनों से एमएसपी और मंडी की व्यवस्था कमजोर होगी और किसान बड़े कारोबारी घरानों पर आश्रित हो जाएंगे.

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